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यूपी विधानसभा चुनाव 2022: जानिए क्यों अयोध्या सीट बन गयी है बीजेपी की नाक का सवाल - अयोध्या समाचार हिंदी में

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में अयोध्या सीट बीजेपी के लिए नाक का सवाल बन गयी है. यहां एक बार फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला करने वाले बीजेपी और सपा के उम्मीदवार आमने-सामने हैं.

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Published : Jan 29, 2022, 7:52 PM IST

लखनऊ: साल 1989 के बाद भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में अयोध्या का अहम स्थान हो गया. देशभर में भारतीय जनता पार्टी की जीत एक तरफ होती है और अयोध्या में अगर भाजपा की हार हो जाए, तो काफी आलोचना का सामना करना पड़ता है. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भी अयोध्या की सीट काफी महत्वपूर्ण है. राम मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद पहली बार यहां चुनाव होने जा रहा है. सीट के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस सीट से लड़ने की संभावना जताई जा रही थी.

जानकारी देते भाजपा प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई

एक बार फिर यहां पर 2017 के विधानसभा चुनाव वाली ही लड़ाई होगी. वर्ष 2017 में यहां से विधायक बने भाजपा के वेद प्रकाश गुप्ता को पार्टी ने दोबारा उम्मीदवार बनाया है. समाजवादी पार्टी ने भी 2017 में हारे पूर्व राज्य मंत्री पवन पांडे को अपना प्रत्याशी चुना है. भाजपा यहां बंपर जीत हासिल करके एक संदेश देना चाहती है. वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी इस सीट को जीतकर भाजपा को एक अलग तरह के संकट में डालने की जुगत में लगी हुई है.


अयोध्या सीट का इतिहास

  • 2017 में भाजपा के वेद प्रकाश गुप्ता ने 10,714 वोट पाकर जीत हासिल की.
  • 2012 में समाजवादी पार्टी के तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे ने 55,262 वोट पाकर जीत हासिल की.
  • 2007 में भारतीय जनता पार्टी के लल्लू सिंह ने 58,493 वोट हासिल करके विधायक बने.
  • 2002 में भाजपा के लल्लू सिंह ने 51,289 वोट पाए और जीते.
  • 1996 में भाजपा के लल्लू सिंह 59,658 वोट पाकर विधायक बने.
  • 1993 में भाजपा के लल्लू सिंह 58,587 वोट पाकर विधायक बने.
  • 1991 में भाजपा के लल्लू सिंह 49,206 वोट पाकर जीते.
  • 1989 में जनता दल के जय शंकर पांडे 31,899 वोट पाकर विधायक बने.
  • 1985 में कांग्रेस के सुरेंद्र प्रताप सिंह 21,475 वोट पाकर विधायक बने.
  • 1980 में कांग्रेस के निर्मल कुमार 33,095 वोट पाकर विधायक बने.
  • 1977 में जयंती के जय शंकर पांडे 24,248 वोट पाकर विजेता बने.
  • 1974 में भारतीय जनसंघ के वेद प्रकाश अग्रवाल 18,491 वोट पाकर विधायक बने.

वर्तमान में फैजाबाद सीट से सांसद लल्लू सिंह सबसे ज्यादा बार अयोध्या सीट से विधायक रहे. वो 1991 से लेकर 2012 तक लगातार यहां के विधायक रहे थे. 2012 में उनको पूर्व मंत्री पवन पांडे ने हराया था. 2017 में समाजवादी पार्टी के पवन पांडे, भाजपा के वेद प्रकाश से हार गए थे. इस चुनाव में दोनों एक बार फिर आमने-सामने हैं.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषण विजय उपाध्याय बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की राजनीति और अयोध्या एक दूसरे के पूरक हैं. ये सीट भाजपा की नाक का सवाल है. यहां जब भाजपा जीतती या हारती है, तो उसका संदेश पूरे देश में जाता है. मीडिया की नजर में भी अयोध्या विधानसभा सीट बहुत अहम है.
ये भी पढे़ं- ETV Bharat से बोले ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, अब मजहब देखकर नहीं दिया जाता योजनाओं का लाभ


