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एक्सक्लूसिव: रोडवेज के अधिकारियों ने चोरी के आरोपी को ही थमा दी डीजल टैंक की कमान

यूपी रोडवेज में अब भी धड़ल्ले से डीजल चोरी हो रहा है. परिवहन विभाग के अधिकारियों ने एक ऐसे परिचालक को डीजल टैंक की कमान थमा दी है, जो डीजल चोरी के मामले में पहले सस्पेंड किया गया था.

officers given control of diesel tank to theft accused in upsrtc lucknow
officers given control of diesel tank to theft accused in upsrtc lucknow
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Published : Sep 22, 2021, 5:42 PM IST

लखनऊ: रोडवेज बसों से डीजल चोरी के मामले में अब तक कई ड्राइवर और कंडक्टरों की नौकरी जा चुकी है. तमाम चालक-परिचालकों से डीजल चोरी के एवज में रिकवरी भी हुई है. कई अधिकारी भी सस्पेंड हो चुके हैं, लेकिन अब भी धड़ल्ले से डीजल चोरी हो रही है. परिवहन विभाग के अधिकारियों ने एक ऐसे परिचालक को डीजल टैंक की कमान थमा दी है, जो खुद डीजल चोरी के मामले में पहले सस्पेंड हो चुका है. 'ईटीवी भारत' के पास लखनऊ के हैदरगढ़ डिपो से डीजल चोरी का वह वीडियो है, जिसमें बस में ज्यादा डीजल फिल कराने के बाद एक कनस्तर में वापस डीजल निकालकर चोरी की जा रही है. अधिकारियों ने मामले की जांच भी की, लेकिन कमीशनखोरी के इस खेल में परिचालक को अभयदान दे दिया गया. 'ईटीवी भारत' जब यह प्रकरण अधिकारियों के संज्ञान में लाया, तो अब जांच कर कार्रवाई किए जाने की बात कही जा रही है.

जानकारी देते लखनऊ रीजन के क्षेत्रीय प्रबंधक पल्लव कुमार बोस

डीजल चोरी का यह वीडियो लखनऊ परिक्षेत्र के हैदरगढ़ डिपो का है. इस वीडियो में साफतौर पर देखा जा सकता है कि किस तरह डिपो के अंदर ही डीजल चोरी कराई जा रही है. बाकायदा इसमें एक परिचालक जिसे अधिकारियों ने बस संचालन के बजाय डीजल टैंक की कमान सौंप रखी है. वह अन्य परिचालकों के साथ मिलकर बसों में डीजल भराने के बाद कैसे तेल वापस निकालकर चोरी करा रहा है. हैदरगढ़ डिपो के इस परिचालक/ड्यूटी लिपिक का नाम है शिव कुमार. वीडियो भले कई माह पहले का है, लेकिन यह मामला अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद बाहर नहीं आया. इसकी जांच करके लीपापोती कर मामले को ही रफा-दफा कर दिया गया.

अब जब फिर से रोडवेज के अधिकारी चालक-परिचालकों पर डीजल चोरी के एवज में कार्रवाई और रिकवरी का दबाव बना रहे हैं, तो 'ईटीवी भारत' को यह वीडियो हाथ लगा है, जिसमें जिम्मेदार ही कमीशनखोरी के चक्कर में डिपो के अंदर डीजल चोरी की कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं.हैदरगढ़ डिपो के अंदर डीजल चोरी के लिए रोडवेज बसें इस्तेमाल की जाती हैं. इस वीडियो में यूपी 33 टी 4274 बस के संविदा चालक पवन कुमार मिश्रा रूट से संचालित कर हैदरगढ़ डिपो के अंदर डीजल टैंक पर लाते हैं. बस में डीजल भराते हैं. डीजल लिपिक शिवकुमार साथ खड़े हुए नजर आ रहे हैं. बस में 170 लीटर डीजल भरा दिखाया गया और मीटर भी 170 लीटर ही शो कर रहा है. यह बस 944 किलोमीटर संचालित हुई और औसत 5.55 किलोमीटर प्रति लीटर आया, लेकिन यहीं के मैकेनिक ने सीनियर फोरमैन को जानकारी दी कि बस संख्या 4274 में डीजल भरते समय पांच लीटर डीजल मेजर में भर लिया गया.

लखनऊ में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निमग का कार्यालय
लखनऊ में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निमग का कार्यालय

डीजल चोरी के इस खेल में हर माह लाखों का वारा-न्यारा होता है. सूत्र बताते हैं इस खेल में नीचे से ऊपर तक सभी शामिल हैं.सीनियर फोरमैन ने सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक को पत्र लिखा, जिसमें जिक्र किया गया कि इस बारे में डीजल लिपिक शिवकुमार से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वाहन में डीजल भरते समय ज्यादा डीजल भर गया उसे वाहन से निकलवा लिया गया और डीजल टैंक में डाल दिया गया. उनसे कहा गया कि डीजल इसी तरह रहने दीजिए, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक के आने पर निस्तारण होगा, लेकिन डीजल लिपिक शिवकुमार ने पहले ही डीजल टैंक में डीजल डलवा दिया.

सीसीटीवी कैमरे में जब फुटेज देखी गई, तो उसने साफतौर पर दिख रहा है कि पांच लीटर के मेजर में डीजल निकाला गया है. यह निकाला हुआ डीजल पीछे खड़ी बस यूपी 33 टी 1902 जिस पर चालक रमाशंकर मिश्रा तैनात थे, में डालने का प्रयास किया जा रहा था. वहां पर एक कर्मचारी के आ जाने के बाद डीजल मशीन के पास रख दिया गया. रजिस्टर पर बस संख्या 4274 में डीजल भरते समय 170 लीटर और मीटर 4076676 दिखाया गया है, जबकि मीटर को देखने पर उस पर 4076671.49 है. रजिस्टर और मीटर में भिन्नता पाई गई. इस कृत्य में डीजल लिपिक शिवकुमार, संविदा चालक पवन कुमार मिश्रा और रमाशंकर मिश्रा की मिलीभगत उजागर हुई है.



गौर करने वाली बात है कि जिस परिचालक शिवकुमार को डीजल टैंकर पर ड्यूटी लिपिक की जिम्मेदारी सौंप दी गई है, वह चारबाग डिपो में साल 2015 में डीजल के ही मामले में दोषी पाया गया था. दरअसल, उस समय डिपो के डीजल टैंक के बजाय बाहर के फिलिंग स्टेशनों से बसों में डीजल फिल कराने का आदेश हुआ था. इस दौरान सुल्तानपुर में तैनात रहे शिव कुमार ने जमकर घपला किया था. जांच में दोषी पाए जाने पर उसे सस्पेंड कर दिया गया था. चार साल तक सस्पेंड रहने के बाद 2019 में ही बहाली हुई. इस दौरान प्रमोशन भी रोक दिया गया. बहाली के बाद अधिकारियों ने उसे डीजल की ही कमान सौंप दी. यह अपने आप में ही बताता है कि कमीशनखोरी का खेल किस स्तर का है.


इस बारे में जब उपनगरीय डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक काशी प्रसाद से 'ईटीवी भारत' ने फोन पर बात की तो उनका कहना है कि मामला पहले का है. जांच की गई, लेकिन उसमें कुछ ऐसा नहीं पाया गया. जब एआरएम से पूछा कि जब साफतौर पर वीडियो में डीजल चोरी कराते वक्त ड्यूटी लिपिक शिव कुमार मौजूद हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई? इस पर सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक ने मामले की पुनः जांच कराकर कार्रवाई की बात कही है.

