ETV Bharat / city

नए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह के सामने होंगी यह चुनौतियां

प्रदेश भाजपा के नव नियुक्त अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह ने सोमवार को गाजे बाजे के साथ अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया. इस मौके पर हजारों कार्यकर्ताओं के साथ मुख्यमंत्री और दोनों डिप्टी सीएम, प्रदेश सरकार के कई मंत्री, पार्टी के कई पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, सौ से भी अधिक विधायक और सांसद मौजूद थे.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Aug 29, 2022, 7:46 PM IST

Updated : Aug 29, 2022, 8:13 PM IST

लखनऊ : प्रदेश भाजपा के नव नियुक्त अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह ने सोमवार को गाजे-बाजे के साथ अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया. इस मौके पर हजारों कार्यकर्ताओं के साथ मुख्यमंत्री और दोनों डिप्टी सीएम, प्रदेश सरकार के कई मंत्री, पार्टी के कई पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, सौ से भी अधिक विधायक और सांसद मौजूद थे. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के निवासी, जाट समुदाय से आने वाले चौधरी भूपेंद्र सिंह के सामने इस जिम्मेदारी के साथ ही कई चुनौतियां भी खड़ी हैं. यदि वह अपने पूर्ववर्ती नेताओं से बड़ी लकीर खींचने में कामयाब हुए तो निश्चय ही उनका कद और बढ़ेगा और यदि ऐसा नहीं हो सका तो उनके सामने कई मुश्किलें भी आएंगी.



उत्तर प्रदेश में 2014 से जीत के रथ पर सवार हुई भारतीय जनता पार्टी लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव हों या 2019 के लोकसभा चुनाव, पार्टी ने मतदाताओं का खूब विश्वास जीता है और पार्टी को खूब वोट भी मिले हैं. 2022 में विधानसभा चुनाव हुए तो मतदाताओं ने एक बार फिर योगी आदित्यनाथ और भाजपा पर विश्वास जताया और पार्टी को भारी बहुमत से जीत दिलाई. चौधरी भूपेंद्र सिंह अब अध्यक्ष बने हैं. कुछ माह बाद ही नगर निकायों के चुनाव होने हैं. यह प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह की पहली परीक्षा होगी. स्वाभाविक है कि उन पर इन चुनावों में पार्टी को पहले से बड़ी जीत दिलाने का दबाव जरूर होगा. बढ़िया प्रदर्शन को दोहराने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत तो करनी ही होगी, महंगाई और बेरोजगारी जैसे कई मुद्दों पर जनता को साधना भी बड़ी चुनौती होगी. यही नहीं इन चुनावों के परिणामों का असर 2024 में होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी जरूर पड़ेगा. इसलिए उन पर बेहतरीन प्रदर्शन के लिए और भी अधिक दबाव होगा.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ मनीष हिंदवी


2019 में भाजपा सहयोगी दलों के साथ 64 सीटें जीतकर आई थीं, लेकिन 2024 के चुनावों में पार्टी ने 75 से अधिक सीटों का लक्ष्य रखा है. स्वाभाविक है कि यह लक्ष्य बेहद कठिन है. केंद्र और राज्य सरकारों के कामकाज से नाखुश लोगों का वोट भी होगा. ऐसे में लक्ष्य को और भी बढ़ा देना प्रदेश अध्यक्ष की चुनौती तो बढ़ाएगा ही. भाजपा चाहती है कि केंद्र में सरकार बनाने के लिए वह उत्तर प्रदेश से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर जाए, ताकि अन्य राज्यों पर निर्भरता कुछ कम हो सके. नए अध्यक्ष के सामने एक और चुनौती है कि वह सरकार और संगठन में एका रख एक टीम की तरह काम करने का माहौल बनाएं. हालांकि वर्तमान स्थितियों को देखकर यह काम भी आसान नहीं दिखाई देता. मुख्यमंत्री और उनके कुछ सहयोगियों में तालमेल न होने की खबरें कई बार आ चुकी हैं. यह बहस भी चल पड़ी है कि संगठन बड़ा है या सरकार. स्वाभाविक है कि ऐसे मामलों से निपटना बहुत ही चुनौती भरा होता है. प्रदेश अध्यक्ष को अपने कौशल से उन्हीं चुनौतियों से निपटना होगा.

यह भी पढ़ें : CM योगी आदित्यनाथ ने सुनीं समस्याएं, कहा- फरियादियों को मिले संतोषप्रद समस्याओं का निराकरण

इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक डॉ मनीष हिंदवी कहते हैं कि लंबे इंतजार के बाद चौधरी भूपेंद्र सिंह अध्यक्ष बनाए गए हैं. कई चुनौतियां इनके सामने आएंगी. 2024 में इनके सामने चुनौती होगी कि 2014 और 2019 के परिणामों को दोहराने की. उप्र एक बड़ा राज्य है, जहां लोकसभा की 80 सीटें हैं. इन पर सरकार और संगठन में संतुलन साधने की भी जिम्मेदारी होगी. जिस तरह से जातीय समीकरण में बटा है उप्र, उसमें भी एक सामंजस्य बैठाने की कोशिश होगी, क्योंकि अभी तक उम्मीद की जा रही थी कि कोई दलित चेहरा आएगा, लेकिन चौधरी जाट हैं. इसलिए उन्हें एक जातीय संतुलन भी साधना होगा.

