लखनऊ: यूपी में दो ऐसी सीटें हैं, जिन पर समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की सुनामी चली फिर भी कांग्रेस का कब्जा इन सीटों पर कायम रहा. इनमें से एक सीट प्रतापगढ़ की रामपुर खास है. यहां से आराधना मिश्रा मोना विधायक हैं. वर्तमान में वो कांग्रेस की नेता विधानमंडल दल हैं. लगभग चार दशक से इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा है. वहीं दूसरी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की तमकुही राज विधानसभा सीट है. भाजपा और सपा की सुनामी में भी अजय कुमार लल्लू ने कांग्रेस की इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा.
इस सीट पर जब प्रमोद तिवारी ने कब्जा छोड़ा और वो राज्यसभा सांसद बन गये. इसके बाद भी ये सीट कांग्रेस पार्टी से विपक्षी दल छीन नहीं पाए. प्रमोद तिवारी ने इस सीट पर अपनी बेटी आराधना मिश्रा 'मोना' को कांग्रेस पार्टी से टिकट दिलाया और दो बार से लगातार आराधना मिश्रा इस सीट से विधायक बनती आ रही हैं. मौजूदा राजनीतिक समीकरण देखें, तो तीसरी बार भी आराधना मिश्रा मोना यहां जीत सकती हैं.
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में रामपुर खास विधानसभा सीट से कांग्रेस ने आराधना मिश्रा मोना को उम्मीदवार बनाया था. आराधना मिश्रा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के नागेश सिंह को हराया था. इस विधानसभा सीट पर ब्राह्मण, क्षत्रिय मतदाताओं के साथ ही अन्य पिछड़ी जाति और दलित मतदाताओं की संख्या अधिक है. इन सभी जातियों पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी की अच्छी खासी पकड़ है.
अपने पिता प्रमोद तिवारी की विरासत बेटी आराधना मिश्रा बखूबी संभाल रही हैं. वे भी लगातार रामपुर खास की जनता के बीच अपने पिता की तरह ही सक्रिय रहती हैं. उनके हर सुख-दुख में साथ खड़ी होती हैं. यही वजह है कि पिता प्रमोद तिवारी की तरह ही बेटी को भी जनता पूरा प्यार दे रही है.
2012 में समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश में सुनामी आई. 224 सीट के प्रचंड बहुमत के साथ अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की गद्दी पर सत्तासीन हुए. कांग्रेस की हालत तो उत्तर प्रदेश में नहीं सुधरी, लेकिन कुशीनगर की तमकुही राज विधानसभा सीट पर कांग्रेस के एक सिपाही ने पार्टी की झोली में ऐसी सीट डाल दी, जिसकी पार्टी को भी उम्मीद नहीं थी. इसके बाद साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी की ऐसी आंधी चली कि 325 सीटों के साथ उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई, लेकिन लहर के बावजूद तमकुही राज विधानसभा सीट पर बीजेपी का भगवा नहीं फहरा, बल्कि कांग्रेस का परचम ही अजय कुमार लल्लू के नेतृत्व में बुलंद रहा. सपा और भाजपा की सुनामी भी कांग्रेस के इस संघर्षशील कार्यकर्ता को हिला नहीं पाई. इस कार्यकर्ता का नाम है अजय कुमार लल्लू.
अजय कुमार लल्लू ने 1995-1999 में छात्रसंघ के महासचिव के रूप में अपना पॉलिटिकल करियर शुरू किया था. 1999-2000 में छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए. 2001 से 2007 तक एकता परिषद के राज्य समन्वयक रहे. 15वीं विधानसभा 2007 के चुनाव में सोराही विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े, लेकिन समाजवादी पार्टी के पीके राय से हार गए. उन्हें 2,891 वोट मिले थे और छठा स्थान आया था. इसके बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. 16वीं विधानसभा 2012 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें तमकुही राज विधानसभा से प्रत्याशी बनाया. अजय कुमार लल्लू ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार नंदकिशोर मिश्रा को 5,860 मतों से हरा दिया. इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी जगदीश मिश्रा को 18,114 मतों से हराया था.
समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की आंधी में भी कांग्रेस का दीपक जलाए रखने वाले अजय कुमार लल्लू को पार्टी ने भी पूरा सम्मान दिया. उनकी मेहनत और लगन को देखते हुए कांग्रेस ने 2019 में अजय कुमार लल्लू को उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी.
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कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सचिव रावत का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी की आंधी में भी हमारी इन सीटों पर जीत इस बात का प्रमाण है कि जनता में कांग्रेस पार्टी की स्वीकार्यता है. रामपुर खास सीट पर तकरीबन चार दशक तक हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कांग्रेस का झंडा बुलंद रखा और अब दो बार से उनकी बेटी आराधना मिश्रा मोना विधायक हैं. इसके अलावा तमकुही राज में हमारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू लगातार दो बार से जीत रहे हैं. दोनों नेताओं को जनता का आशीर्वाद मिल रहा है. इन दोनों सीटों पर लगातार पार्टी की जीत इसलिए हो रही है, क्योंकि विधायक जनता की समस्याओं का समाधान करते हैं. 2022 में कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी.
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