ये भी पढ़ें- जानिए महंत गिरि ने क्यों चुना नीबू के पेड़ के नीचे अपना समाधि स्थल, क्या है इसके पीछे का राज


इस मामले में लखनऊ रीजन के क्षेत्रीय प्रबंधक पल्लव कुमार बोस का कहना है कि आपके माध्यम से यह मामला संज्ञान में आया है. यह काफी गंभीर है. डीजल चोरी के मामले में जो पहले ही सस्पेंड हो चुका है, उसे डीजल भरने की ड्यूटी में फिर से क्यों लगाया गया? इसकी जांच कराई जाएगी. दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी.

लखनऊ: रोडवेज बसों से डीजल चोरी के मामले में अब तक कई ड्राइवर और कंडक्टरों की नौकरी जा चुकी है. तमाम चालक-परिचालकों से डीजल चोरी के एवज में रिकवरी भी हुई है. कई अधिकारी भी सस्पेंड हो चुके हैं, लेकिन अब भी धड़ल्ले से डीजल चोरी हो रही है. परिवहन विभाग के अधिकारियों ने एक ऐसे परिचालक को डीजल टैंक की कमान थमा दी है, जो खुद डीजल चोरी के मामले में पहले सस्पेंड हो चुका है. 'ईटीवी भारत' के पास लखनऊ के हैदरगढ़ डिपो से डीजल चोरी का वह वीडियो है, जिसमें बस में ज्यादा डीजल फिल कराने के बाद एक कनस्तर में वापस डीजल निकालकर चोरी की जा रही है. अधिकारियों ने मामले की जांच भी की, लेकिन कमीशनखोरी के इस खेल में परिचालक को अभयदान दे दिया गया. 'ईटीवी भारत' जब यह प्रकरण अधिकारियों के संज्ञान में लाया, तो अब जांच कर कार्रवाई किए जाने की बात कही जा रही है.

जानकारी देते लखनऊ रीजन के क्षेत्रीय प्रबंधक पल्लव कुमार बोस

डीजल चोरी का यह वीडियो लखनऊ परिक्षेत्र के हैदरगढ़ डिपो का है. इस वीडियो में साफतौर पर देखा जा सकता है कि किस तरह डिपो के अंदर ही डीजल चोरी कराई जा रही है. बाकायदा इसमें एक परिचालक जिसे अधिकारियों ने बस संचालन के बजाय डीजल टैंक की कमान सौंप रखी है. वह अन्य परिचालकों के साथ मिलकर बसों में डीजल भराने के बाद कैसे तेल वापस निकालकर चोरी करा रहा है. हैदरगढ़ डिपो के इस परिचालक/ड्यूटी लिपिक का नाम है शिव कुमार. वीडियो भले कई माह पहले का है, लेकिन यह मामला अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद बाहर नहीं आया. इसकी जांच करके लीपापोती कर मामले को ही रफा-दफा कर दिया गया.

अब जब फिर से रोडवेज के अधिकारी चालक-परिचालकों पर डीजल चोरी के एवज में कार्रवाई और रिकवरी का दबाव बना रहे हैं, तो 'ईटीवी भारत' को यह वीडियो हाथ लगा है, जिसमें जिम्मेदार ही कमीशनखोरी के चक्कर में डिपो के अंदर डीजल चोरी की कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं.हैदरगढ़ डिपो के अंदर डीजल चोरी के लिए रोडवेज बसें इस्तेमाल की जाती हैं. इस वीडियो में यूपी 33 टी 4274 बस के संविदा चालक पवन कुमार मिश्रा रूट से संचालित कर हैदरगढ़ डिपो के अंदर डीजल टैंक पर लाते हैं. बस में डीजल भराते हैं. डीजल लिपिक शिवकुमार साथ खड़े हुए नजर आ रहे हैं. बस में 170 लीटर डीजल भरा दिखाया गया और मीटर भी 170 लीटर ही शो कर रहा है. यह बस 944 किलोमीटर संचालित हुई और औसत 5.55 किलोमीटर प्रति लीटर आया, लेकिन यहीं के मैकेनिक ने सीनियर फोरमैन को जानकारी दी कि बस संख्या 4274 में डीजल भरते समय पांच लीटर डीजल मेजर में भर लिया गया.

