लखनऊ: हजरतगंज स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के डॉक्टरों पर एक बार फिर लापरवाही करने का आरोप तीमारदारों ने लगाया है. रविवार देर रात 20 वर्षीय छात्रा पूजा की अचानक से तबियत खराब हुई. जिसके बाद परिजनों ने उसे एक निजी क्लीनिक को दिखाया. जहां डॉक्टर ने छात्रा को सिविल अस्पताल में भर्ती कराने को कहा.
रविवार रात करीब 10 बजे छात्रा को अस्पताल में भर्ती किया गया. रातभर मरीज को देखने डॉक्टर नहीं पहुंचे. सुबह डॉक्टर ने छात्रा को दो इंजेक्शन लगाए, जिसके बाद छात्रा की मौत हो गई. इसके बाद अस्पताल में तीमारदारों ने हंगामा किया. मौके पर पहुंची पुलिस ने तीमारदारों को समझाकर शांत कराया. फिलहाल अभी इस मामले में पिता रामचंद्र का कहना है कि परिवार वालों से बात करने के बाद अस्पताल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने को लेकर फैसला करेंगे.
लखनऊ के बालागंज निवासी रामचंद्र की 20 वर्षीय बेटी पूजा बीए फाइनल ईयर की छात्रा थी. रामचंद्र ने बताया कि रविवार देर रात बेटी के पेट में अचानक तेज दर्द उठा. इसके बाद वो बालागंज स्थित निजी पैथोलॉजी में बेटी को दिखाने पहुंचे. जहां डॉक्टर ने सिविल अस्पताल ले जाने के लिए कहा. देर रात उन्होंने बेटी को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया था.
रात में बेटी के पेट में काफी दर्द था. डॉक्टरों के पास बार-बार गए लेकिन ड्यूटी दे रही डॉक्टर ने कहा कि ज्यादा दिक्कत है तो पेपर तैयार कर दे रहे हैं. मरीज को लेकर ट्रॉमा सेंटर चले जाओ. इतना कहकर डॉक्टर चली गई. एक बार भी मरीज को देखने कोई डॉक्टर नही आया. असहनीय दर्द से बेटी रातभर कहरती रही. सुबह डॉक्टर आए. एक इंजेक्शन लगाया, जिसके बाद उसका एक पैर शून्य हो गया, थोड़ी देर बाद जब दूसरा इंजेक्शन लगाया तो बेटी की मौत हो गई. पिता रामचंद्र का आरोप है कि सिविल अस्पताल की लापरवाही के कारण ही बेटी की मौत हुई है.
इंस्पेक्टर हजरतगंज श्याम बाबू शुक्ला का कहना है कि बीती देर रात सिविल हॉस्पिटल में मरीज की मौत के बाद हंगामे की सूचना मिली थी. अस्पताल के डॉक्टरों के द्वारा कोई सूचना नही दी गई है. पोस्टमार्टम के लिए परिजन तैयार नही हुए. परिजन बिना शिकायत किए ही शव लेकर चले गए.
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वहीं अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसके नंदा का कहना है कि इस विषय में सुबह जानकारी प्राप्त हुई. मरीज की मौत होने का हमें दुख हैं. अस्पताल की पहली प्राथमिकता मरीज को बचाने की होती है. तीमारदारों ने आरोप लगाया, जिसको लेकर हमने ड्यूटी कर रहे सभी डॉक्टर समेत सभी कर्मचारी को बुलाकर मीटिंग की है. हालांकि तीमारदारों ने कोई शिकायत पुलिस से नहीं की है. सभी डॉक्टरों को अस्पताल प्रशासन की ओर से लापरवाही न बरतने की चेतावनी दी गई है.