लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि शैक्षिक अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि शिक्षा सम्बंधी शिकायतों का त्वरित निस्तारण किया जाए. न्यायालय ने कहा कि उचित शिक्षा प्राप्त करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21-ए के तहत मौलिक अधिकार है, लिहाजा किसी संस्थान में प्रवेश से सम्बंधित शिकायतों का तत्काल निस्तारण होना चाहिए. न्यायालय ने आदेश की प्रति प्रमुख सचिव प्राथमिक शिक्षा, निदेशक सीबीएसई बोर्ड नई दिल्ली समेत जिलाधिकारी लखनऊ को भी भेजने के आदेश दिए हैं. यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की अवकाशकालीन पीठ ने छात्र तनिष्क श्रीवास्तव की ओर से दाखिल विशेष अपील पर पारित किया.
याची की ओर से कहा गया कि वह लॉ मार्टिनियर कॉलेज में आठवीं कक्षा में प्रवेश के लिए परीक्षा में शामिल हुआ व चयनित भी कर लिया गया. हालांकि छात्र प्रवेश न ले सका क्योंकि उसकी मां गम्भीर बीमारी से पीड़ित थी और पिता शहर के बाहर थे. जिसके बाद उसने अपने पिता के माध्यम से कॉलेज से लिखित अनुरोध किया कि भले ही उसे रेजिडेंट स्कॉलर के रूप में प्रवेश न दिया जाए, लेकिन डे स्कॉलर के तौर पर प्रवेश दिया जाए, क्योंकि वह फीस का भुगतान करने के साथ ही सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर चुका है. हालांकि काॅलेज प्रबंधन ने कोई जवाब नहीं दिया, जिसके बाद उसके पिता ने वर्तमान याचिका दाखिल की. हालांकि न्यायालय ने उसकी अपील को खारिज कर दिया. क्योंकि कॉलेज एक गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक निजी संस्थान है.
वहीं न्यायालय ने कॉलेज प्रबंधन के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि छात्र के पिता के आवेदन पर यदि जल्द जवाब दे दिया जाता तो वे दूसरे विकल्प को अपना सकते थे. न्यायालय ने फैसले की प्रति संस्थान को भी भेजने का निर्देश देते हुए कहा कि छात्र के दाखिले के सम्बंध में अपने निर्णय की जानकारी से तत्काल माता-पिता को अवगत कराएं.
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