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मुख्य सचिव तलब, आदेश के बावजूद प्रमुख सचिव शहरी नियोजन के न आने पर हाईकोर्ट हुई सख्त - Despite order HC became strict

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्य सचिव को तलब किया है. न्यायालय ने उनके साथ शहरी नियोजन और विकास विभाग के प्रमुख सचिव को भी 16 साल पुराने एक जनहित याचिका मामले में व्यक्तिगत रूप से 19 सितम्बर को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है.

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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Sep 9, 2022, 10:28 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्य सचिव को तलब किया है. न्यायालय ने उनके साथ शहरी नियोजन और विकास विभाग के प्रमुख सचिव को भी 16 साल पुराने एक जनहित याचिका मामले में व्यक्तिगत रूप से 19 सितम्बर को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है. न्यायालय ने हाईकोर्ट के सीनियर रजिस्ट्रार को निर्देश दिया है कि आदेश से दोनों अधिकारियों को अवगत कराया जाए.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने गोमती नगर जनकल्याण महासमिति की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया. दरअसल, न्यायालय ने पूर्व की सुनवाई पर शहरी नियोजन और विकास विभाग के प्रमुख सचिव को मामले की सुनवाई में सहयेाग के लिए बुलाया था. शुक्रवार को जब मामला सुनवाई के लिए पेश हुआ तो सुनवायी के समय न तो प्रमुख सचिव स्वयं हाजिर हुए और न ही उनके लिए कोई सरकारी अधिवक्ता ही पेश हुआ. जब इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई तो अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता राकेश बाजपेई ने न्यायालय को अवगत कराया कि प्रमुख सचिव को ई मेल भेजा गया था. विशेष सचिव अनिल कुमार से वार्ता भी हुई थी. इस पर न्यायालय ने सख्त लहजे में कहा कि केस 16 साल पुराना है और आदेश के बावजूद प्रमुख सचिव हाजिर नहीं हो रहे हैं. न्यायालय ने मामले को पुन: 11:50 पर सुनवाई के लिए लिया तब भी प्रमुख सचिव नहीं थे.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्य सचिव को तलब किया है. न्यायालय ने उनके साथ शहरी नियोजन और विकास विभाग के प्रमुख सचिव को भी 16 साल पुराने एक जनहित याचिका मामले में व्यक्तिगत रूप से 19 सितम्बर को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है. न्यायालय ने हाईकोर्ट के सीनियर रजिस्ट्रार को निर्देश दिया है कि आदेश से दोनों अधिकारियों को अवगत कराया जाए.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने गोमती नगर जनकल्याण महासमिति की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया. दरअसल, न्यायालय ने पूर्व की सुनवाई पर शहरी नियोजन और विकास विभाग के प्रमुख सचिव को मामले की सुनवाई में सहयेाग के लिए बुलाया था. शुक्रवार को जब मामला सुनवाई के लिए पेश हुआ तो सुनवायी के समय न तो प्रमुख सचिव स्वयं हाजिर हुए और न ही उनके लिए कोई सरकारी अधिवक्ता ही पेश हुआ. जब इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई तो अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता राकेश बाजपेई ने न्यायालय को अवगत कराया कि प्रमुख सचिव को ई मेल भेजा गया था. विशेष सचिव अनिल कुमार से वार्ता भी हुई थी. इस पर न्यायालय ने सख्त लहजे में कहा कि केस 16 साल पुराना है और आदेश के बावजूद प्रमुख सचिव हाजिर नहीं हो रहे हैं. न्यायालय ने मामले को पुन: 11:50 पर सुनवाई के लिए लिया तब भी प्रमुख सचिव नहीं थे.

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