ETV Bharat / city

'फेसलेस' परीक्षा में 'चेहरा' ही दे रहा धोखा, लाइसेंस हासिल कर पाना अब सपना

परिवहन विभाग की फेसलेस व्यवस्था आवेदकों के लिए बिल्कुल भी राहत वाली साबित नहीं हुई है. यह व्यवस्था परवान चढ़ने के बजाय धरातल पर ही सही से नहीं उतर पाई है. अधिकारी व्यवस्था को बेहतर करते और आवेदकों का इसका लाभ मिले, इसे लेकर भी संजीदा नहीं रहे.

author img

By

Published : Jun 16, 2022, 7:10 PM IST

आरटीओ कार्यालय
आरटीओ कार्यालय

लखनऊ: परिवहन विभाग की फेसलेस व्यवस्था आवेदकों के चेहरों की हवाइयां उड़ा रही है. कई तरह की दिक्कतों की वजह से लाइसेंस हासिल कर पाना अब आवेदकों के लिए सपना हो गया है. फेसलेस व्यवस्था में घर बैठे लाइसेंस तो बन नहीं रहा, आरटीओ की दौड़ भी बेकार जा रही है. आवेदकों के सामने ओटीपी न आने, चेहरा प्रमाणित न हो पाने, परीक्षा में पास होने के बावजूद फेल किए जाने और टेस्ट ही न हो पाने जैसी समस्याएं आ रही हैं. चेहरा डिटेक्ट न कर पाने के कारण चीटिंग दिखाकर आवेदन ही रद्द हो रहे हैं. परिवहन विभाग को भी कुछ समझ नहीं आ रहा है. फिलहाल, अब स्लॉट बढ़ाने पर विचार होने लगा है.

इस तरह की आ रहीं दिक्कतें: अरुण कुमार नाम के आवेदक ने फेसलेस व्यवस्था के तहत पांच जून को लर्नर लाइसेंस के लिए टेस्ट दिया. बकायदा कंप्यूटर के सामने खुद कैमरा ऑन करके बैठे, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद कैमरे ने उनका चेहरा ही रीड नहीं किया. वायलेशन डिस्क्रिप्शन में यह दर्शाया गया कि आवेदक को डिटेक्ट ही नहीं किया जा पा रहा है. आवेदक अनुपस्थित है. थोड़ी देर बाद अरुण ने बैठने के अंदाज में बदलाव किया तो सामने आया कि जो पर्सन डिटेक्ट हुआ है वह अरुण कुमार नहीं बल्कि कोई दूसरा है. इस तरह की समस्या के बाद अरुण कुमार लाइसेंस बनवाने में असफल हुए. इसी तरह 13 जून को मोहम्मद तालिब नाम के आवेदक ने फेसलेस व्यवस्था के तहत टेस्ट देने का प्रयास किया. तमाम प्रयास कर डाले, लेकिन टेस्ट नहीं हो पाया. समस्या सामने आई कि एप्लीकेंट को डिटेक्ट नहीं किया जा सका. यानी चेहरा पढ़ने में कैमरा नाकाम हुआ.

14 जून को विवेक सिंह चौहान नाम के आवेदक ने भी प्रयास किया कि फेसलेस व्यवस्था के चलते समय की बचत की जाए तो उन्होंने भी घर बैठे टेस्ट देना शुरू किया. कंप्यूटर के सामने बैठे, कैमरा ऑन किया, लेकिन फिर वही समस्या आई कि कैमरे पर कोई और व्यक्ति बैठा है. इसके बाद विवेक अनुपस्थित हो गए.

आवेदक गौरव श्रीवास्तव बताते हैं कि 10 जून को लर्नर लाइसेंस अप्लाई किया था. फीस जमा हो गई. डॉक्यूमेंट वेरीफाई हो गए. लर्निंग टेस्ट में भी पास हो गए. उसके बाद मेरा लाइसेंस रिजेक्ट हो गया. कोई कारण भी नहीं बताया गया. तब से परिवहन विभाग की हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करता हूं तो बताया जाता है कि कि सारे अधिकारी अभी व्यस्त हैं. आरटीओ के नंबर पर कॉल करता हूं तो बताया जाता है कि बिल जमा न होने के कारण यहां की टेलीफोन लाइन काट दी गई है, यह तो हाल है यहां पर. मैने इसकी लिखित कंप्लेंट सारथी वेबसाइट पर डाली है, लेकिन वहां से भी अभी कोई जवाब नहीं आया है. फेसलेस व्यवस्था में जब इस तरह की समस्याएं आ रही हैं तो ऐसे में लाइसेंस बने भी तो भला कैसे?

ये भी पढ़ें : अनुसूचित जाति के फर्जी सर्टिफिकेट बन रहे नौकरी का जरिया, अनुसूचित जाति जनजाति आयोग करा रहा जांच

