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पौधरोपण के नाम पर हो गया लाखों का खेल, जानें क्या है पूरा मामला?

देश व प्रदेश में पौधरोपण के लिए सरकार अभियान चलाती है. पौधे रोपे भी जाते हैं, लेकिन देखरेख नहीं होती है. लापरवाही के चलते लाखों रुपये की बर्बादी होती है. राजधानी के बख्शी का तालाब विकासखंड की 94 ग्राम पंचायतों में ऐसा ही देखने को मिल रहा है.

पौधरोपण
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Published : Jun 13, 2022, 4:57 PM IST

लखनऊः देश व प्रदेश में पौधरोपण के लिए सरकार अभियान चलाती है. अभियान के तहत हर वर्ष करोड़ों रुपये की धनराशि भी आवंटित की जाती है. इस दौरान फोटो खिंचवाकर वाहवाही भी लूटी जाती है, लेकिन देखरेख न होने के चलते कुछ ही दिनों में पौधे गायब हो जाते हैं. लापरवाही के चलते लाखों रुपये की बर्बादी होती है. ऐसे ही कुछ मामले राजधानी के बख्शी का तालाब विकासखंड की 94 ग्राम पंचायतों में देखने को मिल रही है. जहां लाखों की लागत से लगाये गये पौधे नदारद हो चुके हैं. पौधरोपण के नाम पर ग्राम पंचायतों में पिछले कई वर्षों से यह खेल चल रहा है.

बता दें कि वर्ष 2021-22 में मनरेगा योजना के तहत विकासखंड बीकेटी की ग्राम पंचायत रामपुर बेहड़ा में 2000, मदारीपुर में 2500, टिकारी में 500, डिगोई में करीब 2500 पौधे लगाये गए थे. जमीनी हकीकत यह है कि लाखों की लागत से लगाये गये पौधे गायब हो चुके हैं. लोगों का कहना है कि ग्राम पंचायतों में पौधरोपण के नाम पर खेल हुआ है. आवंटित की गई धनराशि का दुरुपयोग किया गया. जानकारी के मुताबिक, पिछले वर्ष 2020-21 में वन विभाग व मनरेगा योजना के तहत उमरिया, मुसपीपरी, इंदारा टिकरी, दरियापुर, भड़सर, सरसवां व अन्य गांव में करीब 3 लाख से अधिक के पौधे रोपे गए थे.

वहीं ग्राम पंचायत महिंगवां, पूर्व माध्यमिक विद्यालय शीतलपुरवा, चंदनापुर का विद्यालय परिसर, बसेना, हेमी, मुसपीपरी, अकड़रियां कला गांव, शाहपुर, कुनौरा, असनहा समेत अन्य ग्राम पंचायतों में रोपे गए थे. मौजूदा समय में या तो यह पौधे सूख गए हैं या फिर डंठल ही नजर आ रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि शासन को इस संबंध में जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए.

ये भी पढ़ें : केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने स्टेडियम में लगाई झाडू और किया पैदल मार्च

इस पूरे मामले पर डिप्टी कमिश्नर मनरेगा, महेंद्र पांडेय ने बताया कि पौधे लगाने के साथ-साथ उनकी जिम्मेदारी ग्राम पंचायत सचिव की भी है. रोपे गए पौधे सूख गए हैं या फिर उन्हें जानवर खा गए हैं तो उनकी जगह पर नए पौधे लगाए जाएंगे.

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लखनऊः देश व प्रदेश में पौधरोपण के लिए सरकार अभियान चलाती है. अभियान के तहत हर वर्ष करोड़ों रुपये की धनराशि भी आवंटित की जाती है. इस दौरान फोटो खिंचवाकर वाहवाही भी लूटी जाती है, लेकिन देखरेख न होने के चलते कुछ ही दिनों में पौधे गायब हो जाते हैं. लापरवाही के चलते लाखों रुपये की बर्बादी होती है. ऐसे ही कुछ मामले राजधानी के बख्शी का तालाब विकासखंड की 94 ग्राम पंचायतों में देखने को मिल रही है. जहां लाखों की लागत से लगाये गये पौधे नदारद हो चुके हैं. पौधरोपण के नाम पर ग्राम पंचायतों में पिछले कई वर्षों से यह खेल चल रहा है.

बता दें कि वर्ष 2021-22 में मनरेगा योजना के तहत विकासखंड बीकेटी की ग्राम पंचायत रामपुर बेहड़ा में 2000, मदारीपुर में 2500, टिकारी में 500, डिगोई में करीब 2500 पौधे लगाये गए थे. जमीनी हकीकत यह है कि लाखों की लागत से लगाये गये पौधे गायब हो चुके हैं. लोगों का कहना है कि ग्राम पंचायतों में पौधरोपण के नाम पर खेल हुआ है. आवंटित की गई धनराशि का दुरुपयोग किया गया. जानकारी के मुताबिक, पिछले वर्ष 2020-21 में वन विभाग व मनरेगा योजना के तहत उमरिया, मुसपीपरी, इंदारा टिकरी, दरियापुर, भड़सर, सरसवां व अन्य गांव में करीब 3 लाख से अधिक के पौधे रोपे गए थे.

वहीं ग्राम पंचायत महिंगवां, पूर्व माध्यमिक विद्यालय शीतलपुरवा, चंदनापुर का विद्यालय परिसर, बसेना, हेमी, मुसपीपरी, अकड़रियां कला गांव, शाहपुर, कुनौरा, असनहा समेत अन्य ग्राम पंचायतों में रोपे गए थे. मौजूदा समय में या तो यह पौधे सूख गए हैं या फिर डंठल ही नजर आ रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि शासन को इस संबंध में जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए.

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इस पूरे मामले पर डिप्टी कमिश्नर मनरेगा, महेंद्र पांडेय ने बताया कि पौधे लगाने के साथ-साथ उनकी जिम्मेदारी ग्राम पंचायत सचिव की भी है. रोपे गए पौधे सूख गए हैं या फिर उन्हें जानवर खा गए हैं तो उनकी जगह पर नए पौधे लगाए जाएंगे.

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