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लखनऊ के चुनावी रण में भी औंधे मुंह गिरे कांग्रेस के रणबांकुरे, निर्दलीय लड़ने पर मिलते ज्यादा वोट...

लखनऊ की जिन सीटों पर कांग्रेस पार्टी का पहले परचम बुलंद रहता था, वहां, पर भी कांग्रेस प्रत्याशी कुछ नहीं कर पाए. सीधे तौर पर कहा जाए तो लखनऊ में कांग्रेस की स्थिति निर्दलीय प्रत्याशी से भी बदतर रही है. यह परिणाम कांग्रेस के लिए भविष्य में बड़ी चिंता का विषय है.

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कांग्रेस में लगी वोट पर चोट
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Published : Mar 13, 2022, 3:28 PM IST

लखनऊ: वैसे तो 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टियों का प्रदर्शन पूरे प्रदेश में ही दयनीय रहा है, लेकिन लखनऊ की जिन सीटों पर कांग्रेस पार्टी का पहले परचम बुलंद रहता था, वहां, पर भी कांग्रेस प्रत्याशी कुछ नहीं कर पाए. लखनऊ में कांग्रेसियों का प्रदर्शन बद से बदतर रहा है. आलम यह है कि जो प्रत्याशी निर्दलीय उम्मीदवार होते हुए 50 से 60 हजार वोट पाते थे.

वह इस बार कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े तो आधे से भी कम वोट पाने में सफल हो सके. सीधे तौर पर कहा जाए तो लखनऊ में कांग्रेस की स्थिति निर्दलीय प्रत्याशियों से भी बदतर रही. लखनऊ में सिर्फ एक प्रत्याशी ही 10,000 का आंकड़ा पार कर पाया. शेष आठ प्रत्याशी 10 हजार से नीचे रह गए. ज्यादातर प्रत्याशियों की 3,000 वोट तक हासिल करने में सांसें फूल गई. यह परिणाम कांग्रेस के लिए भविष्य में बड़ी चिंता का विषय है.


लखनऊ की सरोजिनीनगर सीट से इस बार कांग्रेस पार्टी ने रुद्र दमन सिंह बबलू को जीत की उम्मीद के साथ उम्मीदवार बनाया था. रुद्र दमन जब तक निर्दलीय लड़ते रहे तब तक उन्हें 50,000 से लेकर 70,000 तक वोट मिलते रहे लेकिन कांग्रेस पार्टी जब उन्होंने ज्वाइन की और इसी सीट पर उम्मीदवारी दर्ज कराई तो उन्हें पहले निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मिलने वालों वोटों से भी आधे मत मिले.

इसे भी पढे़ंः यूपी कांग्रेस में बगावत, प्रियंका के निजी सचिव को ठहराया जा रहा जिम्मेदार...

रुद्र दमन सिर्फ 19,711 वोट ही पाने में सफल हुए. हालांकि उनका मत प्रतिशत लखनऊ से कांग्रेस के जितने भी प्रत्याशी चुनाव लड़े उनसे बेहतर जरूर रहा. उन्हें 6.2 फीसदी वोट प्राप्त हुए. कांग्रेस के बख्शी का तालाब विधानसभा सीट से उम्मीदवार ललन कुमार पर पार्टी को पूरा विश्वास था कि वह विधायक बनकर आएंगे और कांग्रेस का झंडा बुलंद करेंगे.

ललन कुमार ने बख्शी का तालाब विधानसभा क्षेत्र में पैसे भी पानी की तरह बहाए. उन्हें उम्मीद थी कि जिस तरह उन्होंने क्षेत्र में पैसों की बारिश की है उसी तरह क्षेत्र की जनता उन पर वोटों की बारिश करेगी लेकिन जब नतीजे आए तो ललन कुमार की आंखें नम हो आईं. दरअसल, विधायक बनने के ख्वाब लेकर मैदान में उतरे ललन कुमार को यहां की जनता ने 10,000 वोट के आंकड़े तक भी नहीं पहुंचाया. उन्हें महज 9,056 वोट ही मिले. उनका वोटिंग परसेंटेज 2.84 ही रह गया.


