लखनऊ: नगर निगम सदन (Lucknow Municipal Corporation) की बैठक रविवार को हंगामे के साथ शुरू हुई. नगर निगम की कार्यप्रणाली से नाराज पार्षदों ने जमकर हंगामा किया. समाजवदी के पार्टी के पार्षदों ने अधिकारियों पर मिलीभगत से कई सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गए. इस बीच पार्षदों और सुरक्षाकर्मियों के बीच नोकझोंक भी हुई. धक्का-मुक्की में कुछ पार्षदों के कपड़े भी फट गए. इस दौरान पार्षदों की ओर से नगर आयुक्त को हटाने की मांग की गई. पार्षद जीतू यादव की अगुवाई में मोनू कनौजिया, शैलेन्द्र सिंह बल्लू समेत कई महिला पार्षद भी हंगामा किया.
बता दें कि लखनऊ नगर निगम सदन की बैठक करीब 2 साल बाद हुई है. बीते वर्षों में कोरोना संक्रमण के चलते बैठक का आयोजन नहीं किया गया था. रविवार दोपहर बैठक की शुरुआत में ही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के पार्षदों ने नगर निगम के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर तीखे सवाल उठाए. पार्षदों ने कहा कि बैठक के चंद घंटे पहले एजेंडा दिया गया. पार्षदों के इन सवालों से मेयर भड़क उठीं और बीच में ही बैठक स्थगित कर बाहर निकल गई. हालांकि बाद में बैठक शुरू की गई.
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बैठक में कांग्रेस पार्षद ममता चौधरी ने जल निगम को लेकर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि नगर आयुक्त जल निगम से जुड़ी समस्याओं पर हाथ खड़े कर देते हैं, जो कि गलत है. वहीं, भाजपा पार्षद राम नरेश रावत ने कहा कि उनके वार्ड में पेयजल की व्यवस्था नहीं है. हैंडपंप खराब हो चुके हैं. लगातार शिकायतों के बाद भी अधिकारियों के सर पर कोई सुनवाई नहीं होती. ऐसे में जनता बेहाल है. भाजपा पार्षद नागेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि बैठक के से पहले समय पर एजेंडा उपलब्ध कराए. लेकिन रविवार को बैठक थी और शनिवार को एजेंडा दिया गया. कांग्रेस पार्षद अमित चौधरी ने अपने वार्ड में पानी की समस्या को उठाया. उन्होंने कहा कि शर्म की बात है कि हम लखनऊ में रहते हैं और यहां के लोगों को हम पीने का पानी तक नहीं उपलब्ध करा सकते हैं. इसी तरह भारतेंदु चंद वार्ड से पार्षद रानी कन्नौजिया ने कहा कि उनके वार्ड में 15 साल से पानी की टंकी खराब है. जिसकी वजह से आसपास के 200 परिवार खतरे में हैं.