लखनऊ: विभिन्न कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों की पेंशन से संबंधित शिकायतों को देखते हुए मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने अपर मुख्य सचिव कार्मिक और अपर मुख्य सचिव वित्त के साथ बैठक की. उन्होंने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) एवं पुरानी पेंशन स्कीम के अंतर्गत सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम के तहत मिल रहे लाभों की समीक्षा की.
इस समीक्षा बैठक में पाया गया कि पुरानी पेंशन स्कीम की तुलना में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) कर्मचारियों के लिए ज्यादा फायदेमंद है. सेवानिवृत्ति के उपरान्त मिलने वाली धनराशि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में काफी अधिक होती है. इस धनराशि को अन्य बचत योजनाओं में निवेश करके और भी अधिक लाभ पाया जा सकता है.
एनपीएस के अन्तर्गत ग्रेच्युटी, अवकाश नगदीकरण एवं सामूहिक बीमा योजना पूर्व की भांति अनुमन्य है. एनपीएस से कवर किसी कार्मिक की मृत्यु सेवा काल में होने पर मृतक के आश्रितों को यह विकल्प मिलता है कि वे पुरानी पेंशन योजना में अनुमन्य पारिवारिक पेंशन अथवा एनपीएस में से कोई एक चुन सकते हैं.
एनपीएस से कवर कर्मचारियों के मृतक आश्रित का सेवायोजन भी संगत नियमों के अधीन अनुमन्य है. एनपीएस के अन्तर्गत पेंशन खाते के अतिरिक्त जीपीएफ की तरह भी खाता खोलने का प्रावधान है. इसके अलावा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में कर्मचारी को वेतन का 10 प्रतिशत अंशदान देना होता है, जबकि राज्य सरकार 14 प्रतिशत अपना अंशदान देती है. कर्मचारी चाहें, तो अपना अंशदान बढ़ा सकते हैं.
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में जोखिम को न्यूनतम स्तर का किया गया. जमा धनराशि का 85 प्रतिशत गवर्नमेंट सिक्योरिटी में, जिसमें कोई रिस्क नहीं है तथा 15 प्रतिशत प्रोफेशनल फंड मैनेजर के माध्यम से निवेश किया जाता है. वर्तमान में एनपीएस के अन्तर्गत जमा धनराशि में वृद्धि करीब 9.5 प्रतिशत तक होती है, जबकि जीपीएफ में मात्र 7.1 प्रतिशत की ग्रोथ मिल रही है.
ये भी पढ़ें- यूपी में शुक्रवार को मिले कोरोना के 7 हजार से ज्यादा नए मरीज, रिकवरी में हो रहा सुधार
बैठक में बताया गया कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में भी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति तथा कैशलैस इलाज की सुविधा पहले की तरह मिलती रहेगी. मुख्य सचिव ने वित्त विभाग को निर्देश दिए कि इस सम्बन्ध में सूचना सभी कार्मिक संगठनों के अध्यक्ष को भेजी जाए, जिससे किसी भी प्रकार के संशय की गुंजाइश न रहे.
वहीं मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में संवेदनशील 31 जिलों में निराश्रित गोवंश संरक्षण, धान खरीद तथा कोविड वैक्सीनेशन की समीक्षा एवं स्थलीय निरीक्षण के लिए तैनात नोडल अधिकारियों की वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के माध्यम से बैठक हुई. मुख्य सचिव ने कहा कि सभी नोडल अधिकारी 31 जनवरी से 4 फरवरी के बीच दो दिन के भ्रमण पर आवंटित जिलों में जाएं. पूरी संवेदनशीलता के साथ निराश्रित गोवंश के संरक्षण, धान खरीद तथा कोविड वैक्सीनेशन की प्रगति की समीक्षा के साथ-साथ स्थलीय निरीक्षण भी करें.
मुख्य सचिव ने नोडल अधिकारियों को निराश्रित गौ आश्रय केन्द्रों, धान खरीद केन्द्रों के साथ ही कोविड-19 वैक्सीनेशन की भी समीक्षा करने तथ रैंडम आधार पर वैक्सीनेशन केन्द्रों का निरीक्षण करने के निर्देश दिया. उन्होंने बताया कि अब तक 25.51 करोड़ से अधिक वैक्सीनेशन के साथ ही 98.89 प्रतिशत से ज्यादा वयस्क आबादी को टीके की पहली डोज लग चुकी है. वहीं 67.52 प्रतिशत लोगों को दोनों खुराक मिल चुकी हैं.
15-17 आयु वर्ग के 63 प्रतिशत किशोरों को वैक्सीन लगायी जा चुकी है तथा पात्र 80 प्रतिशत लोगों को प्रीकॉशन डोज भी मिल चुकी है. उन्होंने शत-प्रतिशत टीकाकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वैक्सीनेशन को और तेज करने के निर्देश दिए. बैठक में अपर मुख्य सचिव कार्यक्रम क्रियान्वयन सुरेश चन्द्रा, प्रमुख सचिव पशुपालन सुधीर गर्ग सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी, वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के माध्यम से नोडल अधिकारी मौजूद थे.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप