लखनऊ: लखनऊ में साइबर ठगों ने आतंक (Terror of cyber thugs in Lucknow) मचा रखा है. राजधानी के साइबर क्राइम सेल (Cyber Crime Cell Lucknow) के मुताबिक लखनऊ में जनवरी 2022 से अब तक 3,460 मामले साइबर क्राइम के दर्ज किए गए हैं. साइबर ठगी के आंकड़ों की सर्वे रिपोर्ट में राजधानी में हर महीने लगभग दो करोड़ रुपये का साइबर फ्रॉड हो रहा है. राजधानी के साइबर क्राइम सेल में हर रोज 10 से 15 शिकायतें आती है.
एनसीआरबी के आंकडे़ बताते हैं कि सेक्साटॉर्सन के जरिये लोगों से वसूली करने वाले साइबर ठगों ने लखनऊ के लोगों को सबसे अधिक निशाना बनाया है. सेक्साटॉर्सन के गाजियाबाद में 2021 में 15 मामले आए तो लखनऊ में 58 केस दर्ज किए गए. साइबर ठगी के जरिये अवैध वसूली के मामलों में भी लखनऊ आगे रहा है. साल 2021 में लखनऊ में ऐसे 602 केस दर्ज किए गए जो देश भर के महानगरों इन सबसे अधिक है. साइबर क्राइम सेल लखनऊ (Cyber Crime Cell Lucknow) प्रभारी के मुताबिक उनके पास सबसे अधिक सोशल मीडिया, ऑनलाइन फ्रॉड और ATM क्लोनिंग के साइबर फ्रॉड के मामले आते है. जिसमें 5 हजार से लेकर 10 लाख रुपये तक फ्रॉड के होते है. उन्होंने बताया कि जनवरी से अब तक करीब 3,460 साइबर ठगी के मामले आ चुके है.
साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे (cyber expert amit dubey) ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकारें साइबर क्राइम को लेकर कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम चला रही है. जिसमें करोड़ो रूपये खर्च हो जाते है, लेकिन इसके बाद भी आम लोग जागरूक नहीं हो पा रहे हैं. अमित दुबे बताते है कि अगर आंकड़ों में देखा जाए तो सबसे अधिक साइबर ठगी का शिकार पढ़ा लिखा वर्ग ही हो रहा है.
साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा ने बताया कि किसी भी व्यक्ति के साथ साइबर फ्रॉड होने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने अब एक नया हेल्पलाइन नम्बर 1930 जारी किया है. हालांकि, इससे पहले 155260 हेल्पलाइन नंबर था. लेकिन इसे बदल दिया गया है. हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से जिस व्यक्ति के साथ साइबर फ्रॉड हुआ है, वह इस नम्बर पर तुरंत शिकायत करके उन रुपयों को फ्रीज करवा सकता है और कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अपने रुपयों को वापस भी पा सकता है.
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पीड़ित जब साइबर फ्रॉड होने पर 1930 पर कॉल करता है. तो यह कॉल एक पुलिस अधिकारी द्वारा रिसीव की जाती है, जो पीड़ित से लेनदेन से संबंधित कुछ जरूरी जानकारी मांगेगा. डिजिटल अलर्ट बजते ही सिस्टम द्वारा धोखाधड़ी वाले के मनी ट्रांसफर को फ्रीज कर दिया जाता है और प्लेटफॉर्म पर वापिस रिपोर्ट की जाती है. पैसा अगर किसी अन्य वित्तीय मध्यस्थ को स्थानांतरित कर दिया गया है, तो भी उस पैसे को फ्रीज करने के लिये एक अलर्ट भेजा जाता है. यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है, जब तक कि धनराशि को या तो अस्थायी रोक पर रखा जाता है, वापस लिया जाता है या ऑनलाइन खर्च किया जाता है.
राहुल मिश्रा के मुताबिक, शिकायतकर्ता को इस शिकायत की सूचना एक एसएमएस के माध्यम से भेजी जाती है, जिसमें लॉग इन आईडी व शिकायत का संदर्भ नंबर होता है और cybercrime.gov.in का एक लिंक भी भेजा जाता है. लिंक/लॉग इन आईडी/शिकायत संदर्भ नम्बर का प्रयोग करते हुए हेल्पलाइन नम्बर पर कॉल करने के 24 घंटे के अंदर शिकायतकर्ता को cybercrime.gov.in पर सभी जानकारी जैसे विस्तृत विवरण-मोबाइल नंबर, बैंक, वॉलेट, मर्चेंट का नाम व नम्बर जिसमें से अमाउंट गई है, ट्रांजेक्शन आईडी व तारीख, अगर धोखाधड़ी किसी कार्ड के माध्यम से हुई तो उस डेबिट या क्रेडिट कार्ड नम्बर और इस धोखाधड़ी के लेनदेन के संबंध में कोई स्क्रीनशॉट अगर समेत एक शिकायत दर्ज करानी होती है. शिकायत दर्ज करने के बाद ठगे गए रुपयों को वापस लाने के लिये पुलिस अपनी करवाई शुरू करती है. यदि हेल्पलाइन नम्बर पर कॉल करने के 24 घंटे के भीतर शिकायतकर्ता द्वारा कोई शिकायत नहीं की जाती है तो लाभार्थी के निर्देशों के अनुसार संबधित वित्तीय मध्यस्थों द्वारा रुका हुआ पैसा जारी कर दिया जाता है.
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