लखनऊ: समाजवादी पार्टी का विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का पद जल्द ही छिन जाएगा. संसदीय नियमों के अनुसार नेता प्रतिपक्ष का पद एक चौथाई सदस्य होने की स्थिति में मुख्य विपक्षी पार्टी को दिया जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्यों की संख्या घटकर 17 हो गई है. आने वाले दो तीन महीने में सपा सदस्यों की संख्या और भी कम हो जाएगी. अब समाजवादी पार्टी को मिला नेता प्रतिपक्ष का पद छिन जाएगा.
उत्तर प्रदेश विधान परिषद (Uttar Pradesh Legislative Council) में समाजवादी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष संजय लाठर की भी जुलाई 2022 में विधान परिषद की सदस्यता समाप्त हो रही है. मई से लेकर जुलाई तक समाजवादी पार्टी के कुछ और अन्य विधान परिषद सदस्यों की सदस्यता समाप्त हो जाएगी. इन विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है.
ऐसे में समाजवादी पार्टी को मिला नेता प्रतिपक्ष का पद, अब विधान परिषद सदन में नहीं रह जाएगा. ऐसे में स्वाभाविक सी बात है कि विधान परिषद सदन में जब समाजवादी पार्टी का नेता प्रतिपक्ष नहीं होगा, तो उसकी सरकार के विरुद्ध आक्रामक रणनीति नहीं हो पाएगी और समाजवादी पार्टी सदन में पूरी तरह से कमजोर नजर आएगी.
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विधान परिषद सदन में पहले भाजपा के मात्र सात सदस्य थे, जो चुनाव के बाद बढ़कर 67 हो गए हैं. वहीं सपा के सदस्यों की संख्या घटकर 17 हो गई है. इसके अलावा जुलाई तक कुछ सपा सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. इसके बाद उच्च सदन यानी विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का समाजवादी पार्टी का पद भी छिन जाएगा.
सपा के 17 सदस्यों में से 12 सदस्यों का कार्यकाल इसी साल मई से लेकर जुलाई तक अलग-अलग तारीख को समाप्त हो रहा है. भाजपा का बहुमत होने के चलते ज्यादातर सीटें बीजेपी के खाते में जानी हैं. ऐसी स्थिति में उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी समाजवादी पार्टी से छिन जाएगी.
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