लखनऊ : एक तरफ उत्तर प्रदेश की राजधानी के पहले एसी कैसरबाग बस स्टेशन (Kaiserbagh Bus Station) पर बिजली की कमी से यात्रियों को एसी मयस्सर नहीं है. चिपचिपाती गर्मी में बस का इंतजार करना पड़ता है, वहीं दूसरी तरफ बस स्टेशन की बेसमेंट पार्किंग (basement parking) को चार्जिंग प्वाइंट (charging point) बना दिया गया है. "ईटीवी भारत" के पास एक्सक्लूसिव वीडियो है, जिसमें बस स्टेशन की बेसमेंट पार्किंग में बाकायदा ई रिक्शा चार्ज हो रहे हैं. बिजली की लाइन का मीटर तो है, लेकिन ई रिक्शा चार्जिंग (e rickshaw charging) के लिए अलग से तार खींचकर सप्लाई दी गई है. यहां पर ई रिक्शा की चार्जिंग (e rickshaw charging) की जा रही है. इससे बिजली की खपत बढ़ रही है, लेकिन इस ओर बस स्टेशन के जिम्मेदार अधिकारियों का कोई ध्यान ही नहीं है. लखनऊ का कैसरबाग बस स्टेशन प्रदेश का पहला एसी बस स्टेशन है. यह सिर्फ कहने भर के लिए ही ऐसी बस अड्डा है, क्योंकि यहां पर यात्रियों को एसी की हवा फील ही नहीं हो सकती है. पैनल खराब हो चुके हैं, जिससे एसी संचालित नहीं है. शीशे के दरवाजे भी टूट गए हैं. उबलते हुए यात्री बस का इंतजार करते हैं.
अधिकारी कहते हैं कि बिजली का वोल्टेज लो आने के चलते दिक्कत होती है. आखिर वोल्टेज लो हो भी क्यों नहीं, क्योंकि बस स्टेशन के नीचे अंडरग्राउंड पार्किंग में तो बिजली से ई रिक्शा चार्ज (e rickshaw charging) हो रहे हैं. इससे बिजली की खपत में इजाफा हो रहा है. परिवहन निगम के टेंडर में कहीं भी शामिल नहीं है कि बेसमेंट पार्किंग का ठेका लेने वाले ठेकेदार यहां पर ई रिक्शा चार्ज करने के लिए चार्जिंग प्वाइंट (charging point) भी बना सकते हैं, लेकिन जब इस ओर कोई ध्यान देने वाला नहीं है तो ई रिक्शा चार्ज (e rickshaw charging) करके भरपूर फायदा उठाया जा रहा है.
कैसरबाग बस स्टेशन (Kaiserbagh Bus Station) की बेसमेंट पार्किंग (basement parking) में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं. महीनों नहीं बल्कि वर्षों से कंडम गाड़ियां यहां पर खड़ी हैं, फिर चाहे दो पहिया हो, तीन पहिया या फिर चार पहिया. गाड़ियों पर धूल की मोटी परत जम चुकी है, लेकिन पार्किंग के ठेकेदार को यह नहीं मालूम है कि कब से यहां पर यह गाड़ियां खड़ी हैं. हां यह तर्क जरूर है कि थानों में पुलिस के पास जगह नहीं है ऐसे में गाड़ियां यहां पर खड़ी कराई जा रही हैं.
बात अगर सुरक्षा की कि जाए तो बस स्टेशन के नीचे बनी इस पार्किंग में सुरक्षा के कोई मानक हैं ही नहीं. न तो मेटल डिटेक्टर लगा है और न ही वाहनों की चेकिंग का ही कोई इंतजाम है. ऐसे में किसी भी घटना को बड़ी आसानी से अंजाम दिया जा सकता है. कोई भी व्यक्ति विस्फोटक सामग्री लेकर गाड़ी को बेसमेंट पार्किंग (basement parking) में खड़ा करके जा सकता है और बड़ी घटना को आसानी से अंजाम दे सकता है. इससे बस स्टेशन पर बड़ी जनहानि भी हो सकती है. विभागीय अधिकारियों को इसका कोई ख्याल ही नहीं है. कैसरबाग बस स्टेशन (Kaiserbagh Bus Station) की बेसमेंट पार्किंग (basement parking) में अगर आग लगने की घटना हो जाए तो इसे बुझाना भी मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि फायर उपकरण बेसमेंट पार्किंग (basement parking) में हैं ही नहीं.
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जब इस बारे में स्टेशन मैनेजर रमेश सिंह बिष्ट से जानकारी ली गई तो उनका कहना है कि लगातार बिजली फ्लकचुएट होती रहती है. जिसके चलते बस स्टेशन का एसी चलना मुश्किल हो जाता है और पैनल भी काफी पुराने हो गए हैं. जिससे यह दिक्कत हो रही है. बेसमेंट पार्किंग के ठेकेदार के कॉन्ट्रैक्ट में ये बिल्कुल भी शामिल नहीं है कि यहां पर ई रिक्शा चार्ज किए जाएं. सुरक्षा उपकरणों के साथ ही फायर उपकरण अगर यहां पर नहीं है तो इसकी जांच की जाएगी और यहां पर सब कुछ दुरुस्त कराया जाएगा.
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