ETV Bharat / city

स्टोन एनालिसिस मशीन बताएगी दोबारा पथरी से बचने के लिए क्या करें - यूरोलॉजी विभाग में लिथोट्रॉप्सी मशीन

केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग (Urology department) में खास तरह की स्टोन एनालिसिस मशीन (Stone analysis machine) स्थापित की गई है. इस मशीन से पथरी के प्रकार का पता लगाने में मदद मिलेगी. पथरी का सटीक अव्यय का पता लगने पर मरीज को उसी हिसाब से खान-पान में परहेज की सलाह दी जाएगी.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Aug 10, 2022, 3:30 PM IST

लखनऊ : केजीएमयू में पथरी का इलाज और बेहतर होगा. यूरोलॉजी विभाग (Urology department) में खास तरह की स्टोन एनालिसिस मशीन (Stone analysis machine) स्थापित की गई है. इस मशीन से पथरी के प्रकार का पता लगाने में मदद मिलेगी. पथरी का सटीक अव्यय का पता लगने पर मरीज को उसी हिसाब से खान-पान में परहेज की सलाह दी जाएगी. इससे मरीज में दोबारा पथरी के पनपने का खतरा कम होगा. अभी लखनऊ के किसी भी सरकारी अस्पताल में यह मशीन नहीं लगी है.

गुर्दे, गॉल ब्लेडर समेत दूसरे अंगों में पथरी पनपने के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. 25 से 30 फीसदी मामलों में ऑपरेशन के बाद कुछ वर्षों में दोबारा पथरी पनप आती है. अब इस समस्या से काफी हद तक बचना आसान होगा. केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग में स्टोन एनालिसिस मशीन (Stone analysis machine) स्थापित की गई है. यूरोलॉजी विभाग (Urology department) के अध्यक्ष व सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार ने बताया कि शरीर में पथरी कई प्रकार के रसायन व अव्यय से बनती है. ऑपरेशन के बाद पथरी निकाल दी जाती है. इसके बाद मरीज सामान्य लोगों की तरह खान-पान शुरू कर देता है. परहेज न होने से मरीज में फिर से पथरी पनपने का खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि नई मशीन से ऑपरेशन के बाद निकाली गई पथरी की जांच की जाएगी.

पथरी किस अव्यय या रसायनिक कंपोजिशन से बनी है, मरीज को उसे खान-पान में कैसे कम करना है, उसे बताया जाएगा. इससे मरीज में पथरी के बनने का खतरा 60 से 70 फीसदी तक कम होगा. 60 लाख रुपये की लागत से स्टोन एनालिसिस मशीन (Stone analysis machine) स्थापित की गई है. यूरोलॉजी विभाग (Urology department) में लिथोट्रॉप्सी मशीन लग गई है. इससे गुर्दे की पथरी का बिना चीरा टांका लगाये इलाज संभव हो सकेगा. लेजर तकनीक से गुर्दे की पथरी का इलाज होगा. करीब डेढ़ साल से मशीन खराब थी, जिससे मरीज प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने को मजबूर थे.
यह भी पढ़ें : प्रदेश के एक करोड़ से ज्यादा ग्रामीणों को घर में मिलेगा शुद्ध पेयजल

रेडियो डायग्नोसिस विभाग में हड्डी की मजबूती की जांच बीएमडी शुरू हो गई है. करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से मशीन विभाग में स्थापित की गई है. यह जांच भी करीब एक साल से बंद थी. इससे मरीजों को जांच के लिए निजी डायग्नोस्टिक सेंटर तक दौड़ लगानी पड़ रही थी.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ : केजीएमयू में पथरी का इलाज और बेहतर होगा. यूरोलॉजी विभाग (Urology department) में खास तरह की स्टोन एनालिसिस मशीन (Stone analysis machine) स्थापित की गई है. इस मशीन से पथरी के प्रकार का पता लगाने में मदद मिलेगी. पथरी का सटीक अव्यय का पता लगने पर मरीज को उसी हिसाब से खान-पान में परहेज की सलाह दी जाएगी. इससे मरीज में दोबारा पथरी के पनपने का खतरा कम होगा. अभी लखनऊ के किसी भी सरकारी अस्पताल में यह मशीन नहीं लगी है.

गुर्दे, गॉल ब्लेडर समेत दूसरे अंगों में पथरी पनपने के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. 25 से 30 फीसदी मामलों में ऑपरेशन के बाद कुछ वर्षों में दोबारा पथरी पनप आती है. अब इस समस्या से काफी हद तक बचना आसान होगा. केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग में स्टोन एनालिसिस मशीन (Stone analysis machine) स्थापित की गई है. यूरोलॉजी विभाग (Urology department) के अध्यक्ष व सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार ने बताया कि शरीर में पथरी कई प्रकार के रसायन व अव्यय से बनती है. ऑपरेशन के बाद पथरी निकाल दी जाती है. इसके बाद मरीज सामान्य लोगों की तरह खान-पान शुरू कर देता है. परहेज न होने से मरीज में फिर से पथरी पनपने का खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि नई मशीन से ऑपरेशन के बाद निकाली गई पथरी की जांच की जाएगी.

पथरी किस अव्यय या रसायनिक कंपोजिशन से बनी है, मरीज को उसे खान-पान में कैसे कम करना है, उसे बताया जाएगा. इससे मरीज में पथरी के बनने का खतरा 60 से 70 फीसदी तक कम होगा. 60 लाख रुपये की लागत से स्टोन एनालिसिस मशीन (Stone analysis machine) स्थापित की गई है. यूरोलॉजी विभाग (Urology department) में लिथोट्रॉप्सी मशीन लग गई है. इससे गुर्दे की पथरी का बिना चीरा टांका लगाये इलाज संभव हो सकेगा. लेजर तकनीक से गुर्दे की पथरी का इलाज होगा. करीब डेढ़ साल से मशीन खराब थी, जिससे मरीज प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने को मजबूर थे.
यह भी पढ़ें : प्रदेश के एक करोड़ से ज्यादा ग्रामीणों को घर में मिलेगा शुद्ध पेयजल

रेडियो डायग्नोसिस विभाग में हड्डी की मजबूती की जांच बीएमडी शुरू हो गई है. करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से मशीन विभाग में स्थापित की गई है. यह जांच भी करीब एक साल से बंद थी. इससे मरीजों को जांच के लिए निजी डायग्नोस्टिक सेंटर तक दौड़ लगानी पड़ रही थी.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.