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देशभर में हो रहा बीमा धारकों का उत्पीड़न, IRDA बना मूक दर्शक- IIISLA - लखनऊ समाचार

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रविवार को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंश्योरेंस सर्वेयर्स एंड लॉस एसेस्टर्स की एक बैठक हुई. इस बैठक में इसला के सदस्यों ने बीमा कंपनियों पर पॉलिसी धारकों के उत्पीड़न का आरोप लगाया.

iiisla meeting
लखनऊ में इसला की बैठक
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Published : Nov 8, 2020, 8:16 PM IST

लखनऊ: बीमा धारकों के अधिकारों की रक्षा के मुद्दे पर रविवार को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंश्योरेंस सर्वेयर्स एंड लॉस एसेस्टर्स (इसला) की तरफ एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया गया. इस दौरान इसला के सदस्यों ने बताया कि बीमा कंपनियां किस तरह से संविधान के एक्ट का दुरुपयोग करते हुए, अपने दायरे से बाहर जाकर काम कर रही हैं. जिससे देशभर के बीमा धारकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. साथ ही वक्ताओं ने कहा कि, बीमा कंपनियों पर कार्रवाई करने के लिए IRDA से कहा गया है, सकारात्मक नतीजे सामने न आने पर न्यायालय का सहारा लिया जाएगा.


इसला के मेंबरों ने ईटीवी भारत से कहा कि, मुख्य रूप से बीमा सर्वेक्षकों और बीमा धारियों की दो प्रमुख समस्याएं हैं. देशभर में निजी बीमा कंपनियां संसद द्वारा बनाए गए बीमा कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं. बीमा कंपनियां अपने निजी कर्मचारियों से सर्वे कराकर पॉलिसी होल्डर का उत्पीड़न कर रही हैं. बीमा उद्योग में अराजकता की स्थिति पैदा हो चुकी है, बीमा धारियों की कोई भी सुनने वाला नहीं है. इसला के मेंबरों ने आरोप लगाया कि आईआरडीए मूक दर्शक बना बैठा हुआ है. अब सारे तथ्यों का आकलन करके इन बीमा कंपनियों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा और यदि आवश्यकता हुआ तो कोर्ट का भी सहारा लिया जाएगा.

क्या है बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण - IRDA

IRDA यानी इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी भारत सरकार की एक एजेंसी है. जिस पर बीमा पॉलिसी धारकों के हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी है. बीमा धारकों के हितों को सुनिश्चित करने के लिए यह समय-समय पर देश भर की बीमा कंपनियों का निरीक्षण करती हैं. बीमा कंपनियों की निगरानी के लिए इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी की स्थापना संसद से पास आईआरडीए अधिनियम 1999 अधिनियम के तहत की गई है. इसका काम बीमा पॉलिसी प्रस्ताव के दस्तावेज, पाॅलिसी संबंधी दावा प्रक्रिया, शिकायतों का निपटान करना और बीमा धारकों द्वारा किए गए क्लेम के मामलों में उन्हें न्याय दिलाना है.

नियमों का उल्लंघन कर रहीं बीमा कंपनियां
संसद से पास इंश्योरेंस एक्ट के तहत आईआरडीए को यह पावर दिया गया है कि, वह निजी बीमा कंपनियों को रेगुलेट करने के लिए नियम बनाएं. सन् 2015 में आईआरडीए द्वारा बनाए गए निमय के मुताबिक, 50 हजार से ऊपर के क्लेमस के लिए IRDA से लाइसेंस प्राप्त सर्वेयर और इसला के मेंबर्स से सर्वे कराया जाएगा. इसला के सदस्यों के मुताबिक, सन् 2015 से ही देखा जा रहा है कि एक्ट का उल्लंघन करते हुए निजी बीमा कंपनियां धड़ल्ले से अपने सर्वेयस से सर्वे करा नुकसान का आंकलन कर रही हैं. निजी बीमा कंपनियां पॉलिसी होल्डर को मनमाने तरीके से परेशान कर रही हैं. प्राइवेट बीमा कंपनियां किसी ना किसी तरीके से क्लेम करने वाले भोले-भाले पॉलिसी होल्डर को नो क्लेम कर देती हैं या फिर उन्हें हुए नुकसान का कम असेंसटमेंट करती हैं, जिससे पॉलिसी धारक खुद को ठगा हुआ महसूस करता है.

बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण (IRDA) का मुख्य कर्तव्य है कि वह पॉलिसी होल्डर के अधिकारों की रक्षा करें. पार्लियामेंट में पास हुए एक्ट के अनुसार इसला के मेंबर ही पॉलिसी होल्डरों के नुकसान का मूल्यांकन करने के लिए बाध्य हैं. बावजूद इसके निजी बीमा कंपनियां अपने कर्मचारियों से सर्वे करा रही हैं जो कि कानूनी रूप से गलत है. इसके खिलाफ फैसला लामबंद होकर लड़ाई लड़ेगा, जरूरत पड़ी तो न्यायालय की शरण में जाएंगे.

