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लोहिया संस्थान में लगाई गई आईडी-नेट मशीन, जानिये कैसे करेगी काम

मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने की दिशा में लगातार कदम उठाए जा रहे हैं. इसी के चलते लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के ब्लड बैंक में (इंडिविजुअल न्यूक्लियर एसिड टेस्ट) मशीन लगाई गई है.

लोहिया संस्थान
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Published : Jun 4, 2022, 9:45 PM IST

लखनऊ: लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों को और सुरक्षित खून मिल सकेगा. इसके लिए ब्लड बैंक में आईडी-नेट (इंडिविजुअल न्यूक्लियर एसिड टेस्ट) मशीन लगाई गई है. इसमें एचआईवी व हेपेटाइटिस जैसे संक्रमण की पहचान आसानी से की जा सकेगी. इसका ड्राई रन शुरू हो गया है.

लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में करीब एक हजार बेड हैं. यहां पर प्रदेश भर से गंभीर मरीज इलाज के लिए आते हैं. इसमें से कई मरीजों को खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. रोजाना करीब 100 से 150 यूनिट खून चढ़ाया जाता है.

क्या पड़ेगा फर्क: ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. वीके शर्मा के मुताबिक अभी खून में संक्रमण का पता लगाने के लिए सिर्फ एलाइजा जांच कराई जा रही है. एलाइजा जांच से केवल 15 दिन पहले का एचआईवी वायरस पता लग सकता है. वहीं आईडी-नेट से महज चार दिन पहले हुए एचआईवी वायरस के हमले का पता लगाया जा सकेगा. हेपेटाइटिस-बी एलाइजा से 40 दिन के पहले हुए हेपेटाइटिस-बी संक्रमण की पहचान की जा रही है. अब आईडी-नेट (इनडीविजुल न्यूक्लीयर एसिड टेस्ट) से 15 दिन के भीतर संक्रमण की जानकारी हो सकेगी. इसी तरह 60 दिन बाद हुए हेपेटाइटिस-सी संक्रमण की पहचान हो रही है. आईडी-नेट से 2.5 दिन के भीतर हो सकेगी.

मुफ्त होगी जांच, ढाई करोड़ की मशीन: अब अधिक सुरक्षित खून मरीजों को मुफ्त मुहैया कराया जाएगा. आईडी-नेट से खून की जांच का कोई शुल्क भर्ती मरीजों को नहीं चुकाना होगा. करीब ढाई करोड़ रुपये की लागत से मशीन ब्लड बैंक में स्थापित की गई है. नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के बजट से मशीन मंगाई गई है.

ये भी पढ़ें : फ्लेवर्ड कंडोम हो सकता है जानलेवा, जानिए महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सीमा मल्होत्रा की राय

संक्रमण का खतरा होगा कम: संस्थान की निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि आईडी-नेट से परखे खून से मरीजों को गंभीर संक्रमण से बचाने में मदद मिलेगी. जल्द ही मशीन का शुभारंभ कराया जाएगा. यूपी की यह सबसे एडवांस मशीन है. यह मशीन रोज 1230 यूनिट रक्त नमूनों की जांच कर सकती है. यह लखनऊ एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी ब्लड बैंकों के रक्त नमूनों की जांच करने में सक्षम है.

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लखनऊ: लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों को और सुरक्षित खून मिल सकेगा. इसके लिए ब्लड बैंक में आईडी-नेट (इंडिविजुअल न्यूक्लियर एसिड टेस्ट) मशीन लगाई गई है. इसमें एचआईवी व हेपेटाइटिस जैसे संक्रमण की पहचान आसानी से की जा सकेगी. इसका ड्राई रन शुरू हो गया है.

लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में करीब एक हजार बेड हैं. यहां पर प्रदेश भर से गंभीर मरीज इलाज के लिए आते हैं. इसमें से कई मरीजों को खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. रोजाना करीब 100 से 150 यूनिट खून चढ़ाया जाता है.

क्या पड़ेगा फर्क: ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. वीके शर्मा के मुताबिक अभी खून में संक्रमण का पता लगाने के लिए सिर्फ एलाइजा जांच कराई जा रही है. एलाइजा जांच से केवल 15 दिन पहले का एचआईवी वायरस पता लग सकता है. वहीं आईडी-नेट से महज चार दिन पहले हुए एचआईवी वायरस के हमले का पता लगाया जा सकेगा. हेपेटाइटिस-बी एलाइजा से 40 दिन के पहले हुए हेपेटाइटिस-बी संक्रमण की पहचान की जा रही है. अब आईडी-नेट (इनडीविजुल न्यूक्लीयर एसिड टेस्ट) से 15 दिन के भीतर संक्रमण की जानकारी हो सकेगी. इसी तरह 60 दिन बाद हुए हेपेटाइटिस-सी संक्रमण की पहचान हो रही है. आईडी-नेट से 2.5 दिन के भीतर हो सकेगी.

मुफ्त होगी जांच, ढाई करोड़ की मशीन: अब अधिक सुरक्षित खून मरीजों को मुफ्त मुहैया कराया जाएगा. आईडी-नेट से खून की जांच का कोई शुल्क भर्ती मरीजों को नहीं चुकाना होगा. करीब ढाई करोड़ रुपये की लागत से मशीन ब्लड बैंक में स्थापित की गई है. नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के बजट से मशीन मंगाई गई है.

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संक्रमण का खतरा होगा कम: संस्थान की निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि आईडी-नेट से परखे खून से मरीजों को गंभीर संक्रमण से बचाने में मदद मिलेगी. जल्द ही मशीन का शुभारंभ कराया जाएगा. यूपी की यह सबसे एडवांस मशीन है. यह मशीन रोज 1230 यूनिट रक्त नमूनों की जांच कर सकती है. यह लखनऊ एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी ब्लड बैंकों के रक्त नमूनों की जांच करने में सक्षम है.

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