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जानिये क्या बोले एनबीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक, बारिश ना होने की बताई ये वजह

एनबीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसके तिवारी ने कहा कि बूंद-बूंद से ही सागर भरता है, अगर हर कोई अपने घरों में पेड़ पौधे लगाने लगे तो धीरे-धीरे हमारा एनवायरनमेंट स्वच्छ व हरा भरा रहेगा. साथ ही हरे भरे पेड़-पौधे ग्लोबल वार्मिंग को कंट्रोल करने का भी काम करेंगे.

एनबीआरआई
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Published : Jul 12, 2022, 5:43 PM IST

लखनऊ : पेड़ पौधे ना सिर्फ दिखने में सुंदर लगते हैं बल्कि यह प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को भी कंट्रोल करते हैं. पर्यावरण नीति के अनुसार एक तिहाई भूभाग में वन होने चाहिए. वायु के शुद्धिकरण में वृक्षों का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान होता है. बारिश ना होने का कारण जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग है. यह बातें नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट (एनबीआरआई) के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसके तिवारी ने कहीं.


उन्होंने बताया कि बूंद-बूंद से ही सागर भरता है अगर हर कोई अपने घरों में पेड़ पौधे लगाने लगे तो धीरे-धीरे हमारा एनवायरनमेंट स्वच्छ व हरा भरा रहेगा. साथ ही साथ हरे भरे पेड़ पौधे ग्लोबल वार्मिंग को कंट्रोल करने का भी काम करेंगे. घरों में अगर आप पेड़-पौधे लगाना पसंद करते हैं तो इसके लिये एनबीआरआई आपको प्रशिक्षण देगा. कोरोना काल में बहुत सारे लोगों ने होम गार्डनिंग करना शुरू किया. बहुत सारे लोगों ने गमलों में पेड़-पौधे लगाये. बहुत सारे लोगों ने प्लास्टिक की बोतलों में डिजाइन करके फूलों को लगाया.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला



उन्होंने कहा कि पेड़-पौधों के बारे में हर किसी को जानकारी नहीं होती है. ज्यादातर लोग माली के ऊपर निर्भर रहते हैं. मालिक को भी बहुत ज्यादा जानकारी नहीं होती है. जिसकी वजह से पेड़ लगने के बाद खराब हो जाते हैं. जुलाई और अगस्त के मौसम को आदर्श मौसम के रूप में माना जाता है. अगर आप पेड़-पौधे लगाने के शौकीन हैं तो आपको इस बारे में जानकारी होनी चाहिए कि एक सामान्य पौधे को किस तरह से काटे छांटे. इस दौरान उन्होंने बताया कि बोनसाई के लिए जरूरी नहीं है कि पीपल या बरगद का पेड़ ही हो, इसके लिए नॉर्मल फल-फूल वाले पौधों को भी चुना जा सकता है.

उन्होंने कहा कि बोनसाई की खासियत होती है कि इसे आप घर के अंदर और बाहर भी रख सकते हैं. इसकी देखरेख करना बहुत अधिक कठिन नहीं है. पीपल, बरगद, बोगनविलिया, नींबू, अमरूद, अमलतास, गुलमोहर, जामुन, इमली, आम और अमरुद जैसे कई पौधों का बोनसाई रूप तैयार किया जा सकता है. इन्हीं सब चीजों के बारे में हम प्रशिक्षण लेने आ रहे लोगों को सिखाएंगे. बीते दिन ट्रेनिंग पंजीकरण का आखिरी दिन था, हालांकि बहुत सारे लोग जो इच्छुक हैं वह हमारी वेबसाइट पर जाकर मैसेज कर सकते हैं. अधिक संख्या में इच्छुक लोग होंगे तो सितंबर महीने में भी एक ट्रेनिंग रख दी जाएगी. वरना जनवरी में ट्रेनिंग पंजीकरण फिर से शुरू हो जाएगा.
ये भी पढ़ें : तबादलों में अनियमितताओं को लेकर सीएम योगी सख्त, दो दिन में मांगी रिपोर्ट
प्रधान वैज्ञानिक एसके तिवारी बताते हैं कि स्वच्छ हवा के लिए हरे भरे पेड़ पौधे लगाना बेहद जरूरी है. यह आपने भी अनुभव लिया होगा कि शहर के जिस क्षेत्र में हरे-भरे पेड़ पौधे लगे होते हैं. वहां पर काफी ठंडक और सुकून वाली हवा लगती है. जहां एक भी पौधे नहीं लगे होते हैं वहां का प्रदूषण स्तर भी काफी ज्यादा रहता है. अगर हर कोई अपने घर में एक छोटा सा गार्डन बनाये तो बूंद-बूंद से सागर भर जाएगा. अगर प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग कंट्रोल में होगा तो मानसून में अच्छी बरसात होगी.
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लखनऊ : पेड़ पौधे ना सिर्फ दिखने में सुंदर लगते हैं बल्कि यह प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को भी कंट्रोल करते हैं. पर्यावरण नीति के अनुसार एक तिहाई भूभाग में वन होने चाहिए. वायु के शुद्धिकरण में वृक्षों का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान होता है. बारिश ना होने का कारण जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग है. यह बातें नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट (एनबीआरआई) के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसके तिवारी ने कहीं.


