लखनऊ: वायु प्रदूषण बढ़ने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद यूपी के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी सख्त हुए हैं. उन्होंने सभी जिलाधिकारियों, मंडलों को निर्देश दिए हैं कि वायु प्रदूषण बढ़ाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करें और मानकों का पालन न करने वाले सभी उद्योगों को बंद कराएं. उन्होंने सभी कमिश्नर, डीएम और पुलिस कप्तानों को निर्देश दिये हैं कि वह उत्तर प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जाए.
सभी अधिकारी करें वायु प्रदूषण की समीक्षा बैठक
मुख्य सचिव ने सभी अधिकारियों से कहा है कि अपशिष्ट जलाने की अब तक हुई घटनाओं और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की सूची बनाएं. इसके अलावा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए. उन्होंने कहा कि सभी मंडलायुक्त जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक जिला स्तरीय अधिकारी वायु प्रदूषण की स्थिति पर नियमित समीक्षा बैठक करें और इसकी पूरी रिपोर्ट शासन को भेजें.
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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों को पूर्ण रूप से बंद कराया जाए. नियम का उल्लंघन करने वालों पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जाए. मुख्य सचिव ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कोयला आधारित उद्योगों पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन किये जाने की दशा में स्थानीय अधिकारियों के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना के तहत कार्यवाही के निर्देश पर दिए हैं.
धूल को नियंत्रित करने के लिए किया जाए पानी का छिड़काव
मुख्य सचिव ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कराने की व्यवस्था की जाए, जिससे इमरजेंसी और हेल्थ केयर सर्विस के अलावा डीजल जनरेटर चलाए जाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा सके. सड़क से उड़ने वाली धूल को नियंत्रित करने के लिए आईआईटी दिल्ली की सलाह के आधार पर उचित दबाव पर पानी का छिड़काव किया जाए. जिससे धूल के कण हवा में ना मिले और वायु प्रदूषण को कम किया जा सके.