लखनऊ : वो पहले गरीबी का नाटक करेंगे, फिर सूरत दिखा काम मांगेंगे और जब मौका मिलेगा तो घर में मौजूद जेवर और पैसा लेकर नौ दो ग्यारह हो जाएंगे. उत्तर प्रदेश के महानगरों में सक्रिय कई गिरोह झाड़ू पोछा लगाने से लेकर खाना बनाने की नौकरी करने के बहाने घरों में चोरी कर रहे हैं. बीते दिनों गाजियाबाद व लखनऊ में ऐसे ही गिरोहों की गिरफ्तारियां हुई हैं. हालांकि, इस तरह की चोरी की वारदातें मालिकों की ही गलतियाें से हो रही हैं, जो बिना जांचें लोगों को काम पर रख लेते हैं.
गाजियाबाद के इंदिरापुरम में पुलिस ने पूनम शाह नाम की शातिर अपराधी को गिरफ्तार किया था. पूनम शाह दिल्ली, बिहार, हरियाणा व यूपी में अपना गैंग ऑपरेट करती है. ये गैंग हाई राइज बिल्डिंग को अपना टारगेट बनाती थीं. ये बिल्डिंग के गार्ड्स से सहायिका की नौकरी की बात करती है और जैसे ही आपर्टमेंट के किसी फ्लैट में किसी को नौकरानी या नौकर की जरूरत होती है उन्हें गार्ड वहां रखवा देते थे. कुछ दिन भरोसा जितने के बाद इनका गैंग पूरा घर चट कर देते थे. जांच में सामने आया कि गैंग लीडर पूनम शाह अपने शिकार की तलाश में एक शहर से दूसरे शहर फ्लाइट से जाती थी. इसके पीछे कारण होता था कि किसी एक शहर में जब वो काम कर रही होती थी और दूसरे शहर में काम मिलने की सूचना मिलती तो फौरन वहां चोरी कर दूसरे शहर फ्लाइट से पहुंच जाती थी.
बीते साल लखनऊ में रिटायर्ड आईएएस के घर बड़ी चोरी की वारदात हुई थी. गोमती नगर में रहने वाली मीनाक्षी जोशी के घर तीन नौकर काम करते थे. मौका पाकर नौकरों ने जोशी के घर से कैश व सोने के गहने चोरी कर फरार हो गए थे. चोरी हुए समान की कीमत 50 लाख थी. पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार किया तो सामने आया कि नौकरों ने पहले अपनी मालकिन का भरोसा जीता. फिर मौका पाकर 50 लाख की चोरी कर डाली. ठीक इसी तरह राजधानी के ही सुशांत गोल्फ सिटी (Sushant Golf City) स्थित एक अपार्टमेंट में लखनऊ विकास प्राधिकरण (Lucknow Development Authority) के इंजीनियर के घर उन्हीं के नौकर ने 21 लाख के जेवर व कैश चोरी कर लिए और फरार हो गए. इसी तरह फरवरी 2019 मुंशीपुलिया पुलिस चौकी से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर बदमाशों ने लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष के घर डकैती की वारदात को अंजाम दिया. इसमें उनका नौकर भी शामिल था. रिटायर्ड आईएएस ने इसका पुलिस वेरिफिकेशन नहीं कराया था.
जनवरी 2019 हजरतगंज में पूर्व ब्लॉक प्रमुख की गाड़ी में रखे 10 लाख रुपए लेकर नौकर गायब हो गया. घटना के समय पूर्व ब्लॉक प्रमुख एक दुकान में चश्मा ठीक करा रहे थे. जून 2022 को सरोजनी नगर में ज्वेलरी शॉप में हुई चोरी की घटना में पकड़े गए आरोपी कैटर्स बनकर शहर में दिन में काम करते थे और रात में चोरी की वारदात को अंजाम देते थे. इन सभी वारदातों में पुलिस की जांच में सामने आया था कि पीड़ितों ने इन सभी नौकर नौकरानियों को बिना किसी जान पहचान के ही रख लिया था. यहां तक किसी का भी पुलिस वेरिफिकेशन नहीं कराया गया था. जिसका फायदा इन शातिर गिरोहों ने उठाया और लाखों की चोरी की वारदातों को अंजाम दे दिया था.
लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की प्रवक्ता व डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक के मुताबिक, ऐसे गिरोह उन्हीं को अपना शिकार बनाते हैं, जिन्हें कम समय में ही सहायिका या सहायक की जरूरत होती है. जल्दबाजी में ऐसे परिवार उन्हें घर पर नौकरी दे देते हैं. नौकरीपेशा होने के कारण जब घर पर कोई नहीं होता है तब पूरे घर की रेकी कर लेते हैं और मौका पाकर घटना को अंजाम देते हैं. अधिकारी के मुताबिक, पूरे राज्य में यूपी पुलिस समय-समय पर लोगों को जागरूक करती है कि घर पर किराएदार रखने से लेकर नौकरों तक का पुलिस वेरिफिकेशन जरूर कराएं, लेकिन अफसोस लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं.
डीसीपी के मुताबिक, किसी व्यक्ति का पुलिस वेरिफिकेशन कराना बिल्कुल आसान है. इसके लिए यूपी पुलिस के यूपी कॉप एप को डाउनलोड कर टेनेंट और सर्वेंट वेरिफिकेशन ऑनलाइन भी करा सकते हैं. इसके लिए एप के प्रोफार्मा में जाकर कर्मचारी की डिटेल, थाना व पता के साथ उसका आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड स्कैन करके अपलोड करना होगा. इससे पुलिस उसके संबंधित थाने से उसकी क्रिमिनल हिस्ट्री मंगवा सकती है ताकि आप को पता चले कि उसके खिलाफ कोई केस तो दर्ज नहीं है.
डीसीपी के मुताबिक, ऑनलाइन के अलावा ऑफलाइन भी वेरिफिकेशन कराया जा सकता है. इसके लिए चाहे तो पुलिस की वेबसाइट पर नौकर व कर्मचारी सत्यापन के कॉलम में जाकर वहां बने एक प्रोफार्मा को डाउनलोड कर प्रिंट निकालें. उस प्रोफॉर्मा में संबंधित व्यक्ति की पूरी डिटेल के साथ उसकी आईडी की कॉपी लगाकर संबंधित थाना व चौकी में दे सकते हैं. यह प्रोफार्मा थाने व चौकी से भी फ्री ले सकते हैं. आमतौर पर देखा गया है कि लोग कर्मचारी, किरायेदार से उनकी फोटो आईडी ले लेते हैं व किरायेदार से रेंट अग्रीमेंट कर लेते हैं तो उन्हें लगता है कि अगर सामने वाला अपनी आईडी दे रहा है तो वह अपराधी नहीं होगा या फिर उसके ऊपर कोई आपराधिक मामला तो नहीं चल रहा होगा.
दिव्य कन्सल्टेंसी के डायरेक्टर संदीप शर्मा के मुताबिक, लखनऊ, गाजियाबाद समेत महानगरों में अपार्टमेंट कल्चर ने ऐसे गिरोहों के लिए शिकार ढूंढना आसान कर दिया है. अपार्टमेंट में रहने वाले ज्यादा किसी से बातचीत करते नहीं हैं अधिक से अधिक आस पास के दुकानदारों या फिर बिल्डिंग के गार्ड्स से सहायिकाओं की जरूरत बता देते हैं, जिससे वो लोग अपने स्तर से उन्हें नौकर मुहैया करा देते हैं. वो कहते हैं जो जागरूक होते हैं वो हम जैसे प्लेसमेंट कन्सल्टेंसी के जरिये अपने घर मे नौकर रखते हैं. प्लेसमेंट एजेंसी बिना जांचे-परखे किसी भी व्यक्ति को नौकरी पर नहीं रखवाती है. अगर ऐसी कोई घटना हो भी जाती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी भी हमारी ही होती है.
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संदीप बताते हैं कि अधिकतर लोग टैक्स बचाने के लिए कर्मचारी व किराएदार का सत्यापन नहीं कराते हैं. उन्हें लगता है कि पुलिस वेरीफिकेशन कराने पर वह टैक्स के दायरे में आ जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं है. अपनी सुरक्षा के लिए कर्मचारी और किराएदार का वेरिफिकेशन करा सकते हैं.