लखनऊ: पॉक्सो के विशेष जज अरविन्द मिश्र ने पांच माह की मासूम बच्ची के साथ दुराचार व उसकी हत्या करने वाले प्रेमचन्द्र उर्फ पप्पू दीक्षित को फांसी की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अभियुक्त पर 70 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि अभियुक्त की गर्दन में फांसी लगाकर उसे तब तक लटकाया जाए, जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए. कोर्ट ने अपराध को दुर्लभतम से दुर्लभ करार दिया है.
अपने 99 पेज के निर्णय में कोर्ट ने कहा कि जिस तरह का अपराध अभियुक्त ने किया है, उसकी सभ्य समाज में कल्पना भी नहीं की जा सकती है. यदि इस अपराध के लिए उसे मौत की सजा न दी गई तो इसका समाज पर गलत प्रभाव पड़ेगा. कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि ऐसी ही घटना की वजह से समाज में लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को स्वतंत्रतापूर्वक खेलने व व्यवहार करने की आजादी नहीं दे पा रहे हैं. इसकी वजह से इस देश की नई पीढ़ी अर्थात छोटे-छोटे बच्चों का सर्वांगीण विकास नहीं हो पा रहा है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे हैवानों की वजह से बच्चे खुलकर स्वतंत्र माहौल में अपना बचपन व्यतीत नहीं कर पा रहे हैं.
इससे पूर्व सजा के बिंदु पर सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से अभियुक्त प्रेमचन्द्र उर्फ पप्पू दीक्षित को फांसी की सजा देने की मांग की गई. विशेष लोक अभियोजक अभिषेक उपाध्याय व सुखेन्द्र प्रताप सिंह तथा फौजदारी के जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी व सरकारी वकील नवीन त्रिपाठी ने दलील दी थी कि अभियुक्त का अपराध, सामान्य अपराध नहीं है. उसने पांच माह की मासूम से निर्दयतापूर्वक दुराचार किया, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई.
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16 फरवरी 2020 को इस वारदात की एफआईआर की गयी थी. बच्ची के पिता ने थाना मडियांव में FIR दर्ज कराई थी. इसके मुताबिक गांव के एक व्यक्ति की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए उनकी पत्नी, भाभी तथा बच्चे भी लखनऊ गए थे. शाम लगभग सात बजे प्रेमचन्द्र उनकी पत्नी से बच्ची को खिलाने के बहाने लेकर चला गया.
जब काफी देर बाद भी बच्ची नहीं आई, तो तलाश शुरू की गई. देर रात बच्ची मैरिज लॉन से दूर खाली पड़े प्लाट की झाडियों में अचेत अवस्था में मिली. बाद में उसकी मौत हो गई. बच्ची की हत्या प्रेमचंद्र ने अपहरण और दुष्कर्म के बाद की थी. कोर्ट ने अभियुक्त प्रेमचन्द्र उर्फ पप्पू दीक्षित को आईपीसी की धारा 302 व 376 कख के साथ ही पॉक्सो एक्ट की धारा 6 में भी मौत की सजा सुनाई है.