उन्होंने बताया कि बूंद-बूंद से ही सागर भरता है अगर हर कोई अपने घरों में पेड़ पौधे लगाने लगे तो धीरे-धीरे हमारा एनवायरनमेंट स्वच्छ व हरा भरा रहेगा. साथ ही साथ हरे भरे पेड़ पौधे ग्लोबल वार्मिंग को कंट्रोल करने का भी काम करेंगे. घरों में अगर आप पेड़-पौधे लगाना पसंद करते हैं तो इसके लिये एनबीआरआई आपको प्रशिक्षण देगा. कोरोना काल में बहुत सारे लोगों ने होम गार्डनिंग करना शुरू किया. बहुत सारे लोगों ने गमलों में पेड़-पौधे लगाये. बहुत सारे लोगों ने प्लास्टिक की बोतलों में डिजाइन करके फूलों को लगाया.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला



उन्होंने कहा कि पेड़-पौधों के बारे में हर किसी को जानकारी नहीं होती है. ज्यादातर लोग माली के ऊपर निर्भर रहते हैं. मालिक को भी बहुत ज्यादा जानकारी नहीं होती है. जिसकी वजह से पेड़ लगने के बाद खराब हो जाते हैं. जुलाई और अगस्त के मौसम को आदर्श मौसम के रूप में माना जाता है. अगर आप पेड़-पौधे लगाने के शौकीन हैं तो आपको इस बारे में जानकारी होनी चाहिए कि एक सामान्य पौधे को किस तरह से काटे छांटे. इस दौरान उन्होंने बताया कि बोनसाई के लिए जरूरी नहीं है कि पीपल या बरगद का पेड़ ही हो, इसके लिए नॉर्मल फल-फूल वाले पौधों को भी चुना जा सकता है.

उन्होंने कहा कि बोनसाई की खासियत होती है कि इसे आप घर के अंदर और बाहर भी रख सकते हैं. इसकी देखरेख करना बहुत अधिक कठिन नहीं है. पीपल, बरगद, बोगनविलिया, नींबू, अमरूद, अमलतास, गुलमोहर, जामुन, इमली, आम और अमरुद जैसे कई पौधों का बोनसाई रूप तैयार किया जा सकता है. इन्हीं सब चीजों के बारे में हम प्रशिक्षण लेने आ रहे लोगों को सिखाएंगे. बीते दिन ट्रेनिंग पंजीकरण का आखिरी दिन था, हालांकि बहुत सारे लोग जो इच्छुक हैं वह हमारी वेबसाइट पर जाकर मैसेज कर सकते हैं. अधिक संख्या में इच्छुक लोग होंगे तो सितंबर महीने में भी एक ट्रेनिंग रख दी जाएगी. वरना जनवरी में ट्रेनिंग पंजीकरण फिर से शुरू हो जाएगा.
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प्रधान वैज्ञानिक एसके तिवारी बताते हैं कि स्वच्छ हवा के लिए हरे भरे पेड़ पौधे लगाना बेहद जरूरी है. यह आपने भी अनुभव लिया होगा कि शहर के जिस क्षेत्र में हरे-भरे पेड़ पौधे लगे होते हैं. वहां पर काफी ठंडक और सुकून वाली हवा लगती है. जहां एक भी पौधे नहीं लगे होते हैं वहां का प्रदूषण स्तर भी काफी ज्यादा रहता है. अगर हर कोई अपने घर में एक छोटा सा गार्डन बनाये तो बूंद-बूंद से सागर भर जाएगा. अगर प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग कंट्रोल में होगा तो मानसून में अच्छी बरसात होगी.
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