ETV Bharat / city

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में अब 18 अगस्त को होगी सुनवाई - ज्ञानवापी मामला वाराणसी जिला अदालत

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले पर आज जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में अब 18 अगस्त को सुनवाई होगी. गुरुवार को मुस्लिम अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी की तरफ से न्यायालय में आवेदन दिया गया.

ईटीवी भारत
gyanvapi mosque case latest news
author img

By

Published : Aug 4, 2022, 6:42 AM IST

Updated : Aug 4, 2022, 3:33 PM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की सुनवाई अब 18 अगस्त को होगी. ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में मुस्लिम अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी की तरफ से जिला जज न्यायालय में गुरुवार को आवेदन दिया गया. मुस्लिम पक्ष के मुख्य वकील अभय नाथ यादव के असामयिक निधन और मुकदमे से जुड़े सभी दस्तावेज उनके पास सुरक्षित रखे होने की वजह से न्यायालय से 15 दिन का वक्त मांगा गया.. इसके पहले हुई सुनवाई में वादी पक्ष के तरफ से अपनी बातें रख दी गई हैं और आज मुस्लिम पक्ष को काउंटर दाखिल करते हुए आपत्ति देने का मौका दिया जाएगा. सबसे बड़ी महत्वपूर्ण बात यह है कि हिंदू पक्ष की तरफ से बहस पूरी होने के बाद पिछली तिथि को कोर्ट ने 4 अगस्त की तिथि मुस्लिम पक्ष के मुख्य अधिवक्ता अभय नाथ यादव की अपील पर दी थी लेकिन कुछ दिन पहले ही अभय नाथ यादव का हआर्ट अटैक से निधन हो जाने की वजह से मुस्लिम पक्ष अपने नए मुख्य वकील के साथ कोर्ट में उतरेगा. नए सिरे से पूरा मामला कोर्ट के सामने नए वकील के द्वारा रखा जाएगा.

2016 से अभय नाथ यादव मुस्लिम पक्ष की तरफ से ज्ञानवापी प्रकरण का केस देख रहे थे, लेकिन असामयिक निधन की वजह से मुस्लिम पक्ष के सामने भी बड़ा संकट है और हिंदू पक्ष की तरफ से रखी गई तमाम दलीलों पर ठोस और मजबूती के साथ मुस्लिम पक्ष को अपनी बातें रखना बेहद जरूरी है. क्योंकि मुस्लिम पक्ष की तरफ से ही मामले को सुनवाई योग्य ना मानते हुए 7 रूल 11 के तहत सुनवाई के अपील की गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिला न्यायालय में सुनवाई चल रही है.

दरअसल ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद मई के महीने से इस मामले की सुनवाई सीनियर सिविल डिविजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत से ट्रांसफर कर जिला जज न्यायालय में करवाई जा रही है. अभी मामले की पोषणीय था यानी मामला सुनवाई योग्य है या नहीं इसे लेकर कोर्ट में कार्यवाही चल रही है. इस मामले में मुस्लिम पक्ष की तरफ से अपनी बातें रखते हुए हिंदू पक्ष यानी वादी की तरफ से दाखिल 51 बिंदुओं पर बहस पूरी की जा चुकी थी जिसके बाद पहले वादी संख्या 2 से 5 मंजू व्यास रेखा पाठक सीता साहू और लक्ष्मी देवी के वकीलों ने अपनी बातें कोर्ट के सामने रखी थी. जिसमें हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने ज्ञानवापी परिसर को देवता की संपत्ति बताते हुए श्री काशी विश्वनाथ एक्ट एक्ट पर तमाम दलीलें पेश की थी और मामले को सुनवाई योग्य बताते हुए ज्ञानवापी परिसर पर हिंदुओं का मालिकाना होने की बात कही गई थी.
ये भी पढ़ें- AMU में होगी सनातन धर्म की पढ़ाई, इस्लामिक स्टडी डिपार्टमेंट ने भेजा कोर्स का प्रस्ताव


जिसके बाद वादी संख्या एक राखी सिंह के वकीलों की तरफ से पूरे मामले को सुनवाई योग्य बताते हुए यह दलील दी गई है कि प्रकरण श्रृंगार गौरी में नियमित दर्शन को लेकर है ना कि ज्ञानवापी परिसर मैं क्या है, क्या नहीं यह दोनों अलग मामले हैं इसलिए यह मामला सुनवाई योग्य है इसे स्वीकृत किया जाए और आगे की कार्रवाई शुरू हो इस पर राखी सिंह के वकीलों की तरफ से तमाम दलीलें भी दी गई है. हिंदू पक्ष ने 100 जजमेंट के साथ 361 पन्ने अपने और कमेंट के कोर्ट के सामने रखे हैं, जिसमे कहा गया है कि 1993 तक यहाँ यानी श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी तो अब भी होनी चाहिये. वर्ष 1993 में सरकार ने अचानक बैरकेडिंग लगा कर नियमित दर्शन और पूजा बंद कराई थी.

