लखनऊ : योगी सरकार और उनके सरकारी अमले की नाक के नीचे अपने क्लास रूम से बाहर हो चुके 500 स्टूडेंट्स अब सड़क पर बैठकर पढ़ाई करेंगे. शहर के 135 साल पुराने सरकारी सहायता प्राप्त सेंटीनियल स्कूल पर शिक्षा माफिया के कब्जे के चलते यह स्थिति सामने आई है. खामोश सिस्टम को जगाने के लिए अब शिक्षक और छात्रों ने विरोध का एक नया तरीका निकाला है.
माध्यमिक शिक्षक संघ की तरफ से बुधवार को प्रेस वार्ता कर सेंटीनियल स्कूल के मुख्य भवन के गेट के बाहर क्लास लगाने की घोषणा की गई है. संगठन ने बताया कि गुरुवार सुबह 9:00 बजे से यह क्लासेस चलेगी. बता दें, सेंटीनियल इंटर कॉलेज लखनऊ का करीब 135 साल पुराना सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय है. आरोप है कि गर्मियों की छुट्टी के दौरान कुछ शिक्षा माफियाओं ने इस स्कूल पर कब्जा कर लिया. बीते 135 साल से चल रहे सेंटीनियल स्कूल को बंद कर परिसर में मैथडिस्ट चर्च के नाम पर एक नया प्राइवेट स्कूल शुरू कर दिया गया है.
माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री और प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कहने पर 6 जुलाई तक के लिए स्कूल को बंद कर दिया गया था. यह 500 से ज्यादा बच्चों के भविष्य का सवाल है. संगठन किसी भी सूरत में पीछे हटने को तैयार नहीं है. अगर जल्द ही इस मामले में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो संगठन की तरफ से बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
रातों रात स्कूल में लगा दिया ताला : स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके बच्चे सेंटीनियल स्कूल में पढ़ते थे. रातोंरात इस स्कूल में ताला लगा दिया गया और उसके स्थान पर एक नए नाम से प्राइवेट स्कूल खोला गया है. इसकी फीस इतनी ज्यादा है कि हम भर ही नहीं सकते. अब तो स्कूल परिसर में अंदर घुसने भी नहीं दिया जाता है.
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डीआईओएस का बयान : लखनऊ के नवनियुक्त जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार पांडे ने 24 घंटे पहले ही लखनऊ की जिम्मेदारी संभाली है और शुरुआत में ही शहर का सबसे बड़ा विवादित मामला उनके सामने रखा गया है. DIOS का कहना है कि इस पूरे मामले में 500 बच्चों का भविष्य ज्यादा महत्वपूर्ण है. विभागीय स्तर पर इस प्रकरण में अभी तक जो भी कार्रवाई की गई है उनको संज्ञान लेते हुए नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी. बच्चों का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा.
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