बता दें आरटीओ कार्यालय में लर्नर लाइसेंस के लिए जो टाइम स्लॉट मिलते थे उनकी संख्या घटाकर महज आधा दर्जन कर दी गई. अब न फेसलेस व्यवस्था के जरिए ही लाइसेंस बन पा रहे हैं और ना ही आरटीओ कार्यालय आने के बाद ही लाइसेंस जारी हो सकते हैं. समस्याओं को देखते हुए परिवहन मंत्री ने हाल ही में लाइसेंस के लिये टाइम स्लॉट बढ़ाने के निर्देश भी दिए हैं. सीनियर अधिकारियों का मानना है कि अभी हमारे यहां व्यवस्था इतनी बेहतर नहीं है कि घर बैठे कोई फेसलेस व्यवस्था के तहत अपना टेस्ट देकर लाइसेंस हासिल कर सके. अधिकारी यह भी मानते हैं कि इस व्यवस्था के लागू होने के बाद आवेदक परेशान हो रहे हैं और साइबर कैफे या अन्य स्थानों पर टेस्ट देने के बाद शोषण का शिकार भी हो रहे हैं. उनसे ज्यादा पैसे की वसूली भी हो रही है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ: परिवहन विभाग की फेसलेस व्यवस्था आवेदकों के चेहरों की हवाइयां उड़ा रही है. कई तरह की दिक्कतों की वजह से लाइसेंस हासिल कर पाना अब आवेदकों के लिए सपना हो गया है. फेसलेस व्यवस्था में घर बैठे लाइसेंस तो बन नहीं रहा, आरटीओ की दौड़ भी बेकार जा रही है. आवेदकों के सामने ओटीपी न आने, चेहरा प्रमाणित न हो पाने, परीक्षा में पास होने के बावजूद फेल किए जाने और टेस्ट ही न हो पाने जैसी समस्याएं आ रही हैं. चेहरा डिटेक्ट न कर पाने के कारण चीटिंग दिखाकर आवेदन ही रद्द हो रहे हैं. परिवहन विभाग को भी कुछ समझ नहीं आ रहा है. फिलहाल, अब स्लॉट बढ़ाने पर विचार होने लगा है.

इस तरह की आ रहीं दिक्कतें: अरुण कुमार नाम के आवेदक ने फेसलेस व्यवस्था के तहत पांच जून को लर्नर लाइसेंस के लिए टेस्ट दिया. बकायदा कंप्यूटर के सामने खुद कैमरा ऑन करके बैठे, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद कैमरे ने उनका चेहरा ही रीड नहीं किया. वायलेशन डिस्क्रिप्शन में यह दर्शाया गया कि आवेदक को डिटेक्ट ही नहीं किया जा पा रहा है. आवेदक अनुपस्थित है. थोड़ी देर बाद अरुण ने बैठने के अंदाज में बदलाव किया तो सामने आया कि जो पर्सन डिटेक्ट हुआ है वह अरुण कुमार नहीं बल्कि कोई दूसरा है. इस तरह की समस्या के बाद अरुण कुमार लाइसेंस बनवाने में असफल हुए. इसी तरह 13 जून को मोहम्मद तालिब नाम के आवेदक ने फेसलेस व्यवस्था के तहत टेस्ट देने का प्रयास किया. तमाम प्रयास कर डाले, लेकिन टेस्ट नहीं हो पाया. समस्या सामने आई कि एप्लीकेंट को डिटेक्ट नहीं किया जा सका. यानी चेहरा पढ़ने में कैमरा नाकाम हुआ.

14 जून को विवेक सिंह चौहान नाम के आवेदक ने भी प्रयास किया कि फेसलेस व्यवस्था के चलते समय की बचत की जाए तो उन्होंने भी घर बैठे टेस्ट देना शुरू किया. कंप्यूटर के सामने बैठे, कैमरा ऑन किया, लेकिन फिर वही समस्या आई कि कैमरे पर कोई और व्यक्ति बैठा है. इसके बाद विवेक अनुपस्थित हो गए.

आवेदक गौरव श्रीवास्तव बताते हैं कि 10 जून को लर्नर लाइसेंस अप्लाई किया था. फीस जमा हो गई. डॉक्यूमेंट वेरीफाई हो गए. लर्निंग टेस्ट में भी पास हो गए. उसके बाद मेरा लाइसेंस रिजेक्ट हो गया. कोई कारण भी नहीं बताया गया. तब से परिवहन विभाग की हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करता हूं तो बताया जाता है कि कि सारे अधिकारी अभी व्यस्त हैं. आरटीओ के नंबर पर कॉल करता हूं तो बताया जाता है कि बिल जमा न होने के कारण यहां की टेलीफोन लाइन काट दी गई है, यह तो हाल है यहां पर. मैने इसकी लिखित कंप्लेंट सारथी वेबसाइट पर डाली है, लेकिन वहां से भी अभी कोई जवाब नहीं आया है. फेसलेस व्यवस्था में जब इस तरह की समस्याएं आ रही हैं तो ऐसे में लाइसेंस बने भी तो भला कैसे?

ये भी पढ़ें : अनुसूचित जाति के फर्जी सर्टिफिकेट बन रहे नौकरी का जरिया, अनुसूचित जाति जनजाति आयोग करा रहा जांच

बता दें आरटीओ कार्यालय में लर्नर लाइसेंस के लिए जो टाइम स्लॉट मिलते थे उनकी संख्या घटाकर महज आधा दर्जन कर दी गई. अब न फेसलेस व्यवस्था के जरिए ही लाइसेंस बन पा रहे हैं और ना ही आरटीओ कार्यालय आने के बाद ही लाइसेंस जारी हो सकते हैं. समस्याओं को देखते हुए परिवहन मंत्री ने हाल ही में लाइसेंस के लिये टाइम स्लॉट बढ़ाने के निर्देश भी दिए हैं. सीनियर अधिकारियों का मानना है कि अभी हमारे यहां व्यवस्था इतनी बेहतर नहीं है कि घर बैठे कोई फेसलेस व्यवस्था के तहत अपना टेस्ट देकर लाइसेंस हासिल कर सके. अधिकारी यह भी मानते हैं कि इस व्यवस्था के लागू होने के बाद आवेदक परेशान हो रहे हैं और साइबर कैफे या अन्य स्थानों पर टेस्ट देने के बाद शोषण का शिकार भी हो रहे हैं. उनसे ज्यादा पैसे की वसूली भी हो रही है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.