प्रयागराज : महाकुम्भ में श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी के रथ पर सवार होने की वजह चर्चा में आयी. सोशल मीडिया क्वीन हर्षा रिछारिया को जहां कुछ साधु संतों ने निशाने पर लिया है वहीं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने समर्थन करते हुए कहा कि हर्षा उत्तराखंड की बेटी है, उन्हें सन्यासी बनना है या शादी करना है या जीवन में कुछ और करना है इसका फैसला उसे ही करने दिया जाए. किसी और को उसके जीवन के बारे में टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है. उनका अखाड़ा हर्षा और उनके फैसले के साथ है.
महाकुंभ की सुंदर साध्वी के रूप में वायरल हुईं मॉडल और सोशल मीडिया एंकर हर्षा रिछारिया को मीडिया में अलग-अलग साधु संतों की तरफ से नकारात्मक टिप्पणियां की गयी हैं. जिसके बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने नाराजगी जतायी है. उनका कहना है कि सभी नारियां शक्ति स्वरूप होती हैं, हर्षा उत्तराखण्ड की बेटी है और वो उसका समर्थन करते हैं.
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कहा क्षणिक वैराग्य भी होता है : महंत रवींद्र पुरी ने मॉडल हर्षा को ट्रोल से बचाने के लिए उनके पक्ष में कहा कि एक बेटी सनातन धर्म से प्रभावित होकर सन्यासी की शरण में पहुँची है और कुछ लोग सुर्खियों में आने के लिए उस पर निशाना साध रहे हैं. वैराग्य का विचार कभी भी किसी के मन में आ सकता है और बहुत बार लोग कुछ समय बाद सन्यासी जीवन के नियमों का पालन न कर पाने की वजह से वापस भाग जाते हैं.
इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि एक क्षणिक वैराग्य होता है जो किसी के भी मन में आ सकता है उसके कई कारण भी हो सकते है. गरीबी या अमीरी के साथ ही सुख-दुख की अधिकता के कारण भी व्यक्ति के मन में वैराग्य का भाव आता है. जो व्यक्ति के मन में कुछ समय बाद समाप्त हो जाता है. तो ऐसे लोग वैराग्य जीवन छोड़कर वापस घर परिवार में चले जाते हैं.
उन्होंने कहा वो बेटी मां भगवती का रूप स्वरूप है और जब भी कोई व्यक्ति संत बनता है तो उसके द्वारा कोई फैसला तत्काल नहीं लिया जा सकता है. संत बनने की प्रक्रिया लंबी होती है, कई बार तो लोग सालों बाद गृहस्थ जीवन में वापस चले जाते हैं. उन्होंने कहाकि मॉडल और एंकर हर्षा रिछारिया साध्वी बनेंगी या फिर शादी करके घर बसाएंगी, इसका फैसला उन पर ही छोड़ देना चाहिए और मीडिया को भी इस विषय पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए.
यह भी पढ़ें : शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बनाए सनातन बोर्ड को मानने से अखाड़ा परिषद का इनकार, कही ये बात