लखनऊ: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के समापन समारोह में कहा कि कार्य संचालन के दौरान मुख्यमंत्री और मंत्रियों के हाथ में कुछ भी नहीं होता. जो कुछ होता है वह अधिकारियों के हाथ में होता है. मगर महत्वपूर्ण बात यह है कि इन अधिकारियों से काम कराने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री और मंत्री की होती है. इसलिए दूसरों पर नजर रखें. सकारात्मक तरीके से उन से काम लें. उनको फील्ड पर भेजें तभी जनता के काम आगे बढ़ेंगे और फाइलें पूरी हो सकेंगी.
राज्यपाल ने नवनिर्वाचित सदस्यों से कहा कि अपने बच्चों से खुद को दूर रखिए. जिनके परिवार के लोग उनके नजदीक रहते हैं उनके लिए काम करना कठिन हो जाता है. हर जगह समय पर पहुंचे. इलाके में जाएंगे तो हर विभाग की परेशानी को सुनिये.
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गुजरात में जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे, तब वे सभी मंत्रियों की बाते सुनते थे. राज्यपाल ने नवनिर्वाचित सदस्यों को सलाह देते हुए कहा कि हर बुधवार को ऐसे ही समस्याओं पर चर्चा करो. विधायकों को काम बताने से पहले आपको यह भी सोचना होगा कि विभाग का बजट क्या है.
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने गुजरात का उदाहरण देते हुए बताया कि जब गुजरात में भूकंप आया था तब बहुत काम हुआ. जब मोदी जी आए तब बहुत शिकायतें आ रही थीं. तब नरेंद्र मोदी ने कहा कि दिवाली अफसर जिलों में मनाएंगे. तब हम सभी ने उनके आदेश को माना और काम जारी रखा. जिसका परिणाम ये हुआ कि जमीनी फैसले लिए गए. साथ ही शासनादेश बदले गए.
राज्यपाल ने कहा कि, मंत्री और मुख्यमंत्री के हाथ में कुछ नहीं है. सबकुछ अफसरों के हाथ में है. मगर काम करवाना मुख्यमंत्री और मंत्री के हाथ में है. सरकारी काम के चक्कर में नहीं पड़ना है. विधायकों के लिए एक कार बहुत है. भ्रष्टाचार जैसी चीजों से दूर रहिए. अफसरों पर नजर रखिए मगर आपस में झगड़ा मत कीजिए. अगर झगड़ा करेंगे तो काम कभी नहीं हो पाएगा. प्यार से काम करवाएं.
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