लखनऊ: रविवार से मोहर्रम के पवित्र महीने का आगाज हो गया है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नए साल का पहला महीना मोहर्रम बेहद अहम माना जाता है. इसी महीने में हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शहादत हुई थी.
इमाम हुसैन के गम में शिया समुदाय के लोग मातम और मजलिस के जरिए उन्हें याद करते हैं. इसी के चलते पहली मोहर्रम का जुलूस (first muharram procession out) बड़े इमामबाड़े से निकालकर छोटे इमामबाड़े पर सकुशल सम्पन्न हुआ. नवाबी दौर के अपने शाही अंदाज में पहली मोहर्रम का जुलूस रविवार को निकाला गया. जुलूस में शाही जमाने के तौर पर हाथी, घोड़े और बैंड बाजे शामिल थे. इस जुलूस में 20 फिट ऊंची मोम की ज़री की ज़ियारत करने भी लोग दूर-दूर से पहुंचे थे.
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बता दें कि कोरोना महामारी के चलते पिछले दो वर्ष से मजलिस, मातम के साथ जुलूसों पर पाबंदी लगी रही. वहीं, अब हालात ठीक होने के बाद एक बार फिर से लखनऊ में मोहर्रम का शाही अंदाज (royal style of muharram in lucknow) देखने को मिला है. जुलूस बड़े इमामबाड़े से शाम 6 बजे से शुरू होकर रात 10 बजे छोटे इमामबाड़े पर सम्पन्न हुआ. जुलूस की संवेदनशीलता को देखते हुए भारी पुलिस बल भी रास्ते में तैनात रहा. बड़े इमामबाड़े से लेकर छोटे इमामबाड़े तक ड्रोन कैमरों से प्रशासन ने जुलूस पर निगाह रखी.
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