लखनऊ: बीमा धारकों के अधिकारों की रक्षा के मुद्दे पर रविवार को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंश्योरेंस सर्वेयर्स एंड लॉस एसेस्टर्स (इसला) की तरफ एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया गया. इस दौरान इसला के सदस्यों ने बताया कि बीमा कंपनियां किस तरह से संविधान के एक्ट का दुरुपयोग करते हुए, अपने दायरे से बाहर जाकर काम कर रही हैं. जिससे देशभर के बीमा धारकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. साथ ही वक्ताओं ने कहा कि, बीमा कंपनियों पर कार्रवाई करने के लिए IRDA से कहा गया है, सकारात्मक नतीजे सामने न आने पर न्यायालय का सहारा लिया जाएगा.


इसला के मेंबरों ने ईटीवी भारत से कहा कि, मुख्य रूप से बीमा सर्वेक्षकों और बीमा धारियों की दो प्रमुख समस्याएं हैं. देशभर में निजी बीमा कंपनियां संसद द्वारा बनाए गए बीमा कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं. बीमा कंपनियां अपने निजी कर्मचारियों से सर्वे कराकर पॉलिसी होल्डर का उत्पीड़न कर रही हैं. बीमा उद्योग में अराजकता की स्थिति पैदा हो चुकी है, बीमा धारियों की कोई भी सुनने वाला नहीं है. इसला के मेंबरों ने आरोप लगाया कि आईआरडीए मूक दर्शक बना बैठा हुआ है. अब सारे तथ्यों का आकलन करके इन बीमा कंपनियों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा और यदि आवश्यकता हुआ तो कोर्ट का भी सहारा लिया जाएगा.

क्या है बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण - IRDA

IRDA यानी इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी भारत सरकार की एक एजेंसी है. जिस पर बीमा पॉलिसी धारकों के हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी है. बीमा धारकों के हितों को सुनिश्चित करने के लिए यह समय-समय पर देश भर की बीमा कंपनियों का निरीक्षण करती हैं. बीमा कंपनियों की निगरानी के लिए इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी की स्थापना संसद से पास आईआरडीए अधिनियम 1999 अधिनियम के तहत की गई है. इसका काम बीमा पॉलिसी प्रस्ताव के दस्तावेज, पाॅलिसी संबंधी दावा प्रक्रिया, शिकायतों का निपटान करना और बीमा धारकों द्वारा किए गए क्लेम के मामलों में उन्हें न्याय दिलाना है.

नियमों का उल्लंघन कर रहीं बीमा कंपनियां
संसद से पास इंश्योरेंस एक्ट के तहत आईआरडीए को यह पावर दिया गया है कि, वह निजी बीमा कंपनियों को रेगुलेट करने के लिए नियम बनाएं. सन् 2015 में आईआरडीए द्वारा बनाए गए निमय के मुताबिक, 50 हजार से ऊपर के क्लेमस के लिए IRDA से लाइसेंस प्राप्त सर्वेयर और इसला के मेंबर्स से सर्वे कराया जाएगा. इसला के सदस्यों के मुताबिक, सन् 2015 से ही देखा जा रहा है कि एक्ट का उल्लंघन करते हुए निजी बीमा कंपनियां धड़ल्ले से अपने सर्वेयस से सर्वे करा नुकसान का आंकलन कर रही हैं. निजी बीमा कंपनियां पॉलिसी होल्डर को मनमाने तरीके से परेशान कर रही हैं. प्राइवेट बीमा कंपनियां किसी ना किसी तरीके से क्लेम करने वाले भोले-भाले पॉलिसी होल्डर को नो क्लेम कर देती हैं या फिर उन्हें हुए नुकसान का कम असेंसटमेंट करती हैं, जिससे पॉलिसी धारक खुद को ठगा हुआ महसूस करता है.

बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण (IRDA) का मुख्य कर्तव्य है कि वह पॉलिसी होल्डर के अधिकारों की रक्षा करें. पार्लियामेंट में पास हुए एक्ट के अनुसार इसला के मेंबर ही पॉलिसी होल्डरों के नुकसान का मूल्यांकन करने के लिए बाध्य हैं. बावजूद इसके निजी बीमा कंपनियां अपने कर्मचारियों से सर्वे करा रही हैं जो कि कानूनी रूप से गलत है. इसके खिलाफ फैसला लामबंद होकर लड़ाई लड़ेगा, जरूरत पड़ी तो न्यायालय की शरण में जाएंगे.

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