लखनऊ : डायबिटीज व ब्लड प्रेशर नसों में रुकावट के साथ-साथ आंख के पर्दे में सूजन बढ़ा रहे हैं. ऐसे में व्यक्ति दृष्टिदोष का शिकार हो रहा है. लिहाजा, उसे लंबे वक्त तक 29 हजार रुपये का महंगा इंजेक्शन लगवाना पड़ता था. मगर, केजीएमयू के डॉक्टरों ने 80 रुपये के इंजेक्शन से ही पर्दे की सूजन गायब करने में सफलता हासिल की है. यही नहीं, दोनों इंजेक्शन के प्रभाव की अवधि भी समान निकली. ऐसे में मरीजों को बड़ी राहत मिली है.
महंगा इंजेक्शन इलाज में बना अड़चन : केजीएमयू के नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में हर महीने आंखों के पर्दे में सूजन, डायबिटिक रेटिनोपैथी और रेटिनल वेन अकुल्युशन से पीड़ित 100 से 125 मरीज आ रहे हैं. इन मरीजों को अभी तक आंखों में स्टराइड व दो अन्य दवाओं के मिश्रण से तैयार इंजेक्शन लगाये जा रहे थे. इस इंजेक्शन की कीमत करीब 29 हजार रुपये पड़ रही थी. इंजेक्शन की महंगाई के चलते कई मरीज इलाज नहीं करा पा रहे थे.
155 मरीजों पर प्रयोग, बीमारी से मिली राहत : नेत्र रोग विभाग के डॉ. संजीव गुप्ता के मुताबिक इन्हीं दवाओं से तैयार दूसरी कंपनी का इंजेक्शन 80 रुपये में आ गया है. संस्थान में इंजेक्शन को लगवाने का शुल्क 35 रुपये तय है. इस लिहाज से मरीज को पूरे इलाज पर लगभग 115 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. अब तक 155 मरीजों पर इस इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा चुका है. 29 हजार वाले इंजेक्शन की तरह 80 रुपये वाले का असर भी आंख पर करीब तीन माह तक हो रहा है. वहीं, अभी तक किसी मरीज ने इंजेक्शन का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं दर्ज कराया है. ऐसे में यह मरीज के लिए राहत भरा है.
जानें क्यूं हो जाती पर्दे में सूजन : आंखों के पर्दे की सूजन को चिकित्सकीय भाषा में मैक्युलर इडिमा कहते हैं. इसमें रेटिना के केंद्र वाले भाग जिसे मैक्युला कहा जाता है, में फ्लूड (तरल) का जमाव हो जाता है. मैक्युला रेटिना का वह भाग होता है जो हमें दूर की वस्तुओं और रंगों को देखने में सहायता करता है. जब रेटिना में तरल पदार्थ अधिक हो जाता है और रेटिना में सूजन आ जाती है तो मैक्युलर इडिमा की समस्या हो जाती है. अगर मैक्युलर इडिमा का उपचार न कराया जाए तो दृष्टि संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकतीं हैं या आंखों की रोशनी भी जा सकती है.
क्या हैं लक्षण
- शुरुआत में मैक्युलर इडिमा के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. वहीं जब सूजन बढ़ जाती है और रक्त नलिकाओं में ब्लॉकेज होने लगती है, तब चीजें धुंधली दिखाई देने लगती हैं.
- आंखों के आगे अंधेरा छा जाना.
- चीजें हिलती हुई दिखाई देना.
- पढ़ने में कठिनाई होना.
- वास्तविक रंग न दिखाई देना.
- दृष्टि विकृत हो जाना.
- सीधी रेखाएं, टेढ़ी दिखाई देना.
- तेज रोशनी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाना.
बीमारी के और क्या हैं जोखिम
- रक्त वाहिनियों से संबंधित रोग
- उम्र का बढ़ना
-वंशानुगत समस्या
-आंख में ट्यूमर हो जाना
-मैक्युला में छेद हो जाना
-दवाओं का दुष्प्रभाव
-रेडिएशन का दुष्प्रभाव
-आंख में चोट लग जाना
-आंखों की सर्जरी में चूक
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क्या हैं उपचार : इसमें मैक्युला और उसके आसपास असामान्य रक्त वाहिकाओं से तरल के अत्यधिक रिसाव को ठीक किया जाता है. मैक्युलर इडिमा के उपचार में दवाएं, लेजर और सर्जरी प्रभावी होते हैं. वहीं, मरीजों में इंट्राविट्रियल इंजेक्शन (आईवीआई) सबसे प्रचलित है.
बीमारी से कैसे करें बचाव
-संयमित जीवनशैली अपनाएं
-डायबिटीज, बीपी नियंत्रित करें
-धूम्रपान से बचाव करें
-रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें
-नियमित रूप से आंखों का व्यायाम करें
-आंखों को चोट आदि लगने से बचाएं
-विटामिन ए और एंटी-ऑक्सीडेंट्स लें
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