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17 अगस्त से उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों का सत्र होगा शुरू - लखनऊ की ख़बर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में विधानसभा सत्र 17 अगस्त से शुरू किये जाने की मंजूरी दे दी गई है. इसके साथ ही कई प्रस्तावों पर मोहर लगी.

विधानसभा सत्र 17 अगस्त से शुरू किये जाने की मंजूरी
विधानसभा सत्र 17 अगस्त से शुरू किये जाने की मंजूरी
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Published : Aug 2, 2021, 7:48 PM IST

लखनऊः मंत्रिमंडल ने राज्य विधान मंडल के दोनों सदनों का साल 2021 का दूसरा सत्र 17 अगस्त मंगलवार को शुरू करने के प्रस्ताव पर मंजूरी दी गई. राज्य विधान मंडल के दोनों सदनों का विगत सत्र 18 फरवरी 2021 को शुरू किया गया था. इस सत्र में विधान सभा एवं विधान परिषद की आखिरी बैठक दिनांक चार मार्च को हुई थी.

यह व्यवस्था है कि विधान मण्डल के प्रत्येक सदन के एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छह माह का अन्तर नहीं होगा. विगत सत्र में विधान सभा एवं विधान परिषद की अंतिम बैठक चार मार्च को हुई थी. अतः इस संवैधानिक व्यवस्था के क्रम में विधान मण्डल का आगामी सत्र चार सितम्बर से पहले शुरू किया जाना है.

कैबिनेट से मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) के तहत आर्थिक सहयोग प्रदान करने के प्रस्ताव को अनुमोदन मिल गया. इसके तहत 18 साल से कम आयु के ऐसे बच्चे जिन्होंने कोविड-19 से भिन्न अन्य कारणों से अपने माता-पिता दोनों और माता या पिता में से किसी एक या फिर अभिभावक को खो दिया है. इसके साथ ही 18 से 23 साल के ऐसे किशोर जिन्होने कोविड या अन्य कारणों से अपने माता-पिता दोनों और माता या पिता में से किसी या फिर अभिभावक को खो दिया है. वह कक्षा 12 तक शिक्षा पूर्ण करने के उपरान्त राजकीय महाविद्यालय, विश्वविद्यालय या तकनीकी संस्थान से स्नातक डिग्री और डिप्लोमा प्राप्त करने हेतु शिक्षा प्राप्त कर रहे हों, नीट, जेईई, क्लैट जैसे राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाएं उत्तीर्ण करने वाले अथवा जिनकी माता तलाकशुदा स्त्री या परित्यक्ता हैं. जिनके माता-पिता या परिवार का मुख्यकर्ता जेल में है. ऐसे बच्चे जिन्हें बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति/बाल वैश्यावृत्ति से मुक्त कराकर पारिवारिक वातावरण में समायोजित कराया गया हो. भिक्षावृत्ति/वैश्यावृत्ति में सम्मिलित परिवारों के बच्चों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी. इस योजना का लाभ एक परिवार के अधिकतम दो बच्चों को मिल सकेगा.

होमगार्ड्स स्वयंसेवकों एवं अवैतनिक अधिकारियों की सेवावधि में (अधिवर्षता से पूर्व) मृत्यु की दशा में उनके नॉमिनी/उत्तराधिकारी को अथवा स्थायी अपंगता की स्थिति में उनको पांच लाख रुपये का अनुग्रह राशि दिये जाने के सम्बन्ध में आये प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली है.

इसे भी पढे़ं- फिरोजाबाद का नाम बदलने पर गरमाई सियासत, कांग्रेस बोली एजेंडे से विकास गायब

313 अनुपयोगी नियमों को खत्म किये जाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली है. कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश निरसन अध्यादेश, 2021 के प्रारूप को स्वीकृति प्रदान कर दी है.
आपको बता दें कि कुल 312 अधिनियमों को समाप्त किये जाने के सम्बन्ध में शासन के सम्बन्धित प्रशासकीय विभागों से अनापत्तियां प्राप्त हुई हैं. वह सभी वर्तमान में अनुपयोगी होने की वजह से समाप्त किया जाना है. वर्तमान में राज्य विधान मण्डल सत्र आहूत नहीं है. नागरिकों एवं व्यवसाय पर विनियामक अनुपालन भार (रेगुलेटरी कम्प्लायन्स बर्डन) को कम करने की तात्कालिकता को देखते हुए सम्बन्धित प्रशासकीय विभागों की संस्तुति के आधार पर 312 अप्रचलित एवं अनुपयोगी हो चुके अधिनियमों को उत्तर प्रदेश निरसन अध्यादेश, 2021 के माध्यम से निरसित किये जाने और इसके प्रतिस्थानी विधेयक के आलेख पर विभागीय मंत्री के अनुमोदन से इसे आगामी राज्य विधान मण्डल सत्र में पुनःस्थापित कराये जाने का भी निर्णय मंत्रिपरिषद द्वारा लिया गया है. सातवें उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने सरकार को कुल 1,430 अधिनियमों को समाप्त करने की संस्तुति भेजी थी.

