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खुशबू से पहचानिए हाइब्रिड और देसी सब्जियों में अंतर: एनबीआरआई वैज्ञानिक

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Published : May 16, 2022, 8:30 PM IST

एनबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक महेश पाल ने बताया कि इस मौसम में मंडी में बैगन, टमाटर, मिर्चा, पत्ता गोभी, लौकी, तरोई, भिंडी आदि हाइब्रिड किस्मों की भरमार है. इन सब्जियों में जमकर रसायनिक खाद व दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है.

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हाइब्रिड और देसी सब्जियों में अंतर

लखनऊ: मुनाफे के चक्कर में किसान इन दिनों सब्जियों को रातों-रात ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन लगाकर बड़े आकार में बदल रहे हैं. बाजार में यह सब्जी आसानी से उपलब्ध है. सब्जी में ऑक्सीटोसिन की यही मात्रा स्वाद खराब करने के साथ सेहत भी बिगाड़ रही है. इसलिए जरूरी है कि बाजार में बिल्कुल ताजी हरी दिखने वाली सब्जियों से सावधान रहें. रसायनिक पदार्थ से उत्पादित ये सब्जियां सेहत के लिए घातक हैं.

एनबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक महेश पाल ने बताया कि इस मौसम में मंडी में बैगन, टमाटर, मिर्चा, पत्ता गोभी, लौकी, तरोई, भिंडी आदि हाइब्रिड किस्मों की भरमार है. इन सब्जियों में जमकर रसायनिक खाद व दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है. दवाइयों के उपयोग से सब्जियों में दोगुने से भी ज्यादा का इजाफा हो जाता है. इसके साथ ही समय से पहले फसल भी तैयार हो जाती है. रासायनिक दवाओं के इस्तेमाल से सब्जियों में विटामिन खत्म हो जाते हैं, जिससे सब्जी फायदा करने की बजाये नुकसान पहुंचाती है. उन्होंने बताया कि कीटनाशक दवाओं के प्रयोग के बाद 15 से 20 दिन तक सब्जियों को खाने से बचना चाहिए.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला

सब्जियों की चमक से पहचाने : वैज्ञानिक महेश पाल के अनुसार, हाइब्रिड सब्जियों को खरीदने से पहले सावधानी जरूरी है. चमकदार सब्जियों से बचना चाहिए, क्योंकि इनमें रासायनिक खाद का सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाता है. बढ़ती आबादी में हाइब्रिड सब्जियां लोगों की जरूरत बन गई हैं. जिन सब्जियों को रासायनिक पदार्थ से तैयार किया जाता है वह चमकदार दिखेगी. खुशबू से हाइब्रिड और देसी सब्जियों में अंतर पहचान सकते हैं.

वहीं सिविल अस्पताल के फिजीशियन डॉ. एस देव ने बताया कि बाजार में हाइब्रिड सब्जी बिक रही है जो सेहत पर बुरा प्रभाव छोड़ती है. क्योंकि हरी सब्जियां हम विटामिन, कैल्शियम और स्वस्थ्य रहने के लिए खाते हैं. लेकिन, ऑक्सीटॉसिन नाम के रसायनिक पदार्थ को किसान सब्जी तैयार करने में इस्तेमाल करते हैं. किसान जब ऑक्सीटॉसिन का इस्तेमाल करते हैं उसके बाद सब्जियों में विटामिन खत्म हो जाता है. इसका असर सब्जी के स्वाद और खुशबू में पड़ता है.

डॉ. एस देव ने बताया कि सब्जियों का सेवन हमारी रोज की जरूरत है. हरी सब्जियां हम रोजाना खाना पसंद करते हैं. वहीं जब हम रोज हरी सब्जी खाएंगे तो रासायनिक पदार्थ भी हमारे शरीर में जाएगा, जो तरह-तरह की दिक्कतें पैदा कर सकता है. सबसे पहले दिक्कत की हाइब्रिड सब्जियों में स्वाद और खुशबू का अंदाजा नहीं मिल पाता है. इन सब्जियों को खाने से फूड इंफेक्शन हो सकता है. मानी बात है कि फूड इंफेक्शन अगर एक लिमिट से ज्यादा हो तो वह जानलेवा भी होता है. दस्त, उल्टियां और दर्द से मरीज परेशान हो जाता है.

ये भी पढ़ें : अब घर-घर जाकर भूसा इकट्ठा करेंगे सरकारी स्कूलों के गुरुजन, इस आदेश पर भड़के शिक्षक

ऐसे पहचाने : हरी सब्जियों के रंगों से देसी सब्जी की पहचान करें. अगर सब्जी का रंग ज्यादा चटक है तो यकीनन वह देसी सब्जी नहीं है. सब्जी को छूकर देखें देसी सब्जियां काफी मुलायम होती हैं. सब्जी खरीदने से पहले एक बार सब्जी को सूंघें. क्योंकि देसी सब्जियां हमेशा अलग ही खुशबू देती हैं. बाजार में बहुत सारे ऐसे किसान होते हैं जो गांव से आते हैं और जमीन पर बिछाकर ताजी हरी सब्जियां बेचते हैं. उनकी सब्जियां काफी खुशबूदार और देखने में फ्रेश होती है.

