लखनऊ: राजधानी के चारबाग और लखनऊ जंक्शन रेलवे स्टेशन और ट्रेन के अंदर आम दिनों में पैर रखने की जगह नहीं बचती थी, वहीं स्टेशन और ट्रेन अब यात्रियों का इंतजार कर रहे हैं. चारबाग रेलवे स्टेशन के यार्ड में दर्जनों ट्रेन खड़ी हुई हैं. अब यह ट्रेनें अपनी जगह से प्लेटफॉर्म की तरफ नहीं बढ़ रही हैं. ट्रेनों का पटरी पर और यार्ड में खड़े रहना और स्टेशन का सूनापन रेलवे प्रशासन के के माथे पर चिंता की लकीरें खींच रहा है, लेकिन कोरोना के आगे रेलवे प्रशासन भी नतमस्तक है.
लॉकडाउन के चलते पहले 14 अप्रैल तक और फिर 3 मई तक देशभर में ट्रेनों का संचालन रोक दिया गया है. ऐसे में चारबाग रेलवे स्टेशन की दर्जनों ट्रेनें प्लेटफॉर्म से हटकर यार्ड में खड़ी हैं. पटरियों पर पैसेंजर ट्रेनों के बजाय इन दिनों लोगों के खाने की सामग्री लेकर मालगाड़ी और पार्सल ट्रेन ही दौड़ रही हैं. अंग्रेजों के जमाने में वर्ष 1853 में जब पहली रेलगाड़ी चली होगी तो यह कभी सोचा भी नहीं गया होगा कि कभी रेलगाड़ी के पहिए थम जाएंगे. रेलवे के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है जब एक माह से ज्यादा के लिए ट्रेनें पटरी पर दौड़ने के बजाय स्थिर हो गईं हों.
लखनऊ के इन दोनों प्रमुख स्टेशनों की बात करें तो उत्तर रेलवे के चारबाग रेलवे स्टेशन से हर रोज तकरीबन 250 ट्रेनों का संचालन होता है और हर दिन सवा लाख के करीब यात्री ट्रेनों से सफर करते हैं, वहीं लखनऊ जंक्शन रेलवे स्टेशन की बात करें तो यहां से भी हर रोज करीब छह दर्जन ट्रेनों का आवागमन होता है और इससे भी लगभग 75 हजार यात्री अपनी मंजिल की तरफ रुख करते हैं. अब इन दिनों ट्रेनें अपने स्थान पर खड़ी हैं और यात्री अपने घर में रहने को मजबूर हैं.
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फिलहाल रेलवे प्रशासन को इंतजार है कि देश से कोरोना की जल्द विदाई हो और लॉकडाउन खुले, जिससे सभी ट्रेनें यार्ड और कोचिंग डिपो से बाहर निकला जाए और प्लेटफार्म से पटरी पर दौड़कर यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचा सकें. साथ ही यात्रियों को भी अब बेसब्री से इंतजार है कि लॉकडाउन खुले और महीनों से अपने घर में बंद रहकर थकान के बाद बाहर निकलकर ट्रेन से यात्रा कर सकें.