लखनऊ: बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में बेड के संकट का सामना नहीं करना होगा. मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर अस्पताल प्रशासन ने इमरजेंसी में 50 बेड बढ़ाने का फैसला किया है. सुपर स्पेशियलिटी विभाग में इमरजेंसी के बेड रिजर्व कर दिए हैं.
बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में 50 बेड हैं. इमरजेंसी में रोजाना 300 से 400 मरीज आ रहे हैं. इनमें 120 से 150 मरीज भर्ती किए जा रहे हैं. बाकी मरीजों को प्राथमिक इलाज मुहैया कराने के बाद घर भेज दिया जाता है. 24 घंटे में पांच से छह बार इमरजेंसी से मरीजों को वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा था. कई बार इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को इलाज के लिए इंतजार करना पड़ रहा था. मरीजों की दुश्वारियों को कम करने के लिए संस्थान प्रशासन ने अलग से 50 बेड का इंतजाम किया है.
अस्पताल के सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता के मुताबिक सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक के प्रथम तल पर इमरजेंसी मरीजों के लिए बेड अलग किए गए हैं. 10 स्टाफ नर्स की तैनाती की गई है. तीन इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर की तैनाती की गई है. प्राइवेट डीलक्स वार्ड के डॉक्टर सुपर स्पेशियलिटी इमरजेंसी में भर्ती होने वाले मरीजों को देखेंगे. इसके अलावा 24 घंटे एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टर मरीजों की देखभाल करेंगे.
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बीच में टीबी का इलाज छोड़ना घातक: टीबी के मरीज इलाज बीच में न छोड़ें. डॉक्टर की सलाह पर पूरा इलाज कराएं. बीच में इलाज छोड़ने से टीबी का बैक्टीरिया स्वरूप बदल सकता है. यह मरीज के लिए घातक साबित हो जाता है. शुक्रवार को टूड़ियागंज आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में 20 टीबी मरीजों को गोद लिया गया. प्राचार्य डॉ. प्रकाश चन्द्र सक्सेना ने कहा कि छह से सात माह के इलाज से टीबी ठीक हो सकती है. जबकि एमडीआर टीबी का इलाज दो साल चलता है, लिहाजा बीच में इलाज न छोड़ें.
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