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लखनऊ: मुनाफे के चक्कर में किसान इन दिनों सब्जियों को रातों-रात ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन लगाकर बड़े आकार में बदल रहे हैं. बाजार में यह सब्जी आसानी से उपलब्ध है. सब्जी में ऑक्सीटोसिन की यही मात्रा स्वाद खराब करने के साथ सेहत भी बिगाड़ रही है. इसलिए जरूरी है कि बाजार में बिल्कुल ताजी हरी दिखने वाली सब्जियों से सावधान रहें. रसायनिक पदार्थ से उत्पादित ये सब्जियां सेहत के लिए घातक हैं.

एनबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक महेश पाल ने बताया कि इस मौसम में मंडी में बैगन, टमाटर, मिर्चा, पत्ता गोभी, लौकी, तरोई, भिंडी आदि हाइब्रिड किस्मों की भरमार है. इन सब्जियों में जमकर रसायनिक खाद व दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है. दवाइयों के उपयोग से सब्जियों में दोगुने से भी ज्यादा का इजाफा हो जाता है. इसके साथ ही समय से पहले फसल भी तैयार हो जाती है. रासायनिक दवाओं के इस्तेमाल से सब्जियों में विटामिन खत्म हो जाते हैं, जिससे सब्जी फायदा करने की बजाये नुकसान पहुंचाती है. उन्होंने बताया कि कीटनाशक दवाओं के प्रयोग के बाद 15 से 20 दिन तक सब्जियों को खाने से बचना चाहिए.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला

सब्जियों की चमक से पहचाने : वैज्ञानिक महेश पाल के अनुसार, हाइब्रिड सब्जियों को खरीदने से पहले सावधानी जरूरी है. चमकदार सब्जियों से बचना चाहिए, क्योंकि इनमें रासायनिक खाद का सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाता है. बढ़ती आबादी में हाइब्रिड सब्जियां लोगों की जरूरत बन गई हैं. जिन सब्जियों को रासायनिक पदार्थ से तैयार किया जाता है वह चमकदार दिखेगी. खुशबू से हाइब्रिड और देसी सब्जियों में अंतर पहचान सकते हैं.

वहीं सिविल अस्पताल के फिजीशियन डॉ. एस देव ने बताया कि बाजार में हाइब्रिड सब्जी बिक रही है जो सेहत पर बुरा प्रभाव छोड़ती है. क्योंकि हरी सब्जियां हम विटामिन, कैल्शियम और स्वस्थ्य रहने के लिए खाते हैं. लेकिन, ऑक्सीटॉसिन नाम के रसायनिक पदार्थ को किसान सब्जी तैयार करने में इस्तेमाल करते हैं. किसान जब ऑक्सीटॉसिन का इस्तेमाल करते हैं उसके बाद सब्जियों में विटामिन खत्म हो जाता है. इसका असर सब्जी के स्वाद और खुशबू में पड़ता है.

डॉ. एस देव ने बताया कि सब्जियों का सेवन हमारी रोज की जरूरत है. हरी सब्जियां हम रोजाना खाना पसंद करते हैं. वहीं जब हम रोज हरी सब्जी खाएंगे तो रासायनिक पदार्थ भी हमारे शरीर में जाएगा, जो तरह-तरह की दिक्कतें पैदा कर सकता है. सबसे पहले दिक्कत की हाइब्रिड सब्जियों में स्वाद और खुशबू का अंदाजा नहीं मिल पाता है. इन सब्जियों को खाने से फूड इंफेक्शन हो सकता है. मानी बात है कि फूड इंफेक्शन अगर एक लिमिट से ज्यादा हो तो वह जानलेवा भी होता है. दस्त, उल्टियां और दर्द से मरीज परेशान हो जाता है.

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ऐसे पहचाने : हरी सब्जियों के रंगों से देसी सब्जी की पहचान करें. अगर सब्जी का रंग ज्यादा चटक है तो यकीनन वह देसी सब्जी नहीं है. सब्जी को छूकर देखें देसी सब्जियां काफी मुलायम होती हैं. सब्जी खरीदने से पहले एक बार सब्जी को सूंघें. क्योंकि देसी सब्जियां हमेशा अलग ही खुशबू देती हैं. बाजार में बहुत सारे ऐसे किसान होते हैं जो गांव से आते हैं और जमीन पर बिछाकर ताजी हरी सब्जियां बेचते हैं. उनकी सब्जियां काफी खुशबूदार और देखने में फ्रेश होती है.

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