लखनऊ: कमिश्नरेट की कार्य प्रणाली किसी से छिपी नही है. कमिश्नरी लागू होने के बाद से लखनऊ पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई कर कमिश्नरी को परिभाषित किया. इस दौरान पुलिस ने तमाम बदमाशों और अपराधियों पर सख्त कार्रवाई की और उनकी अरबों की संपत्ति भी जब्त की. यही नहीं कैरियर डेंटल कॉलेज जैसे अवैध निर्माण पर भी कार्रवाई हुई.
पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू हुए 20 माह से ज्यादा का वक्त हो गया है. इस दौरान पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की. हत्या, लूट, धोखाधड़ी, दुष्कर्म समेत अलग-अलग मामलों में पुलिस ने जमानत पर रिहा होने वाले अथवा फरार चल रहे 762 बदमाशों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की. आंकड़ों के मुताबिक करीब हर रोज लखनऊ में गैंगस्टर एक्ट के अधीन कार्रवाई हुई. खास बात ये है कि पुलिस ने लखनऊ के इतिहास में अब तक की सबसे अधिक संपत्ति जब्त की है. इसकी कीमत तीन अरब 46 करोड़ 10 लाख एक हजार 537 रुपये है. वर्ष 2019-20 में सिर्फ चार करोड़ 86 लाख 68 हजार 948 रुपये की संपत्ति जब्त की गई थी. इससे पहले 2018-19 में ऐसी कोई कार्रवाई ही नहीं हुई थी.
आंकड़ों के मुताबिक कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद वांछित अपराधियों की धरपकड़ तेज हुई. अब तक कमिश्नरेट पुलिस ने 36,976 वांछित अपराधियों को गिरफ्तार कर नया रिकार्ड बनाया. इस दौरान पुलिस के दबाव में 2,937 लोगों ने कोर्ट में आत्मसमर्पण भी किया, जबिक 2,724 लोगों की भूमिका अपराध में नहीं पाई गई, जिसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया. वर्तमान में महज 195 वांछित शेष हैं, जिनकी तलाश जारी है. पुलिस की ओर से 10 लोगों के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की जा चुकी है.
क्या है गैंगस्टर एक्ट- संगठित रूप से अपराध कर किसी उद्देश्य को हासिल करने वालों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई होती है. अपराध करने वाले एक से अधिक होते हैं. गिरोह बनाकर करोड़ों-अरबों रुपये हड़पने वालों की संख्या लखनऊ में सबसे ज्यादा है. ऐसे ठगों के खिलाफ पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की. गैंगस्टर एक्ट का अपराधियों में खौफ रहता है. जेल में बंद बदमाशों पर गैंगस्टर लगाया जाता है. इसके आधार पर पुलिस बदमाशों को जमानत मिलते ही गिरफ्तार कर सकती है. खास बात ये है कि गैंगस्टर एक्ट में आसानी से जमानत भी नहीं मिलती. इस एक्ट के लगने के बाद पुलिस आरोपितों की अवैध रूप से अर्जित की गई संपत्ति भी जब्त कर सकती है.