जिस दिन मतगणना होती है. उस दिन मीडिया की अयोध्या की सीट पर खास नजर होती है. इस बार राम मंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या की सीट और भी अहम हो गई है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई का कहना है कि विपक्ष के लिए अयोध्या एक एजेंडा रहा होगा. मगर हमारे लिए यह सीट आराध्य हैं. हम लगातार जीत हासिल करके इस सीट पर राम मंदिर निर्माण में अपना योगदान देते रहेंगे.
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लखनऊ: साल 1989 के बाद भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में अयोध्या का अहम स्थान हो गया. देशभर में भारतीय जनता पार्टी की जीत एक तरफ होती है और अयोध्या में अगर भाजपा की हार हो जाए, तो काफी आलोचना का सामना करना पड़ता है. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भी अयोध्या की सीट काफी महत्वपूर्ण है. राम मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद पहली बार यहां चुनाव होने जा रहा है. सीट के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस सीट से लड़ने की संभावना जताई जा रही थी.

जानकारी देते भाजपा प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई

एक बार फिर यहां पर 2017 के विधानसभा चुनाव वाली ही लड़ाई होगी. वर्ष 2017 में यहां से विधायक बने भाजपा के वेद प्रकाश गुप्ता को पार्टी ने दोबारा उम्मीदवार बनाया है. समाजवादी पार्टी ने भी 2017 में हारे पूर्व राज्य मंत्री पवन पांडे को अपना प्रत्याशी चुना है. भाजपा यहां बंपर जीत हासिल करके एक संदेश देना चाहती है. वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी इस सीट को जीतकर भाजपा को एक अलग तरह के संकट में डालने की जुगत में लगी हुई है.


अयोध्या सीट का इतिहास

  • 2017 में भाजपा के वेद प्रकाश गुप्ता ने 10,714 वोट पाकर जीत हासिल की.
  • 2012 में समाजवादी पार्टी के तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे ने 55,262 वोट पाकर जीत हासिल की.
  • 2007 में भारतीय जनता पार्टी के लल्लू सिंह ने 58,493 वोट हासिल करके विधायक बने.
  • 2002 में भाजपा के लल्लू सिंह ने 51,289 वोट पाए और जीते.
  • 1996 में भाजपा के लल्लू सिंह 59,658 वोट पाकर विधायक बने.
  • 1993 में भाजपा के लल्लू सिंह 58,587 वोट पाकर विधायक बने.
  • 1991 में भाजपा के लल्लू सिंह 49,206 वोट पाकर जीते.
  • 1989 में जनता दल के जय शंकर पांडे 31,899 वोट पाकर विधायक बने.
  • 1985 में कांग्रेस के सुरेंद्र प्रताप सिंह 21,475 वोट पाकर विधायक बने.
  • 1980 में कांग्रेस के निर्मल कुमार 33,095 वोट पाकर विधायक बने.
  • 1977 में जयंती के जय शंकर पांडे 24,248 वोट पाकर विजेता बने.
  • 1974 में भारतीय जनसंघ के वेद प्रकाश अग्रवाल 18,491 वोट पाकर विधायक बने.

वर्तमान में फैजाबाद सीट से सांसद लल्लू सिंह सबसे ज्यादा बार अयोध्या सीट से विधायक रहे. वो 1991 से लेकर 2012 तक लगातार यहां के विधायक रहे थे. 2012 में उनको पूर्व मंत्री पवन पांडे ने हराया था. 2017 में समाजवादी पार्टी के पवन पांडे, भाजपा के वेद प्रकाश से हार गए थे. इस चुनाव में दोनों एक बार फिर आमने-सामने हैं.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषण विजय उपाध्याय बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की राजनीति और अयोध्या एक दूसरे के पूरक हैं. ये सीट भाजपा की नाक का सवाल है. यहां जब भाजपा जीतती या हारती है, तो उसका संदेश पूरे देश में जाता है. मीडिया की नजर में भी अयोध्या विधानसभा सीट बहुत अहम है.
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जिस दिन मतगणना होती है. उस दिन मीडिया की अयोध्या की सीट पर खास नजर होती है. इस बार राम मंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या की सीट और भी अहम हो गई है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई का कहना है कि विपक्ष के लिए अयोध्या एक एजेंडा रहा होगा. मगर हमारे लिए यह सीट आराध्य हैं. हम लगातार जीत हासिल करके इस सीट पर राम मंदिर निर्माण में अपना योगदान देते रहेंगे.
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