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मुलायम सिंह यादव अपने पूरे जीवन काल में छात्र नेताओं के अभिभावक रहे, लविवि से रहा खास जुड़ाव

लखनऊ यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र नेता व मौजूदा समय में भूगर्भ विभाग के प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह बताते हैं कि मुलायम सिंह छात्र नेताओं के एक बुलावे पर लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) पहुंच जाते थे. जिस समय वह क्रांति रथ से प्रदेश को मथने में लग हुए थे. उस समय छात्रावास खाली कराए जाने पर आंदोलित छात्रों की सूचना पर मुलायम सिंह 17 सितम्बर 1989 को तत्काल कुलपति आवास पहुंच गए थे.

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Published : Oct 13, 2022, 4:19 PM IST

लखनऊ : सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं. उनके जैसे नेता के जाने के बाद भी लोग उनको याद कर रहे हैं. लखनऊ यूनिवर्सिटी से जुड़े पूर्व छात्र नेताओं व मौजूद छात्र नेताओं के बीच में उनके किस्से आज भी सुने जा सकते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Former Chief Minister Mulayam Singh Yadav) चाहे सत्ता में रहे हों, या सत्ता के बाहर, वह हमेशा छात्र-छात्राओं के अभिभावक के रूप में नजर आए. लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेताओं का उनसे खास जुड़ाव रहा है. उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक करियर के दौरान एलयू के कई छात्र नेताओं को सत्ता के गलियारे तक पहुंचाया.

एक आवाज़ पर कैंपस आ जाते थे नेताजी : लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता व मौजूदा समय में भूगर्भ विभाग के प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह बताते हैं कि मुलायम सिंह छात्र नेताओं के एक बुलावे पर लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) पहुंच जाते थे. जिस समय वह क्रांति रथ से प्रदेश को मथने में लग हुए थे. उस समय छात्रावास खाली कराए जाने पर आंदोलित छात्रों की सूचना पर मुलायम सिंह 17 सितम्बर 1989 को तत्काल कुलपति आवास पहुंच गए थे. उन्होंने बताया कि उस वक्त प्रो. हरिकृष्ण अवस्थी कुलपति थे.

जानकारी देते लखनऊ विश्वविद्यालय भूगर्भ विभाग के प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह

उन्होंने 13 अगस्त 1989 को छात्रावास खाली कराने का आदेश जारी किया था. उसके विरोध में हजारों छात्र-छात्राएं विवि मार्ग स्थित कुलपति आवास के सामने अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए. छात्रावास खाली कराने के खिलाफ शुरू हुए छात्र-छात्राओं के आंदोलन की सूचना पर मुलायम सिंह सीधे कुलपति आवास पहुंच गए. उन्होंने 55 मिनट छात्रों को सम्बोधित किया. इस दौरान आह्वान करते हुए कहा कि छात्रों और युवाओं हमारी ताकत बनो. इसी आह्वान के बाद प्रदेश के युवाओं और छात्रों ने उन्हें अपना अभिभावक मान लिया था. 'जिसका जलवा कायम है, उसका नाम मुलायम है". 17 सितंबर 1989 में छात्रों ने आह्वान किया. मुलायम सिंह ने उस वक्त आंदोलित छात्रों के तरफ से कुलपति हरिकृष्ण अवस्थी से कहा था कि यह आपके बच्चे हैं, इनकी बात सुनें.

यह भी पढ़ें : एकेटीयू में 15 अक्टूबर को होने वाली अतिरिक्त कैरी ओवर की परीक्षा स्थगित

कई छात्र नेताओं को आगे का प्लेटफार्म दिया : प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह बताते हैं कि नेताजी राजनीति के दिग्गज माने जाते थे, उनमें छात्र छात्राओं को जोड़ने की बेजोड़ कला थी. उन्होंने विश्वविद्यालय छात्र संघ नेताओं को जोड़ने का काम किया, जो प्रदेश के किसी राजनीतिक पार्टी ने नहीं किया. जनता दल के गठन के बाद मुलायम सिंह की निगाह विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों में तैयार हो रहे राजनेताओं पर थी. लखनऊ में सबसे पहले उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के महामंत्री रविदास मेहरोत्रा को 1989 के विधानसभा चुनाव में लखनऊ की पूर्वी विधानसभा से टिकट दिया. रविदास मल्होत्रा ने इस चुनाव में प्रदेश के तत्कालीन गृह मंत्री स्वरूप कुमार बख्शी को हराकर अपना परचम लहराया था. यहीं से छात्र नेताओं को जोड़ने की शुरुआत हुई. इसके बाद विश्वविद्यालय के महामंत्री अरविंद सिंह गोप को सक्रिय राजनीति में लाए, वहीं कुंवर शैलेंद्र सिंह को लोहिया वाहिनी का अध्यक्ष बनाया. यह मुलायम सिंह की ही देन थी कि लखनऊ विश्वविद्यालय से राजपाल कश्यप, राम सिंह राणा, पवन पांडे, बृजेश यादव व धनंजय जैसे लोग समाजवादी पार्टी से जुड़े और राजनीति में अपना नया मुकाम बनाया. मुलायम सिंह यादव ने इन्हें विश्वविद्यालय से निकालकर अपने संगठन के विभिन्न पदों का दायित्व दिया था.

