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लखनऊ: दरोगा भर्ती 2016 के चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दरोगा भर्ती 2016 के चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है. अंतरिम आदेश देते हुए न्यायालय ने अगली सुनवाई तक चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र न बांटने का आदेश दिया है.

हाईकोर्ट ने दरोगा भर्ती 2016 के लिए अगली सुनवाई तक लगाई रोक
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Published : Mar 28, 2019, 4:56 AM IST

लखनऊ:हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दरोगा भर्ती 2016 के चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है. न्यायालय के समक्ष 28 फरवरी को घोषित की गई चयन सूची को चुनौती दी गई है.यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल सदस्यीय पीठ ने मनीष कुमार यादव समेत 50 अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिका पर दी है.

याचिका में 28 फरवरी को दरोगा भर्ती 2016 के सम्बंध में घोषित किये गए चयन सूची को चुनौती दी गई है. याचियों के अधिवक्ता रजत राजन सिंह ने बताया कि याचीगण उक्त चयन प्रक्रिया के लिखित परीक्षा में 50 प्रतिशत मार्क्स पाकर उत्तीर्ण कर गए थे. इसके बाद उन्होंने शारीरिक दक्षता की परीक्षा भी दी. अधिवक्ता के अनुसार याचीगण आगे की उक्त दोनों परीक्षाओं में भी सफल रहे लेकिन 28 फरवरी को घोषित चयन सूची में उन्हें जगह नहीं मिली.

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हाईकोर्ट ने दरोगा भर्ती 2016 के लिए अगली सुनवाई तक लगाई रोक

उन्हें जानकारी दी गई कि वह लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं माना गया है.अभ्यर्थियों के लिखित परीक्षा के प्राप्तांकों का मानकीकरण करते हुए पर्सेंटाइल के आधार पर परिणाम घोषित किया गया जिसमें याचीगण उत्तीर्ण नहीं हो सके. याचियों की ओर से तर्क दिया गया कि लिखित परीक्षा ओएमआर शीट्स पर हुई थी व सभी अभ्यर्थियों के विषय एक ही थे. ऐसे में मानकीकरण प्रणाली को अपनाने का औचित्य नहीं है.

वहीं राज्य सरकार की ओर से सुनवाई के दौरान उपस्थित हुए महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने दलील दी कि उक्त परीक्षा में पांच लाख से अधिक उम्मीदवारों ने भाग लिया था. न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले पर विचार की आवश्यकता जताई है. इसके साथ ही अंतरिम आदेश देते हुए न्यायालय ने अगली सुनवाई तक चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र न बांटने का आदेश दिया है.


लखनऊ:हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दरोगा भर्ती 2016 के चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है. न्यायालय के समक्ष 28 फरवरी को घोषित की गई चयन सूची को चुनौती दी गई है.यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल सदस्यीय पीठ ने मनीष कुमार यादव समेत 50 अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिका पर दी है.

याचिका में 28 फरवरी को दरोगा भर्ती 2016 के सम्बंध में घोषित किये गए चयन सूची को चुनौती दी गई है. याचियों के अधिवक्ता रजत राजन सिंह ने बताया कि याचीगण उक्त चयन प्रक्रिया के लिखित परीक्षा में 50 प्रतिशत मार्क्स पाकर उत्तीर्ण कर गए थे. इसके बाद उन्होंने शारीरिक दक्षता की परीक्षा भी दी. अधिवक्ता के अनुसार याचीगण आगे की उक्त दोनों परीक्षाओं में भी सफल रहे लेकिन 28 फरवरी को घोषित चयन सूची में उन्हें जगह नहीं मिली.

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हाईकोर्ट ने दरोगा भर्ती 2016 के लिए अगली सुनवाई तक लगाई रोक

उन्हें जानकारी दी गई कि वह लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं माना गया है.अभ्यर्थियों के लिखित परीक्षा के प्राप्तांकों का मानकीकरण करते हुए पर्सेंटाइल के आधार पर परिणाम घोषित किया गया जिसमें याचीगण उत्तीर्ण नहीं हो सके. याचियों की ओर से तर्क दिया गया कि लिखित परीक्षा ओएमआर शीट्स पर हुई थी व सभी अभ्यर्थियों के विषय एक ही थे. ऐसे में मानकीकरण प्रणाली को अपनाने का औचित्य नहीं है.

वहीं राज्य सरकार की ओर से सुनवाई के दौरान उपस्थित हुए महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने दलील दी कि उक्त परीक्षा में पांच लाख से अधिक उम्मीदवारों ने भाग लिया था. न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले पर विचार की आवश्यकता जताई है. इसके साथ ही अंतरिम आदेश देते हुए न्यायालय ने अगली सुनवाई तक चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र न बांटने का आदेश दिया है.


दरोगा भर्ती 2016 के चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक 
28 फरवरी को घोषित चयनित सूची को दी गई है चुनौती 
विधि संवाददाता 
लखनऊ
। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दरोगा भर्ती 2016 के चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। न्यायालय के समक्ष 28 फरवरी को घोषित की गई चयन सूची को चुनौती दी गई है। 
    यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल सदस्यीय पीठ ने मनीष कुमार यादव समेत 50 अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिका पर दिया। याचिका में 28 फरवरी को दरोगा भर्ती 2016 के सम्बंध में घोषित किये गए, चयन सूची को चुनौती दी गई है। याचियों के अधिवक्ता रजत राजन सिंह ने बताया कि याचीगण उक्त चयन प्रक्रिया के लिखित परीक्षा को 50 प्रतिशत मार्क्स पा कर उत्तीर्ण कर गए थे। जिसके बाद उन्होंने शारीरिक परीक्षा व शारीरिक दक्षता परीक्षा भी दी। अधिवक्ता के अनुसार याचीगण आगे की उक्त दोनों परीक्षाओं में भी सफल रहे। लेकिन 28 फरवरी को घोषित चयन सूची में उन्हें जगह नहीं मिली। उन्हें जानकारी दी गई कि वे लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं माना गया। बताया गया कि अभ्यर्थियों के लिखित परीक्षा के प्राप्तांकों का मानकीकरण करते हुए, पर्सेंटाइल के आधार पर परिणाम घोषित किया गया जिसमें याचीगण उत्तीर्ण नहीं हो सके। याचियों की ओर से तर्क दिया गया कि लिखित परीक्षा ओएमआर शीट्स पर हुई थी व सभी अभ्यर्थियों के विषय एक ही थे, ऐसे में मानकीकरण प्रणाली को अपनाने का औचित्य नहीं है। वहीं राज्य सरकार की ओर से सुनवाई के दौरान उपस्थित हुए महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने दलील दी कि उक्त परीक्षा में पांच लाख से अधिक उम्मीदवारों ने भाग लिया था। ऐसे में सरकार को कई चरण में परीक्षा करवानी पड़ी थी, जिसमें अलग-अलग प्रश्न पत्र अलग-अलग चरण में दिये गए थे। इसी वजह से मानकीकरण प्रणाली को अपनाने की जरूरत पड़ी। 
    न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, मामले पर विचार की आवश्यकता जताई। इसके साथ ही अंतरिम आदेश देते हुए, न्यायालय ने अगली सुनवाई तक चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र न बांटने का आदेश दिया है। न्यायालय ने 30 मार्च को विस्तृत आदेश सुनाएगी।       
  

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Chandan Srivastava
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