लखनऊ: कोरोना काल में डॉक्टरों की छुट्टियां लगातार रद्द हो रही थीं. साल में शीत व ग्रीष्म ऋतु पर मिलने वाले एक-एक माह के अवकाश पर पाबंदी थी. वहीं इस बार 16 मई से अवकाश स्वीकृत होने लगे. लिहाजा, चिकित्सा संस्थानों में मरीजों के ऑपरेशन की वेटिंग बढ़ने लगी है.
50 फीसदी डॉक्टर करेंगे काम: डॉक्टरों की गर्मियों की छुट्टियां मरीजों की सेहत पर भारी पड़ने लगी हैं. 16 मई से डॉक्टरों की छुट्टी शुरू हो गई है. यह 14 जून तक रहेगी. इसके बाद 16 जून से 15 जुलाई तक छुट्टी पर डॉक्टर रहेंगे. प्रत्येक डॉक्टर को 30 दिन की छुट्टी मिलेगी. यानी एक वक्त में मेडिकल संस्थान में 50 फीसदी डॉक्टर ही काम करेंगे. इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.
जानें संस्थानों का क्या है हाल: केजीएमयू में 450 डॉक्टर हैं. ओपीडी में पांच हजार से अधिक मरीज आ रहे हैं. 4500 बेड में ज्यादातर बेड भरे रहते हैं. रोजाना 150 से 180 के बीच मरीजों के ऑपरेशन होते हैं. बावजूद इसके जांच व ऑपरेशन के लिए मरीजों को इंतजार करना पड़ता है. इसमें न्यूरो सर्जरी, कैंसर, जनरल सर्जरी, यूरो सर्जरी, कॉर्डियक सर्जरी, इंडोक्राइन सर्जरी आदि विभागों में मरीजों को ऑपरेशन की वेटिंग चल रही है. वहीं बायोप्सी, कैंसर की दूसरी जांच के लिए मरीजों को 12 से 15 दिन बाद रिपोर्ट मिल पा रही है. रेडियोलॉजी की जांच के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है. 50 फीसदी डॉक्टरों के छुट्टी पर जाने से मरीज की दिक्कतें धीरे-धीरे बढ़ने लगी हैं.
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ऐसे ही लोहिया संस्थान में लगभग 100 डॉक्टर हैं. 50 फीसदी डॉक्टर छुट्टी पर चले गए हैं. जिन मरीजों को ऑपरेशन की तारीख दी गई थी, डॉक्टर की गैर मौजूदगी में उन्हें टाला जा रहा है. इससे मरीजों के इलाज का इंतजार बढ़ गया है. जनरल सर्जरी, सीटीवीएस, कैंसर, ट्रांसप्लांट समेत दूसरे विभाग में मरीजों की दुश्वारियां बढ़ सकती हैं. कमोबेश एसजीपीजीआई में भी यही हाल है.
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