यह भी पढ़ें : BJP के नए प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह बोले, निकाय और लोकसभा चुनाव में शत प्रतिशत सीटें जीतेंगे

लखनऊ : प्रदेश भाजपा के नव नियुक्त अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह ने सोमवार को गाजे-बाजे के साथ अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया. इस मौके पर हजारों कार्यकर्ताओं के साथ मुख्यमंत्री और दोनों डिप्टी सीएम, प्रदेश सरकार के कई मंत्री, पार्टी के कई पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, सौ से भी अधिक विधायक और सांसद मौजूद थे. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के निवासी, जाट समुदाय से आने वाले चौधरी भूपेंद्र सिंह के सामने इस जिम्मेदारी के साथ ही कई चुनौतियां भी खड़ी हैं. यदि वह अपने पूर्ववर्ती नेताओं से बड़ी लकीर खींचने में कामयाब हुए तो निश्चय ही उनका कद और बढ़ेगा और यदि ऐसा नहीं हो सका तो उनके सामने कई मुश्किलें भी आएंगी.



उत्तर प्रदेश में 2014 से जीत के रथ पर सवार हुई भारतीय जनता पार्टी लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव हों या 2019 के लोकसभा चुनाव, पार्टी ने मतदाताओं का खूब विश्वास जीता है और पार्टी को खूब वोट भी मिले हैं. 2022 में विधानसभा चुनाव हुए तो मतदाताओं ने एक बार फिर योगी आदित्यनाथ और भाजपा पर विश्वास जताया और पार्टी को भारी बहुमत से जीत दिलाई. चौधरी भूपेंद्र सिंह अब अध्यक्ष बने हैं. कुछ माह बाद ही नगर निकायों के चुनाव होने हैं. यह प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह की पहली परीक्षा होगी. स्वाभाविक है कि उन पर इन चुनावों में पार्टी को पहले से बड़ी जीत दिलाने का दबाव जरूर होगा. बढ़िया प्रदर्शन को दोहराने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत तो करनी ही होगी, महंगाई और बेरोजगारी जैसे कई मुद्दों पर जनता को साधना भी बड़ी चुनौती होगी. यही नहीं इन चुनावों के परिणामों का असर 2024 में होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी जरूर पड़ेगा. इसलिए उन पर बेहतरीन प्रदर्शन के लिए और भी अधिक दबाव होगा.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ मनीष हिंदवी


2019 में भाजपा सहयोगी दलों के साथ 64 सीटें जीतकर आई थीं, लेकिन 2024 के चुनावों में पार्टी ने 75 से अधिक सीटों का लक्ष्य रखा है. स्वाभाविक है कि यह लक्ष्य बेहद कठिन है. केंद्र और राज्य सरकारों के कामकाज से नाखुश लोगों का वोट भी होगा. ऐसे में लक्ष्य को और भी बढ़ा देना प्रदेश अध्यक्ष की चुनौती तो बढ़ाएगा ही. भाजपा चाहती है कि केंद्र में सरकार बनाने के लिए वह उत्तर प्रदेश से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर जाए, ताकि अन्य राज्यों पर निर्भरता कुछ कम हो सके. नए अध्यक्ष के सामने एक और चुनौती है कि वह सरकार और संगठन में एका रख एक टीम की तरह काम करने का माहौल बनाएं. हालांकि वर्तमान स्थितियों को देखकर यह काम भी आसान नहीं दिखाई देता. मुख्यमंत्री और उनके कुछ सहयोगियों में तालमेल न होने की खबरें कई बार आ चुकी हैं. यह बहस भी चल पड़ी है कि संगठन बड़ा है या सरकार. स्वाभाविक है कि ऐसे मामलों से निपटना बहुत ही चुनौती भरा होता है. प्रदेश अध्यक्ष को अपने कौशल से उन्हीं चुनौतियों से निपटना होगा.

यह भी पढ़ें : CM योगी आदित्यनाथ ने सुनीं समस्याएं, कहा- फरियादियों को मिले संतोषप्रद समस्याओं का निराकरण

इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक डॉ मनीष हिंदवी कहते हैं कि लंबे इंतजार के बाद चौधरी भूपेंद्र सिंह अध्यक्ष बनाए गए हैं. कई चुनौतियां इनके सामने आएंगी. 2024 में इनके सामने चुनौती होगी कि 2014 और 2019 के परिणामों को दोहराने की. उप्र एक बड़ा राज्य है, जहां लोकसभा की 80 सीटें हैं. इन पर सरकार और संगठन में संतुलन साधने की भी जिम्मेदारी होगी. जिस तरह से जातीय समीकरण में बटा है उप्र, उसमें भी एक सामंजस्य बैठाने की कोशिश होगी, क्योंकि अभी तक उम्मीद की जा रही थी कि कोई दलित चेहरा आएगा, लेकिन चौधरी जाट हैं. इसलिए उन्हें एक जातीय संतुलन भी साधना होगा.

यह भी पढ़ें : BJP के नए प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह बोले, निकाय और लोकसभा चुनाव में शत प्रतिशत सीटें जीतेंगे

Last Updated : Aug 29, 2022, 8:13 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.