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भूजल को संरक्षित करने के लिए बनाने होंगे कड़े नियम: आरएस सिन्हा

भूजल को संरक्षित करने के लिए कड़े नियम बनाने होंगे. यह बात लखनऊ में भूजल विशेषज्ञ डॉ. आरएस सिन्हा ने कही. उन्होंने कहा कि इसमें आम जनता का भी सहयोग जरूरी है.

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भूजल विशेषज्ञ डॉ. आरएस सिन्हा
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Published : Apr 15, 2022, 10:50 PM IST

लखनऊ: भूजल विशेषज्ञ डॉ. आरएस सिन्हा ने कहा कि भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है. इसकी चिंता लोगों को भी होने चाहिए. पानी को संरक्षित नहीं किया जाएगा, तो एक समय ऐसा आएगा जब लोग अकाल का सामना करेंगे. भूजल संरक्षण के लिए सरकार को कड़े नियम बनाने होंगे. इसमें आम जनता का भी सहयोग जरूरी है.

डॉ. आरएस सिन्हा ने कहा कि पृथ्वी का लगभग 70 फीसदी भाग पानी से भरा हुआ है. इसके बावजूद पीने लायक मीठा पानी मात्र तीन फीसदी है. जल संसाधन के दुरुपयोग और जल प्रबंधन को लेकर गंभीर कदम न उठाए जाने की वजह से भारत के कई राज्य पेयजल संकट से जूझ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश भी इसी राह पर आगे बढ़ रहा है. प्रदेश सरकार लगातार जल संरक्षित करने के लिए तमाम योजनाएं और अभियान चलाती रहती है. जब तक आम जनता जागरूक नहीं होगी, तब तक जल को संरक्षित नहीं किया जा सकता है.

यह है भूगर्भ के आंकड़े

  • औसतन हर साल 25 सेंटीमीटर भूजल स्तर गिर रहा है.
  • 80 प्रतिशत पेयजल की आपूर्ति भूगर्भ जल से हो रही है.
  • 630 शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन 5,200 मिलियन लीटर भूजल का दोहन हो रहा है.
  • 7,800 मिलियन लीटर भूगर्भ जल का ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रतिदिन दोहन हो रहा है.

सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड (Central Ground Water Board) के वैज्ञानिक बीबी त्रिवेदी ने बताया कि बारिश कम होने से भूजल स्तर गिर रहा है. भूगर्भ जल आसानी से सुलभ भी है. यही वजह है कि इसका उपयोग भी ज्यादा होता है. सिंचाई, उद्योगों और पेयजल के लिए जरूरत का अधिकांश हिस्सा भूगर्भ जल से पूरा होता है.

बीबी त्रिवेदी ने बताया कि पूरे देश में जितने नलकूप हैं. उसके 40 फीसदी उत्तर प्रदेश में है. यह सिर्फ सरकारी नलकूपों की संख्या है. वास्तविक आंकड़ा इससे कई गुना अधिक हो सकता है. सरकार को वो सारे उपाय करने होंगे, जिसमें भूगर्भ जल की सेहत सुधर सकें.

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लखनऊ: भूजल विशेषज्ञ डॉ. आरएस सिन्हा ने कहा कि भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है. इसकी चिंता लोगों को भी होने चाहिए. पानी को संरक्षित नहीं किया जाएगा, तो एक समय ऐसा आएगा जब लोग अकाल का सामना करेंगे. भूजल संरक्षण के लिए सरकार को कड़े नियम बनाने होंगे. इसमें आम जनता का भी सहयोग जरूरी है.

डॉ. आरएस सिन्हा ने कहा कि पृथ्वी का लगभग 70 फीसदी भाग पानी से भरा हुआ है. इसके बावजूद पीने लायक मीठा पानी मात्र तीन फीसदी है. जल संसाधन के दुरुपयोग और जल प्रबंधन को लेकर गंभीर कदम न उठाए जाने की वजह से भारत के कई राज्य पेयजल संकट से जूझ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश भी इसी राह पर आगे बढ़ रहा है. प्रदेश सरकार लगातार जल संरक्षित करने के लिए तमाम योजनाएं और अभियान चलाती रहती है. जब तक आम जनता जागरूक नहीं होगी, तब तक जल को संरक्षित नहीं किया जा सकता है.

यह है भूगर्भ के आंकड़े

  • औसतन हर साल 25 सेंटीमीटर भूजल स्तर गिर रहा है.
  • 80 प्रतिशत पेयजल की आपूर्ति भूगर्भ जल से हो रही है.
  • 630 शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन 5,200 मिलियन लीटर भूजल का दोहन हो रहा है.
  • 7,800 मिलियन लीटर भूगर्भ जल का ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रतिदिन दोहन हो रहा है.

सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड (Central Ground Water Board) के वैज्ञानिक बीबी त्रिवेदी ने बताया कि बारिश कम होने से भूजल स्तर गिर रहा है. भूगर्भ जल आसानी से सुलभ भी है. यही वजह है कि इसका उपयोग भी ज्यादा होता है. सिंचाई, उद्योगों और पेयजल के लिए जरूरत का अधिकांश हिस्सा भूगर्भ जल से पूरा होता है.

बीबी त्रिवेदी ने बताया कि पूरे देश में जितने नलकूप हैं. उसके 40 फीसदी उत्तर प्रदेश में है. यह सिर्फ सरकारी नलकूपों की संख्या है. वास्तविक आंकड़ा इससे कई गुना अधिक हो सकता है. सरकार को वो सारे उपाय करने होंगे, जिसमें भूगर्भ जल की सेहत सुधर सकें.

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