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प्राइमरी स्कूलों में बेहतर सुविधाओं के साथ अच्छे शिक्षण की हो रही निगरानी

उत्तर प्रदेश में बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के लिए योगी सरकार अनेक प्रयास कर रही है. इसके तहत, स्कूलों में दी जा रही सुविधाओं (ऑपरेशन कायाकल्प) के साथ ही शिक्षकों की ट्रेनिंग (निपुण भारत मिशन) पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

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Published : Sep 10, 2022, 10:42 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के लिए योगी सरकार अनेक प्रयास कर रही है. इसके तहत, स्कूलों में दी जा रही सुविधाओं (ऑपरेशन कायाकल्प) के साथ ही शिक्षकों की ट्रेनिंग (निपुण भारत मिशन) पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. सरकार के ये प्रयास कितने प्रभावी हैं, इसकी निगरानी भी की जा रही है. निगरानी के लिए सेल्फ सर्वे के साथ-साथ इंडिपेंडेंट एजेंसियों का भी सहारा लिया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Aditya Nath) ने बेसिक शिक्षा विभाग को निगरानी तंत्र और मजबूत करने के निर्देश दिए हैं. वहीं मुख्य सचिव ने ऑपरेशन कायाकल्प एवं निपुण के जरिए शिक्षा के स्तर में आ रहे बदलाव को अगले स्तर पर ले जाने के निर्देश दिए हैं. गौरतलब है कि शिक्षकों को योग्य बनाने के लिए प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार निपुण भारत मिशन के तहत शिक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दे रही है, ताकि वो 3 से 9 साल तक के बच्चों की शुरुआती पढ़ाई की नींव को मजबूत कर सकें. साथ ही योगी सरकार मिशन कायाकल्प भी चला रही है, जिसके तहत सरकारी स्कूलों में शिक्षा के साथ-साथ अन्य सुविधाओं को भी स्तरीय बनाने पर काम किया जा रहा है.


प्रदेश सरकार ने निपुण भारत मिशन के तहत प्रदेश के सभी विद्यालयों को निपुण विद्यालय बनाने का लक्ष्य रखा है. इसमें शिक्षक और छात्रों के बीच अच्छे संबंधों पर जोर देने के अलावा निपुण भारत डैशबोर्ड के जरिए क्लासरूम ट्रांजेक्शन पर निगरानी पर जोर है. इसका उद्देश्य है कि कक्षा 3 से कक्षा 6 तक के छात्रों के शिक्षा की आधारभूत शिक्षा को दृढ़ता प्रदान की जा सके. इसका सबसे बेहतर परिणाम यह होगा कि छात्रों को आगे की कक्षाओं में मिलने वाले पाठ्यक्रम को समझने में बहुत सुविधा होगी, चूंकि बड़ी कक्षाओं का पाठ्यक्रम पिछली कक्षाओं से काफी प्रभावित रहता है. प्रदेश में एक से 5 तक के 1.11 लाख स्कूल संचालित हो रहे हैं. इन स्कूलों में 1.24 करोड़ छात्र हैं, जिन्हें पढ़ाने के लिए 4.78 लाख शिक्षक कार्यरत हैं.

बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में मिशन कायाकल्प एवं निपुण कार्यक्रमों पर मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव का खास फोकस रहा. बेसिक शिक्षा विभाग के मुताबिक, मिशन कायाकल्प के अंतर्गत अवस्थापना सुविधाओं में बीते 5 माह में राज्य स्तर पर औसतन 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. 31 मार्च 2022 तक यह 77 प्रतिशत था, जो 29 अगस्त 2022 तक 84 प्रतिशत तक पहुंच गया है. शीर्ष प्रगति वाले जनपदों में सीतापुर, कुशीनगर, बहराइच, एटा, बिजनौर समेत कुल 20 जिले हैं. यहां सैचुरेशन ग्रोथ 8 प्रतिशत से ज्यादा रही है. मिशन कायाकल्प के तहत आगामी 6 माह में नल-जल सुविधा, लड़कों व लड़कियों के लिए अलग-अलग टॉयलेट की व्यवस्था की जा रही है.

यह भी पढ़ें : नए कॉलेज व छूटे अभ्यर्थी कर सकेंगे छात्रवृत्ति के लिए आवेदन, जल्द जारी होगा शासनादेश

कार्यक्रम के तहत निरंतर प्रदेश में सभी विद्यालयों का निरीक्षण किया जा रहा है. इसके तहत पांच तरह की टीमें निर्धारित की गई हैं. पहली डिस्ट्रिक्ट टास्क फोर्स, दूसरी ब्लॉक टास्क फोर्स, तीसरी बीएसए एवं बीईओ, चौथी सभी डीसी और पांचवीं सभी एकेडमिक रिसोसेर्ज. इन सभी ने निरीक्षण के लिए निर्धारित लक्ष्य का 88 प्रतिशत प्राप्त किया है. 2 लाख से अधिक निरीक्षण का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें एक लाख 77 हजार से अधिक निरीक्षण किए गए हैं. साथ ही, एक लाख से अधिक स्कूलों का स्वतंत्र मूल्यांकन भी कराया गया है. ये मूल्यांकन सेल्फ और इंडिपेंडेंट एजेंसी से कराया गया है. दोनों ही मूल्यांकनों में मामूली अंतर रहा है. इसमें स्कूलों में मिल रही सुविधाओं को लेकर चर्चा की गई है.