इसलिए प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट या किसी अन्य एक्ट के प्रावधान श्रृंगार गौरी प्रकरण में लागू नहीं होते हैं. उन्होंने कहा था कि हमारा ज्ञानवापी की किसी जमीन पर कोई दावा नहीं है. हमारा दावा सिर्फ श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजा के लिए है. दोनों हिंदू पक्ष की तरफ से दलीलें खत्म होने के बाद अब कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को बोलने का मौका दिया है अभय नाथ यादव के निधन के बाद मुस्लिम पक्ष की तरफ से नया बाकी अपनी गली में आज पेश करेगा जिसके बाद कोर्ट इस मामले में आगे की कार्यवाही की रूपरेखा निर्धारित करेगा.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की सुनवाई अब 18 अगस्त को होगी. ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में मुस्लिम अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी की तरफ से जिला जज न्यायालय में गुरुवार को आवेदन दिया गया. मुस्लिम पक्ष के मुख्य वकील अभय नाथ यादव के असामयिक निधन और मुकदमे से जुड़े सभी दस्तावेज उनके पास सुरक्षित रखे होने की वजह से न्यायालय से 15 दिन का वक्त मांगा गया.. इसके पहले हुई सुनवाई में वादी पक्ष के तरफ से अपनी बातें रख दी गई हैं और आज मुस्लिम पक्ष को काउंटर दाखिल करते हुए आपत्ति देने का मौका दिया जाएगा. सबसे बड़ी महत्वपूर्ण बात यह है कि हिंदू पक्ष की तरफ से बहस पूरी होने के बाद पिछली तिथि को कोर्ट ने 4 अगस्त की तिथि मुस्लिम पक्ष के मुख्य अधिवक्ता अभय नाथ यादव की अपील पर दी थी लेकिन कुछ दिन पहले ही अभय नाथ यादव का हआर्ट अटैक से निधन हो जाने की वजह से मुस्लिम पक्ष अपने नए मुख्य वकील के साथ कोर्ट में उतरेगा. नए सिरे से पूरा मामला कोर्ट के सामने नए वकील के द्वारा रखा जाएगा.

2016 से अभय नाथ यादव मुस्लिम पक्ष की तरफ से ज्ञानवापी प्रकरण का केस देख रहे थे, लेकिन असामयिक निधन की वजह से मुस्लिम पक्ष के सामने भी बड़ा संकट है और हिंदू पक्ष की तरफ से रखी गई तमाम दलीलों पर ठोस और मजबूती के साथ मुस्लिम पक्ष को अपनी बातें रखना बेहद जरूरी है. क्योंकि मुस्लिम पक्ष की तरफ से ही मामले को सुनवाई योग्य ना मानते हुए 7 रूल 11 के तहत सुनवाई के अपील की गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिला न्यायालय में सुनवाई चल रही है.

दरअसल ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद मई के महीने से इस मामले की सुनवाई सीनियर सिविल डिविजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत से ट्रांसफर कर जिला जज न्यायालय में करवाई जा रही है. अभी मामले की पोषणीय था यानी मामला सुनवाई योग्य है या नहीं इसे लेकर कोर्ट में कार्यवाही चल रही है. इस मामले में मुस्लिम पक्ष की तरफ से अपनी बातें रखते हुए हिंदू पक्ष यानी वादी की तरफ से दाखिल 51 बिंदुओं पर बहस पूरी की जा चुकी थी जिसके बाद पहले वादी संख्या 2 से 5 मंजू व्यास रेखा पाठक सीता साहू और लक्ष्मी देवी के वकीलों ने अपनी बातें कोर्ट के सामने रखी थी. जिसमें हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने ज्ञानवापी परिसर को देवता की संपत्ति बताते हुए श्री काशी विश्वनाथ एक्ट एक्ट पर तमाम दलीलें पेश की थी और मामले को सुनवाई योग्य बताते हुए ज्ञानवापी परिसर पर हिंदुओं का मालिकाना होने की बात कही गई थी.
ये भी पढ़ें- AMU में होगी सनातन धर्म की पढ़ाई, इस्लामिक स्टडी डिपार्टमेंट ने भेजा कोर्स का प्रस्ताव


जिसके बाद वादी संख्या एक राखी सिंह के वकीलों की तरफ से पूरे मामले को सुनवाई योग्य बताते हुए यह दलील दी गई है कि प्रकरण श्रृंगार गौरी में नियमित दर्शन को लेकर है ना कि ज्ञानवापी परिसर मैं क्या है, क्या नहीं यह दोनों अलग मामले हैं इसलिए यह मामला सुनवाई योग्य है इसे स्वीकृत किया जाए और आगे की कार्रवाई शुरू हो इस पर राखी सिंह के वकीलों की तरफ से तमाम दलीलें भी दी गई है. हिंदू पक्ष ने 100 जजमेंट के साथ 361 पन्ने अपने और कमेंट के कोर्ट के सामने रखे हैं, जिसमे कहा गया है कि 1993 तक यहाँ यानी श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी तो अब भी होनी चाहिये. वर्ष 1993 में सरकार ने अचानक बैरकेडिंग लगा कर नियमित दर्शन और पूजा बंद कराई थी.

इसलिए प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट या किसी अन्य एक्ट के प्रावधान श्रृंगार गौरी प्रकरण में लागू नहीं होते हैं. उन्होंने कहा था कि हमारा ज्ञानवापी की किसी जमीन पर कोई दावा नहीं है. हमारा दावा सिर्फ श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजा के लिए है. दोनों हिंदू पक्ष की तरफ से दलीलें खत्म होने के बाद अब कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को बोलने का मौका दिया है अभय नाथ यादव के निधन के बाद मुस्लिम पक्ष की तरफ से नया बाकी अपनी गली में आज पेश करेगा जिसके बाद कोर्ट इस मामले में आगे की कार्यवाही की रूपरेखा निर्धारित करेगा.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated : Aug 4, 2022, 3:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.