लखनऊ : रेलवे की कॉलोनियों और स्टेशनों पर बारिश का पानी काफी मात्रा में बर्बाद होता है. पानी की बर्बादी को रोकने के लिए उत्तर रेलवे के अधिकारियों ने प्लान तैयार किया है. इस प्लान के तहत लखनऊ की 27 कॉलोनियों में वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाकर वर्षा का जल संचयन किया जाएगा. इसके अलावा लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन और डीआरएम दफ्तर में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाया जाएगा. उत्तर रेलवे के डीआरएम एसके सपरा ने कई तरह के जल संरक्षण को लेकर प्लान बनाया है जिन्हें अमलीजामा पहनाया जा रहा है.
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के डीआरएम सुरेश कुमार सपरा के मुताबिक पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में मंडल प्रशासन की ओर से तमाम प्लान तैयार किए गए हैं. कई पर काम चल रहा है, जबकि कई योजनाएं पाइप लाइन में हैं, जो जल्द ही धरातल पर उतरेंगी. डीआरएम के मुताबिक, प्रयागघाट रेलवे स्टेशन की वॉशिंग लाइन पर 250 केएलडी का एनवायरनमेंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का काम शुरू कर दिया है. जीरो वेस्ट प्रबंधन के तहत बनारस कैंट स्टेशन पर अपशिष्टों के निस्तारण के लिए प्लांट लगाया जा रहा है. वाटर रिसाइकिलिंग पर भी तेजी से ध्यान दिया जा रहा है.
वर्षा जल संचयन के लिए कॉलोनियों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाए जाएंगे. कुल 29 स्थानों पर इस तरह के प्लांट लगेंगे. इससे वर्षा का जल संरक्षित किया जा सकेगा. 27 प्लांट रेलवे कॉलोनियों में तो एक प्लांट डीआरएम दफ्तर और एक प्लांट चारबाग रेलवे स्टेशन पर लगेगा. रेलवे कॉलोनियों में इन प्लांटों के लग जाने से भूगर्भ जल के स्तर को भी बढ़ाने में मदद मिलेगी. चारबाग रेलवे स्टेशन पर नार्थ कोचिंग कॉम्प्लेक्स में 200 केएलडी व न्यू वॉशिंग लाइन सदर में 150 केएलडी क्षमता का संयंत्र लगेगा.
डीआरएम ने बताया कि ट्रेन के कोचेज की धुलाई के लिए वाॅशिंग लाइन का पानी काफी मात्रा में व्यर्थ जाता है. उस पानी को इकट्ठा करके और उसका शुद्धिकरण करके रिसाइकिल करने की योजना बनाई गई है. यह प्रणाली हमारी वाराणसी स्टेशन पर शुरू हो चुकी है. इसकी कैपेसिटी 550 किलो लीटर प्रतिदिन है. वहां पर वाॅशिंग लाइन से जो पानी निकलता है. पानी को शुद्ध करके फिर से धुलाई के काम और गार्डनिंग के काम में आता है.
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डीआरएम सुरेश कुमार सपरा ने बताया कि पीने के पानी के लिए छोटे स्टेशनों पर हैंडपंप होते हैं. हम जहां भी बोरिंग करते हैं वहां पर हैंडपंप के लिए पानी की क्वालिटी चेक कर लेते हैं. उसके बाद ही हैंडपंप चालू करते हैं. ग्राउंड वाटर सामान्यता पीने के लिए ठीक होता है. 40 फीट, 50 फीट कई बार 100 फीट डेप्थ तक जाकर हम पानी को टैप करते हैं. पंप की सप्लाई के माध्यम से मीडियम टाइप के स्टेशनों पर भी पानी का ट्रीटमेंट चाहिए, वह दिया जाता है. इसके समय-समय पर टेस्ट भी किए जाते हैं. कहीं कोई कमी पाई जाती है तो उस पर काम होता है.
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