लखनऊ : जिस तरह गर्मी पड़ रही है, उससे बिजली की मांग में तेजी से इजाफा हो रहा है. उत्तर प्रदेश के ऐसा पहली बार हुआ है कि बिजली विभाग ने 25,348 मेगावाट विद्युत आपूर्ति कर लोगों को बिजली मुहैया कराई है. हमारी तीन तापीय इकाइयां बंद हो गई थीं जिससे बिजली का संकट बढ़ गया था. इन्हें दुरुस्त पर बिजली संकट दूर किया गया.
हम सभी को ऊर्जा संरक्षण की तरफ विशेष तौर पर ध्यान देने की आवश्यकता है. जहां बिजली की आवश्यकता न हो, वहां बेवजह बिजली का इस्तेमाल न किया जाए. ऊर्जा की बचत के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे. जितनी आवश्यकता हो, उतनी ही बिजली का प्रयोग किया जाए जिससे ऊर्जा संरक्षित हो सके. ये बातें मंगलवार को लखनऊ में आयोजित उत्तर प्रदेश विशिष्ट ऊर्जा दक्षता कार्ययोजना के माध्यम से शून्य उत्सर्जन की दिशा मे एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने कहीं. इस मौके पर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), वन और पर्यावरण अरुण कुमार सक्सेना भी उपस्थित रहे.
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उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने कहा कि हमारा प्रयास है कि सोलर एनर्जी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो. इसके लिए हमारी तरफ से प्रयास भी किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री, ट्रांसपोर्ट, बिल्डिंग और एग्रीकल्चर में ऊर्जा का विशेष महत्त्व है. हम तभी सफल होंगे जब हम सोलर पैनल अपनी छत पर लगाकर बिजली उत्पादन करेंगे और खेतों में भी सौर ऊर्जा से ही सिंचाई शुरू करेंगे.
जब खेत और छत पर ऊर्जा का जनरेशन होगा तो हम ऊर्जा संरक्षण में कामयाब होंगे. उन्होंने कहा कि हमें एक गृहिणी की तरह बिजली की बचत करनी होगी. उदाहरण दिया कि जिस तरह से घर में मां बिजली बिल की बचत के लिए कहीं भी बेवजह बिजली के इस्तेमाल होने पर बच्चों को डांटती है. ठीक उसी तरह हमें भी आदत में सुधार करना होगा. फालतू जहां पर भी ऊर्जा का क्षय हो रहा हो वहां पर नियंत्रण करें. ऊर्जा मंत्री ने अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के साथ किए गए कामों को भी याद किया. एनर्जी जस्टिस के बारे में भी जानकारी साझा की. इस मौके पर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), वन और पर्यावरण अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि मेरा तो विभाग ही ऐसा है जिसमें पर्यावरण को संरक्षित करना ही सबसे मुख्य काम है.
लगातार हम पौधारोपण अभियान चला रहे हैं. जितने ज्यादा पौधे होंगे, उतना ही हमारा पर्यावरण सुरक्षित होगा. कहा कि उनका मानना है कि जिस तरह से हम कोई न कोई डे मनाते है. उस डे पर हमें एक पौधा जरूर लगाना चाहिए. खासकर बच्चों से पौधे लगवाए जाएं जिससे वह सेवाभाव से पौधे को सुरक्षित और संरक्षित रखेंगे. इससे हमारा पर्यावरण स्वच्छ रहेगा.
भारत ने विश्व के सामने ग्लासगो में हुए COP 26 सम्मेलन मे “पंचामृत” के अंतर्गत पांच मूल विषयों पर प्रतिबद्धता व्यक्त की थी. भारत अब से लेकर 2030 तक कार्बन उत्सर्जन मे एक अरब टन की कमी लाएगा. वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन प्राप्त करेगा. ऊर्जा की खपत से कार्बन उत्सर्जन का होना सभी को मालूम है. इसलिए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ऊर्जा दक्षता को महत्व दिया जाना आवश्यक है.
इन लक्ष्यों को राज्य स्तर पर मूर्त रूप प्रदान करने के लिए प्रत्येक राज्य मे ऊर्जा दक्षता कार्ययोजना के गठन के महत्व को समझते हुए ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार ने इसका दायित्व ऊर्जा दक्षता ब्यूरो को सौंपा है. उत्तर प्रदेश मे कार्ययोजना का विकास उत्तर प्रदेश नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण, वन, पर्यावरण एवं जल वायु परिवर्तन विभाग के दिशा निर्दश में किया जा रहा है. इसके लिए ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ने ASSOCHAM को नामित किया है. कार्ययोजना के विकास के लिए लखनऊ में पहली कार्यशाला का आयोजन किया गया.
उद्घाटन सत्र में बीईई के सचिव : आरके राय ने उत्तर प्रदेश राज्य के लिए ऊर्जा दक्षता लक्ष्यों को प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि कार्ययोजना के सुचारु रूप से क्रियान्वयन के से ही निर्धारित लक्ष्यों तक पहुंचा जा सकता है. वन, पर्यावरण एवं जल वायु परिवर्तन विभाग के सचिव आशीष तिवारी ने उत्तर प्रदेश राज्य के लिए ऊर्जा दक्षता विजन 2030 प्रस्तुत किया. वन, पर्यावरण एवं जल वायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने कोयले के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने और सौर ऊर्जा की खपत को बढ़ाने पर जोर दिया. उन्होंने हितधारक विभागों, एजेंसियों, विशेषज्ञों के सामूहिक समन्वय से ऊर्जा दक्षता के लक्ष्यों को प्राप्त करने का उल्लेख किया.
इस कार्यशाला में विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के विभागों के अधिकारी, क्षेत्रीय विशेषज्ञ, शिक्षाविदों ने भाग लिया. अनिल कुमार (सचिव, यूपीनेडा), भवानी सिंह खंगारोत, (निदेशक यूपीनेडा) ने भी सभा को संबोधित किया. ऊर्जा दक्षता का रोडमैंप निर्धारित करने के लिए विशिष्ट क्षेत्रीय परिचर्चाएं हुईं. डिस्कॉम सत्र की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के एमडी पंकज कुमार ने की. सरकार का यह अनुमान है कि 11.34 मिलियन टन ऑफ ऑइल इकविवेलेंट की उत्सर्जन में कमी ऊर्जा दक्षता द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य में लाई जा सकती है.
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