लखनऊ कैंटोनमेंट से प्रत्याशी दिलप्रीत सिंह 'डीपी' को कुल 6,510 वोट ही मिले उनका वोट औसत सिर्फ 3.29% रहा. लखनऊ मध्य की बात करें तो यहां पर सीएए एनआरसी आंदोलन के दौरान मुखर रहीं और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की खास मानी जाने वाली सदफ जाफर को सिर्फ 2927 वोट ही मिले. उनका वोट फीसदी सिर्फ 1.39 ही रह गया. लखनऊ पूर्व से कांग्रेस पार्टी ने पहले पंकज तिवारी को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन अचानक नामांकन के आखिरी दिन मनोज तिवारी को मैदान में उतार दिया.

लखनऊ पूर्व से चुनाव लड़े मनोज तिवारी 4,485 वोट पाने में सफल हुए. उनका मत प्रतिशत 1.74 रहा. लखनऊ उत्तर से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर अजय श्रीवास्तव "अज्जू" चुनाव मैदान में उतरे. वर्तमान में वे पार्टी के उत्तरी क्षेत्र के शहर अध्यक्ष भी हैं. उन्हें कुल मिलाकर 3236 वोट ही मिल पाए. उनका वोट प्रतिशत 1.24 ही रह गया.

लखनऊ पश्चिम में कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे नईम सिद्दीकी की पत्नी शाहाना सिद्दीकी चुनाव मैदान में उतरीं. काफी मेहनत के बाद सिर्फ 2,796 वोट ही पाने में सफल हो पाईं. उनका मत प्रतिशत 1.08 ही रह गया. मोहनलालगंज विधानसभा की बात करें तो कांग्रेस पार्टी ने यहां से पार्षद ममता चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा था. उन्होंने इस सीट पर काफी मेहनत भी की थी.

2,990 वोट पाने में ममता चौधरी सफल रहीं. हालांकि उनका प्रदर्शन अन्य कांग्रेसियों से इसलिए बेहतर कहा जा सकता है कि वह रहतीं तो राजाजीपुरम के मालवीय नगर में हैं लेकिन मोहनलालगंज में जाकर भी मेहनत करके अन्य प्रत्याशियों से बेहतर प्रदर्शन जरूर किया है. उनका मत प्रतिशत 1.22 रहा. मलिहाबाद से कांग्रेस पार्टी ने समाजवादी पार्टी छोड़कर आए इंदल कुमार रावत को प्रत्याशी बनाया था. इंदल समाजवादी पार्टी से विधायक भी रह चुके थे, लेकिन कांग्रेस में आते ही उनका वोट प्रतिशत औंधे मुंह गिर गया. कुल मिलाकर उन्हें सिर्फ 2,142 वोट ही मिले. सिर्फ 0.89 फीसद मत ही उन्हें मिले.


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लखनऊ: वैसे तो 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टियों का प्रदर्शन पूरे प्रदेश में ही दयनीय रहा है, लेकिन लखनऊ की जिन सीटों पर कांग्रेस पार्टी का पहले परचम बुलंद रहता था, वहां, पर भी कांग्रेस प्रत्याशी कुछ नहीं कर पाए. लखनऊ में कांग्रेसियों का प्रदर्शन बद से बदतर रहा है. आलम यह है कि जो प्रत्याशी निर्दलीय उम्मीदवार होते हुए 50 से 60 हजार वोट पाते थे.

वह इस बार कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े तो आधे से भी कम वोट पाने में सफल हो सके. सीधे तौर पर कहा जाए तो लखनऊ में कांग्रेस की स्थिति निर्दलीय प्रत्याशियों से भी बदतर रही. लखनऊ में सिर्फ एक प्रत्याशी ही 10,000 का आंकड़ा पार कर पाया. शेष आठ प्रत्याशी 10 हजार से नीचे रह गए. ज्यादातर प्रत्याशियों की 3,000 वोट तक हासिल करने में सांसें फूल गई. यह परिणाम कांग्रेस के लिए भविष्य में बड़ी चिंता का विषय है.


लखनऊ की सरोजिनीनगर सीट से इस बार कांग्रेस पार्टी ने रुद्र दमन सिंह बबलू को जीत की उम्मीद के साथ उम्मीदवार बनाया था. रुद्र दमन जब तक निर्दलीय लड़ते रहे तब तक उन्हें 50,000 से लेकर 70,000 तक वोट मिलते रहे लेकिन कांग्रेस पार्टी जब उन्होंने ज्वाइन की और इसी सीट पर उम्मीदवारी दर्ज कराई तो उन्हें पहले निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मिलने वालों वोटों से भी आधे मत मिले.