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लखनऊ : सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं. उनके जैसे नेता के जाने के बाद भी लोग उनको याद कर रहे हैं. लखनऊ यूनिवर्सिटी से जुड़े पूर्व छात्र नेताओं व मौजूद छात्र नेताओं के बीच में उनके किस्से आज भी सुने जा सकते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Former Chief Minister Mulayam Singh Yadav) चाहे सत्ता में रहे हों, या सत्ता के बाहर, वह हमेशा छात्र-छात्राओं के अभिभावक के रूप में नजर आए. लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेताओं का उनसे खास जुड़ाव रहा है. उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक करियर के दौरान एलयू के कई छात्र नेताओं को सत्ता के गलियारे तक पहुंचाया.

एक आवाज़ पर कैंपस आ जाते थे नेताजी : लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता व मौजूदा समय में भूगर्भ विभाग के प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह बताते हैं कि मुलायम सिंह छात्र नेताओं के एक बुलावे पर लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) पहुंच जाते थे. जिस समय वह क्रांति रथ से प्रदेश को मथने में लग हुए थे. उस समय छात्रावास खाली कराए जाने पर आंदोलित छात्रों की सूचना पर मुलायम सिंह 17 सितम्बर 1989 को तत्काल कुलपति आवास पहुंच गए थे. उन्होंने बताया कि उस वक्त प्रो. हरिकृष्ण अवस्थी कुलपति थे.

जानकारी देते लखनऊ विश्वविद्यालय भूगर्भ विभाग के प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह

उन्होंने 13 अगस्त 1989 को छात्रावास खाली कराने का आदेश जारी किया था. उसके विरोध में हजारों छात्र-छात्राएं विवि मार्ग स्थित कुलपति आवास के सामने अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए. छात्रावास खाली कराने के खिलाफ शुरू हुए छात्र-छात्राओं के आंदोलन की सूचना पर मुलायम सिंह सीधे कुलपति आवास पहुंच गए. उन्होंने 55 मिनट छात्रों को सम्बोधित किया. इस दौरान आह्वान करते हुए कहा कि छात्रों और युवाओं हमारी ताकत बनो. इसी आह्वान के बाद प्रदेश के युवाओं और छात्रों ने उन्हें अपना अभिभावक मान लिया था. 'जिसका जलवा कायम है, उसका नाम मुलायम है". 17 सितंबर 1989 में छात्रों ने आह्वान किया. मुलायम सिंह ने उस वक्त आंदोलित छात्रों के तरफ से कुलपति हरिकृष्ण अवस्थी से कहा था कि यह आपके बच्चे हैं, इनकी बात सुनें.

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कई छात्र नेताओं को आगे का प्लेटफार्म दिया : प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह बताते हैं कि नेताजी राजनीति के दिग्गज माने जाते थे, उनमें छात्र छात्राओं को जोड़ने की बेजोड़ कला थी. उन्होंने विश्वविद्यालय छात्र संघ नेताओं को जोड़ने का काम किया, जो प्रदेश के किसी राजनीतिक पार्टी ने नहीं किया. जनता दल के गठन के बाद मुलायम सिंह की निगाह विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों में तैयार हो रहे राजनेताओं पर थी. लखनऊ में सबसे पहले उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के महामंत्री रविदास मेहरोत्रा को 1989 के विधानसभा चुनाव में लखनऊ की पूर्वी विधानसभा से टिकट दिया. रविदास मल्होत्रा ने इस चुनाव में प्रदेश के तत्कालीन गृह मंत्री स्वरूप कुमार बख्शी को हराकर अपना परचम लहराया था. यहीं से छात्र नेताओं को जोड़ने की शुरुआत हुई. इसके बाद विश्वविद्यालय के महामंत्री अरविंद सिंह गोप को सक्रिय राजनीति में लाए, वहीं कुंवर शैलेंद्र सिंह को लोहिया वाहिनी का अध्यक्ष बनाया. यह मुलायम सिंह की ही देन थी कि लखनऊ विश्वविद्यालय से राजपाल कश्यप, राम सिंह राणा, पवन पांडे, बृजेश यादव व धनंजय जैसे लोग समाजवादी पार्टी से जुड़े और राजनीति में अपना नया मुकाम बनाया. मुलायम सिंह यादव ने इन्हें विश्वविद्यालय से निकालकर अपने संगठन के विभिन्न पदों का दायित्व दिया था.

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