लखनऊ: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून यानी मनरेगा (National Rural Employment Guarantee Act) के अंतर्गत होने वाले कामकाज को पारदर्शी बनाया जा रहा है. अब मनरेगा के कामों में जनप्रतिनिधियों और अफसरों के रिश्तेदारों की फर्म का खेल नहीं चल पाएगा.
मनरेगा के कामकाज के लिए जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के रिश्तेदारों की फर्म काम नहीं कर पाएंगी. अभी तक काम करने वाली फर्मों की जांच के आदेश दिए गए हैं. आने वाले समय में इस धांधली पर पूरी तरह से शिकंजा कसने की तैयारी शासन स्तर पर की गई है. विधायक, सांसद, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष सहित अन्य जनप्रतिनिधियों या अफसरों के करीबी रिश्तेदारों के नाम पर पंजीकृत फर्म को अब मनरेगा में काम नहीं दिए जाएंगे.
रजिस्टर्ड फर्म के बारे में पूरी छानबीन करने के बाद ही काम दिया जाएगा. मनरेगा के अधिकारियों और कर्मचारियों के रिश्तेदारों के नाम से पंजीकृत फर्म से आपूर्ति को पूरी तरह से बंद करने के आदेश दे दिए गए हैं. ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया है कि सभी जिलाधिकारियों को मनरेगा के अंतर्गत काम करने वाली रजिस्टर्ड फर्म की पूरी छानबीन के निर्देश दिए गए हैं.
उन्होंने कहा कि नेता, अधिकारी या कर्मचारी के पिता, चाचा, मामा, पुत्र, भाई, भतीजा, चचेरा भाई, ममेरा भाई, बहनोई, पति, पति का भाई, पत्नी की बहन, पति की बहन, पत्नी, पुत्री, पुत्र वधू, चचेरे-ममेरे भाई की पत्नी, चाची सहित अन्य सगे संबंधियों के नाम पर छानबीन की जाएगी. ऐसी फर्म को दिए जाने वाले कामकाज बंद किए जाएंगे.
पिछले कुछ दिनों में ये बात सामने आई कि विभाग के अधिकारी और नेताओं के करीबी रिश्तेदारों ने फर्म रजिस्टर करके मनरेगा के कामकाज में घालमेल किया गया है. विभागीय अधिकारियों के संरक्षण के कारण कार्रवाई नहीं की गई. अब जिलाधिकारियों के स्तर पर जांच करके, कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं.
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