इसे भी पढे़ंः यूपी कांग्रेस में बगावत, प्रियंका के निजी सचिव को ठहराया जा रहा जिम्मेदार...

रुद्र दमन सिर्फ 19,711 वोट ही पाने में सफल हुए. हालांकि उनका मत प्रतिशत लखनऊ से कांग्रेस के जितने भी प्रत्याशी चुनाव लड़े उनसे बेहतर जरूर रहा. उन्हें 6.2 फीसदी वोट प्राप्त हुए. कांग्रेस के बख्शी का तालाब विधानसभा सीट से उम्मीदवार ललन कुमार पर पार्टी को पूरा विश्वास था कि वह विधायक बनकर आएंगे और कांग्रेस का झंडा बुलंद करेंगे.

ललन कुमार ने बख्शी का तालाब विधानसभा क्षेत्र में पैसे भी पानी की तरह बहाए. उन्हें उम्मीद थी कि जिस तरह उन्होंने क्षेत्र में पैसों की बारिश की है उसी तरह क्षेत्र की जनता उन पर वोटों की बारिश करेगी लेकिन जब नतीजे आए तो ललन कुमार की आंखें नम हो आईं. दरअसल, विधायक बनने के ख्वाब लेकर मैदान में उतरे ललन कुमार को यहां की जनता ने 10,000 वोट के आंकड़े तक भी नहीं पहुंचाया. उन्हें महज 9,056 वोट ही मिले. उनका वोटिंग परसेंटेज 2.84 ही रह गया.


लखनऊ कैंटोनमेंट से प्रत्याशी दिलप्रीत सिंह 'डीपी' को कुल 6,510 वोट ही मिले उनका वोट औसत सिर्फ 3.29% रहा. लखनऊ मध्य की बात करें तो यहां पर सीएए एनआरसी आंदोलन के दौरान मुखर रहीं और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की खास मानी जाने वाली सदफ जाफर को सिर्फ 2927 वोट ही मिले. उनका वोट फीसदी सिर्फ 1.39 ही रह गया. लखनऊ पूर्व से कांग्रेस पार्टी ने पहले पंकज तिवारी को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन अचानक नामांकन के आखिरी दिन मनोज तिवारी को मैदान में उतार दिया.

लखनऊ पूर्व से चुनाव लड़े मनोज तिवारी 4,485 वोट पाने में सफल हुए. उनका मत प्रतिशत 1.74 रहा. लखनऊ उत्तर से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर अजय श्रीवास्तव "अज्जू" चुनाव मैदान में उतरे. वर्तमान में वे पार्टी के उत्तरी क्षेत्र के शहर अध्यक्ष भी हैं. उन्हें कुल मिलाकर 3236 वोट ही मिल पाए. उनका वोट प्रतिशत 1.24 ही रह गया.

लखनऊ पश्चिम में कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे नईम सिद्दीकी की पत्नी शाहाना सिद्दीकी चुनाव मैदान में उतरीं. काफी मेहनत के बाद सिर्फ 2,796 वोट ही पाने में सफल हो पाईं. उनका मत प्रतिशत 1.08 ही रह गया. मोहनलालगंज विधानसभा की बात करें तो कांग्रेस पार्टी ने यहां से पार्षद ममता चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा था. उन्होंने इस सीट पर काफी मेहनत भी की थी.

2,990 वोट पाने में ममता चौधरी सफल रहीं. हालांकि उनका प्रदर्शन अन्य कांग्रेसियों से इसलिए बेहतर कहा जा सकता है कि वह रहतीं तो राजाजीपुरम के मालवीय नगर में हैं लेकिन मोहनलालगंज में जाकर भी मेहनत करके अन्य प्रत्याशियों से बेहतर प्रदर्शन जरूर किया है. उनका मत प्रतिशत 1.22 रहा. मलिहाबाद से कांग्रेस पार्टी ने समाजवादी पार्टी छोड़कर आए इंदल कुमार रावत को प्रत्याशी बनाया था. इंदल समाजवादी पार्टी से विधायक भी रह चुके थे, लेकिन कांग्रेस में आते ही उनका वोट प्रतिशत औंधे मुंह गिर गया. कुल मिलाकर उन्हें सिर्फ 2,142 वोट ही मिले. सिर्फ 0.89 फीसद मत ही उन्हें मिले.


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