लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अफसरों की मनमानी की वजह से ₹16 करोड़ की सरकारी दवाएं गोदाम में रखे रखे खराब हो गई थीं. जब उत्तर प्रदेश सरकार के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक (Deputy CM Brijesh Pathak) ने मेडिकल काॅरपोरेशन (medical corporation) के गोदाम में छापा मारा तो उन्हें ₹16 करोड़ की दवाएं मिली थीं. उन्होंने इसकी उच्च स्तरीय जांच के आदेश भी दिए थे, लेकिन तीन महीने से अधिक समय व्यतीत होने के बाद भी जांच रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आ पाई. स्वास्थ्य विभाग से जुड़े उच्च स्तरीय सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों ने इस पूरी जांच रिपोर्ट को दबा दिया है. 16 करोड़ की दवाएं (medicines of 16 crore) एक तरफ जहां खराब हो गईं और मरीजों को मिल नहीं पाईं वहीं दूसरी तरफ सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान भी हुआ है.
स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि मई 2022 में जब डिप्टी सीएम बृजेश पाठक (Deputy CM Brijesh Pathak) के इस पूरे मामले का पर्दाफाश किया था तब ₹16 करोड़ 40 लाख की दवाएं एक्सपायर मिली थीं. उसके बाद विभागीय अधिकारियों और खासकर मेडिकल काॅरपोरेशन (medical corporation) के अधिकारियों में हड़कंप मच गया था. उप मुख्यमंत्री के निर्देश पर एक जांच कमेटी का गठन किया गया था. जो तथ्य संज्ञान में आए हैं उसके अनुसार, जांच कमेटी के अध्यक्ष सचिव स्वास्थ्य प्रांजल यादव ने एक रिपोर्ट बनाई थी, जिसमें तमाम तरह की गड़बड़ी थी. सही रिपोर्ट ना होने की वजह से उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक (Deputy CM Brijesh Pathak) ने इस जांच रिपोर्ट को वापस भेज कर सही जांच रिपोर्ट तलब की है.
सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले में शासन स्तर पर सही जांच ना किए जाने की बात सामने आ रही है. मेडिकल काॅरपोरेशन के अधिकारियों को बचाने की कोशिश हो रही है. देखना दिलचस्प होगा कि अभी कितना और समय लगता है जब इस पूरे मामले की सही जांच होती है और दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हो पाती है. इस पूरे मामले में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक (Deputy CM Brijesh Pathak) का कहना है कि एक्सपायरी दवाओं के मामले (cases of expired drugs) में जांच हो रही है, जल्द ही जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने कहा कि यह बात सही है कि जो दवाएं डिप्टी सीएम बृजेश पाठक (Deputy CM Brijesh Pathak) के छापे के दौरान पाई गई थीं वह एक्सपायरी हो गई थीं. मैं कहना चाहता हूं कि जब से यह मेडिकल काॅरपोरेशन दवा खरीद के लिए बना है, तबसे अनियमितता बहुत हो रही है. पहले विभाग दवाएं खरीदता था और दवाएं अस्पतालों में सप्लाई होती थी, लेकिन जब से मेडिकल काॅरपोरेशन (medical corporation) बना है दवाइयों की खरीद में तमाम तरह की अनियमितता की बात समय-समय पर आती रहती है. काॅरपोरेशन के जो अधिकारी हैं वह अपने हिसाब से दवाएं खरीद रहे हैं. दवाएं खरीदकर डंप कर लेते हैं और अस्पतालों को भेजते नहीं हैं. काॅरपोरेशन के अधिकारियों पर निश्चित रूप से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. दवाइयाें के एक्सपायर होने से सरकार को राजस्व की बड़ी हानि हुई है. प्रदेश की जनता को अस्पतालों में दवाई मिल नहीं रही है वहीं दूसरी तरफ सिर्फ गोदाम में रखे रखे 16 करोड़ से अधिक की दवाएं खराब हो जाएं यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. प्रदेश के मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ जैसा है. उप मुख्यमंत्री ने तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद से जांच कराने के लिए निर्देशित किया था एक जांच कमेटी का गठन भी किया गया था, लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं की गई है. जांच रिपोर्ट एक बार बनाई गई उसमें लीपापोती की गई तो डिप्टी सीएम के स्तर पर उसे फिर वापस किया गया और सही रिपोर्ट मांगी गई है.
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जेएन तिवारी कहते हैं कि हमारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) से मांग है कि इस पूरे मामले को देखें और जो दवाएं खराब हो गई थीं उसमें जिसकी भी जिम्मेदारी बनती है उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) की जीरो टॉलरेंस की नीति (zero tolerance policy) है उसके अनुरूप ही सभी जगह पर कार्य होना चाहिए नहीं तो उसका संदेश ठीक नहीं जाएगा.
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