यह भी पढ़ें : लखनऊ विश्वविद्यालय में हंगामा, बीकॉम छठे सेमेस्टर के स्टूडेंट्स इस कारण कर रहे प्रदर्शन

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के लिए योगी सरकार अनेक प्रयास कर रही है. इसके तहत, स्कूलों में दी जा रही सुविधाओं (ऑपरेशन कायाकल्प) के साथ ही शिक्षकों की ट्रेनिंग (निपुण भारत मिशन) पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. सरकार के ये प्रयास कितने प्रभावी हैं, इसकी निगरानी भी की जा रही है. निगरानी के लिए सेल्फ सर्वे के साथ-साथ इंडिपेंडेंट एजेंसियों का भी सहारा लिया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Aditya Nath) ने बेसिक शिक्षा विभाग को निगरानी तंत्र और मजबूत करने के निर्देश दिए हैं. वहीं मुख्य सचिव ने ऑपरेशन कायाकल्प एवं निपुण के जरिए शिक्षा के स्तर में आ रहे बदलाव को अगले स्तर पर ले जाने के निर्देश दिए हैं. गौरतलब है कि शिक्षकों को योग्य बनाने के लिए प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार निपुण भारत मिशन के तहत शिक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दे रही है, ताकि वो 3 से 9 साल तक के बच्चों की शुरुआती पढ़ाई की नींव को मजबूत कर सकें. साथ ही योगी सरकार मिशन कायाकल्प भी चला रही है, जिसके तहत सरकारी स्कूलों में शिक्षा के साथ-साथ अन्य सुविधाओं को भी स्तरीय बनाने पर काम किया जा रहा है.


प्रदेश सरकार ने निपुण भारत मिशन के तहत प्रदेश के सभी विद्यालयों को निपुण विद्यालय बनाने का लक्ष्य रखा है. इसमें शिक्षक और छात्रों के बीच अच्छे संबंधों पर जोर देने के अलावा निपुण भारत डैशबोर्ड के जरिए क्लासरूम ट्रांजेक्शन पर निगरानी पर जोर है. इसका उद्देश्य है कि कक्षा 3 से कक्षा 6 तक के छात्रों के शिक्षा की आधारभूत शिक्षा को दृढ़ता प्रदान की जा सके. इसका सबसे बेहतर परिणाम यह होगा कि छात्रों को आगे की कक्षाओं में मिलने वाले पाठ्यक्रम को समझने में बहुत सुविधा होगी, चूंकि बड़ी कक्षाओं का पाठ्यक्रम पिछली कक्षाओं से काफी प्रभावित रहता है. प्रदेश में एक से 5 तक के 1.11 लाख स्कूल संचालित हो रहे हैं. इन स्कूलों में 1.24 करोड़ छात्र हैं, जिन्हें पढ़ाने के लिए 4.78 लाख शिक्षक कार्यरत हैं.

बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में मिशन कायाकल्प एवं निपुण कार्यक्रमों पर मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव का खास फोकस रहा. बेसिक शिक्षा विभाग के मुताबिक, मिशन कायाकल्प के अंतर्गत अवस्थापना सुविधाओं में बीते 5 माह में राज्य स्तर पर औसतन 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. 31 मार्च 2022 तक यह 77 प्रतिशत था, जो 29 अगस्त 2022 तक 84 प्रतिशत तक पहुंच गया है. शीर्ष प्रगति वाले जनपदों में सीतापुर, कुशीनगर, बहराइच, एटा, बिजनौर समेत कुल 20 जिले हैं. यहां सैचुरेशन ग्रोथ 8 प्रतिशत से ज्यादा रही है. मिशन कायाकल्प के तहत आगामी 6 माह में नल-जल सुविधा, लड़कों व लड़कियों के लिए अलग-अलग टॉयलेट की व्यवस्था की जा रही है.

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कार्यक्रम के तहत निरंतर प्रदेश में सभी विद्यालयों का निरीक्षण किया जा रहा है. इसके तहत पांच तरह की टीमें निर्धारित की गई हैं. पहली डिस्ट्रिक्ट टास्क फोर्स, दूसरी ब्लॉक टास्क फोर्स, तीसरी बीएसए एवं बीईओ, चौथी सभी डीसी और पांचवीं सभी एकेडमिक रिसोसेर्ज. इन सभी ने निरीक्षण के लिए निर्धारित लक्ष्य का 88 प्रतिशत प्राप्त किया है. 2 लाख से अधिक निरीक्षण का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें एक लाख 77 हजार से अधिक निरीक्षण किए गए हैं. साथ ही, एक लाख से अधिक स्कूलों का स्वतंत्र मूल्यांकन भी कराया गया है. ये मूल्यांकन सेल्फ और इंडिपेंडेंट एजेंसी से कराया गया है. दोनों ही मूल्यांकनों में मामूली अंतर रहा है. इसमें स्कूलों में मिल रही सुविधाओं को लेकर चर्चा की गई है.

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