लखनऊः मंत्रिमंडल ने राज्य विधान मंडल के दोनों सदनों का साल 2021 का दूसरा सत्र 17 अगस्त मंगलवार को शुरू करने के प्रस्ताव पर मंजूरी दी गई. राज्य विधान मंडल के दोनों सदनों का विगत सत्र 18 फरवरी 2021 को शुरू किया गया था. इस सत्र में विधान सभा एवं विधान परिषद की आखिरी बैठक दिनांक चार मार्च को हुई थी.

यह व्यवस्था है कि विधान मण्डल के प्रत्येक सदन के एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छह माह का अन्तर नहीं होगा. विगत सत्र में विधान सभा एवं विधान परिषद की अंतिम बैठक चार मार्च को हुई थी. अतः इस संवैधानिक व्यवस्था के क्रम में विधान मण्डल का आगामी सत्र चार सितम्बर से पहले शुरू किया जाना है.

कैबिनेट से मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) के तहत आर्थिक सहयोग प्रदान करने के प्रस्ताव को अनुमोदन मिल गया. इसके तहत 18 साल से कम आयु के ऐसे बच्चे जिन्होंने कोविड-19 से भिन्न अन्य कारणों से अपने माता-पिता दोनों और माता या पिता में से किसी एक या फिर अभिभावक को खो दिया है. इसके साथ ही 18 से 23 साल के ऐसे किशोर जिन्होने कोविड या अन्य कारणों से अपने माता-पिता दोनों और माता या पिता में से किसी या फिर अभिभावक को खो दिया है. वह कक्षा 12 तक शिक्षा पूर्ण करने के उपरान्त राजकीय महाविद्यालय, विश्वविद्यालय या तकनीकी संस्थान से स्नातक डिग्री और डिप्लोमा प्राप्त करने हेतु शिक्षा प्राप्त कर रहे हों, नीट, जेईई, क्लैट जैसे राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाएं उत्तीर्ण करने वाले अथवा जिनकी माता तलाकशुदा स्त्री या परित्यक्ता हैं. जिनके माता-पिता या परिवार का मुख्यकर्ता जेल में है. ऐसे बच्चे जिन्हें बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति/बाल वैश्यावृत्ति से मुक्त कराकर पारिवारिक वातावरण में समायोजित कराया गया हो. भिक्षावृत्ति/वैश्यावृत्ति में सम्मिलित परिवारों के बच्चों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी. इस योजना का लाभ एक परिवार के अधिकतम दो बच्चों को मिल सकेगा.

होमगार्ड्स स्वयंसेवकों एवं अवैतनिक अधिकारियों की सेवावधि में (अधिवर्षता से पूर्व) मृत्यु की दशा में उनके नॉमिनी/उत्तराधिकारी को अथवा स्थायी अपंगता की स्थिति में उनको पांच लाख रुपये का अनुग्रह राशि दिये जाने के सम्बन्ध में आये प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली है.

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313 अनुपयोगी नियमों को खत्म किये जाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली है. कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश निरसन अध्यादेश, 2021 के प्रारूप को स्वीकृति प्रदान कर दी है.
आपको बता दें कि कुल 312 अधिनियमों को समाप्त किये जाने के सम्बन्ध में शासन के सम्बन्धित प्रशासकीय विभागों से अनापत्तियां प्राप्त हुई हैं. वह सभी वर्तमान में अनुपयोगी होने की वजह से समाप्त किया जाना है. वर्तमान में राज्य विधान मण्डल सत्र आहूत नहीं है. नागरिकों एवं व्यवसाय पर विनियामक अनुपालन भार (रेगुलेटरी कम्प्लायन्स बर्डन) को कम करने की तात्कालिकता को देखते हुए सम्बन्धित प्रशासकीय विभागों की संस्तुति के आधार पर 312 अप्रचलित एवं अनुपयोगी हो चुके अधिनियमों को उत्तर प्रदेश निरसन अध्यादेश, 2021 के माध्यम से निरसित किये जाने और इसके प्रतिस्थानी विधेयक के आलेख पर विभागीय मंत्री के अनुमोदन से इसे आगामी राज्य विधान मण्डल सत्र में पुनःस्थापित कराये जाने का भी निर्णय मंत्रिपरिषद द्वारा लिया गया है. सातवें उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने सरकार को कुल 1,430 अधिनियमों को समाप्त करने की संस्तुति भेजी थी.

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