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डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को याद आई विश्विद्यालय की चाय, कैसे दूध की जगह बढ़ता जाता था पानी

प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शनिवार को मालवीय सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के समय की यादों को ताजा किया. उन्होंने कहा कि यहां तक कि खिचड़ी बनाने के लिए भी दाल-चावल नहीं होता था.

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डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक
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Published : Apr 23, 2022, 6:52 PM IST

लखनऊ : प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शनिवार को मालवीय सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के समय की यादों को ताजा किया. यहां सामाजिक कार्यकर्ता अनिल उनकी पुस्तक 'मेरी अशेष यात्रा' के विमोचन समारोह में बोल रहे थे.

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक

उन्होंने बताया कि किस तरह से लखनऊ विश्वविद्यालय में उन्होंने संघर्ष किया है, कैसे मेस में भोजन ना मिलने की दशा में बाहर होटलों में उधार तक नहीं मिलता था. यहां तक की खिचड़ी बनाने के लिए भी दाल-चावल नहीं होता था. साथ ही समस्या यह थी कि जिन चाची की चाय वे पीते थे, वह दूध की जगह चाय पानी बढ़ाती जाती थीं. ब्रजेश पाठक 90 के दशक में प्रथम विश्वविद्यालय में छात्र संघ की राजनीति किया करते थे. वे लखनऊ विश्वविद्यालय के अध्यक्ष भी रहे थे. उन्होंने उस समय काफी संघर्ष किए थे. इसलिए विश्वविद्यालय में आयोजित समारोह के दौरान उनको एक बार फिर से वापस याद आया.

इसे भी पढे़ंः बृजेश पाठक ने दी डॉक्टरों को नसीहत, कहा- मरीजों को मानें भगवान

उप मुख्यमंत्री ने कहा, 'एक समय था जब हम विश्विद्यालय में पैदल 25 चक्कर लगाते थे. तब गाड़ी वाला दौर नहीं था. मुझे यहां खड़े होने का जो मौका मिला है, वह एलयू की वजह से है. हमारे पास भोजन नहीं होता था. होटल वाले उधार नहीं देते थे. इस पुस्तक में हमारी बातें कही गई हैं. हर लाइन को मैं खुद से जोड़ता हूं'. ब्रजेश पाठक ने विश्विद्यालय में जमशेद और चाची की चाय की चर्चा भी की. उन्होंने बताया कि किस तरह चाची रोजाना चाय में दूध की जगह पानी बढ़ाती जाती थीं, किस तरह जमशेद सौ-सौ लोगों को एक साथ चाय पिलाया करते थे.

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लखनऊ : प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शनिवार को मालवीय सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के समय की यादों को ताजा किया. यहां सामाजिक कार्यकर्ता अनिल उनकी पुस्तक 'मेरी अशेष यात्रा' के विमोचन समारोह में बोल रहे थे.

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक

उन्होंने बताया कि किस तरह से लखनऊ विश्वविद्यालय में उन्होंने संघर्ष किया है, कैसे मेस में भोजन ना मिलने की दशा में बाहर होटलों में उधार तक नहीं मिलता था. यहां तक की खिचड़ी बनाने के लिए भी दाल-चावल नहीं होता था. साथ ही समस्या यह थी कि जिन चाची की चाय वे पीते थे, वह दूध की जगह चाय पानी बढ़ाती जाती थीं. ब्रजेश पाठक 90 के दशक में प्रथम विश्वविद्यालय में छात्र संघ की राजनीति किया करते थे. वे लखनऊ विश्वविद्यालय के अध्यक्ष भी रहे थे. उन्होंने उस समय काफी संघर्ष किए थे. इसलिए विश्वविद्यालय में आयोजित समारोह के दौरान उनको एक बार फिर से वापस याद आया.

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उप मुख्यमंत्री ने कहा, 'एक समय था जब हम विश्विद्यालय में पैदल 25 चक्कर लगाते थे. तब गाड़ी वाला दौर नहीं था. मुझे यहां खड़े होने का जो मौका मिला है, वह एलयू की वजह से है. हमारे पास भोजन नहीं होता था. होटल वाले उधार नहीं देते थे. इस पुस्तक में हमारी बातें कही गई हैं. हर लाइन को मैं खुद से जोड़ता हूं'. ब्रजेश पाठक ने विश्विद्यालय में जमशेद और चाची की चाय की चर्चा भी की. उन्होंने बताया कि किस तरह चाची रोजाना चाय में दूध की जगह पानी बढ़ाती जाती थीं, किस तरह जमशेद सौ-सौ लोगों को एक साथ चाय पिलाया करते थे.

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