लखनऊ में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निमग का कार्यालय
लखनऊ में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निमग का कार्यालय

डीजल चोरी के इस खेल में हर माह लाखों का वारा-न्यारा होता है. सूत्र बताते हैं इस खेल में नीचे से ऊपर तक सभी शामिल हैं.सीनियर फोरमैन ने सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक को पत्र लिखा, जिसमें जिक्र किया गया कि इस बारे में डीजल लिपिक शिवकुमार से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वाहन में डीजल भरते समय ज्यादा डीजल भर गया उसे वाहन से निकलवा लिया गया और डीजल टैंक में डाल दिया गया. उनसे कहा गया कि डीजल इसी तरह रहने दीजिए, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक के आने पर निस्तारण होगा, लेकिन डीजल लिपिक शिवकुमार ने पहले ही डीजल टैंक में डीजल डलवा दिया.

सीसीटीवी कैमरे में जब फुटेज देखी गई, तो उसने साफतौर पर दिख रहा है कि पांच लीटर के मेजर में डीजल निकाला गया है. यह निकाला हुआ डीजल पीछे खड़ी बस यूपी 33 टी 1902 जिस पर चालक रमाशंकर मिश्रा तैनात थे, में डालने का प्रयास किया जा रहा था. वहां पर एक कर्मचारी के आ जाने के बाद डीजल मशीन के पास रख दिया गया. रजिस्टर पर बस संख्या 4274 में डीजल भरते समय 170 लीटर और मीटर 4076676 दिखाया गया है, जबकि मीटर को देखने पर उस पर 4076671.49 है. रजिस्टर और मीटर में भिन्नता पाई गई. इस कृत्य में डीजल लिपिक शिवकुमार, संविदा चालक पवन कुमार मिश्रा और रमाशंकर मिश्रा की मिलीभगत उजागर हुई है.



गौर करने वाली बात है कि जिस परिचालक शिवकुमार को डीजल टैंकर पर ड्यूटी लिपिक की जिम्मेदारी सौंप दी गई है, वह चारबाग डिपो में साल 2015 में डीजल के ही मामले में दोषी पाया गया था. दरअसल, उस समय डिपो के डीजल टैंक के बजाय बाहर के फिलिंग स्टेशनों से बसों में डीजल फिल कराने का आदेश हुआ था. इस दौरान सुल्तानपुर में तैनात रहे शिव कुमार ने जमकर घपला किया था. जांच में दोषी पाए जाने पर उसे सस्पेंड कर दिया गया था. चार साल तक सस्पेंड रहने के बाद 2019 में ही बहाली हुई. इस दौरान प्रमोशन भी रोक दिया गया. बहाली के बाद अधिकारियों ने उसे डीजल की ही कमान सौंप दी. यह अपने आप में ही बताता है कि कमीशनखोरी का खेल किस स्तर का है.


इस बारे में जब उपनगरीय डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक काशी प्रसाद से 'ईटीवी भारत' ने फोन पर बात की तो उनका कहना है कि मामला पहले का है. जांच की गई, लेकिन उसमें कुछ ऐसा नहीं पाया गया. जब एआरएम से पूछा कि जब साफतौर पर वीडियो में डीजल चोरी कराते वक्त ड्यूटी लिपिक शिव कुमार मौजूद हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई? इस पर सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक ने मामले की पुनः जांच कराकर कार्रवाई की बात कही है.

ये भी पढ़ें- जानिए महंत गिरि ने क्यों चुना नीबू के पेड़ के नीचे अपना समाधि स्थल, क्या है इसके पीछे का राज


इस मामले में लखनऊ रीजन के क्षेत्रीय प्रबंधक पल्लव कुमार बोस का कहना है कि आपके माध्यम से यह मामला संज्ञान में आया है. यह काफी गंभीर है. डीजल चोरी के मामले में जो पहले ही सस्पेंड हो चुका है, उसे डीजल भरने की ड्यूटी में फिर से क्यों लगाया गया? इसकी जांच कराई जाएगी. दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी.

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