लखनऊ: योगी सरकार के मंत्रियों की तरफ से उठाए गए सवाल और ट्रांसफर विवाद के बाद ब्यूरोक्रेसी में बड़े बदलाव संभावित हो गए हैं. उच्च स्तरीय सूत्रों का कहना है कि करीब पांच से अधिक विभागों के वरिष्ठ अधिकारी इधर से उधर भेजे जाएंगे. इससे मंत्रियों के साथ उनका सामंजस्य बेहतर हो और सरकार के कामकाज ठीक ढंग से आगे बढ़ सके. मंत्रियों की तरफ से ट्रांसफर प्रक्रिया सहित कई अन्य तरह के सवाल उठाए गए हैं. इसको लेकर सरकार की खूब किरकिरी हुई है. इसके बाद अब सरकार की तरफ से आने वाले कुछ दिनों में ब्यूरोक्रेसी में बड़े फेरबदल किए जाएंगे.
दरअसल, पिछले करीब 1 महीने से उत्तर प्रदेश में सरकार और ब्यूरोक्रेसी के स्तर पर तमाम तरह के विवाद सामने आए हैं जिसको लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार की खूब किरकिरी हुई है. इससे विपक्ष को भी तमाम तरह के सवाल उठाने का मौका मिला है. यह सब सरकार के मंत्रियों और अफसरों की कार्यशैली के चलते हुआ है. पिछले महीने सरकार की तरफ से ट्रांसफर पॉलिसी जारी की गई और विभागों में ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू हुई.तो कई विभागों में गड़बड़ी सामने आई. मंत्रियों ने चिट्ठी लिखी और रिपोर्ट तलब की गई.
स्वास्थ्य विभाग, लोक निर्माण विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग, माध्यमिक शिक्षा विभाग, वित्त विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों में ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले में तमाम तरह की गड़बड़ी सामने आई और इससे पूरी सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए. शासन के सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath ) इस पूरे घटनाक्रम को लेकर काफी समय से नाराज हैं.
इसीलिए शासन स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों को जल्दी इधर से उधर भेजने की तैयारी की जा रही है. जिन विभागों में ट्रांसफर के नाम पर गड़बड़ी और कई तरह की अनियमितताएं हुईं. उनको लेकर पूरी रिपोर्ट तैयार की जा रही है. भले ही स्वास्थ्य विभाग में अभी तक बड़े अफसर यानी अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद को हटाने की कार्रवाई ही न की गई हो. लेकिन, मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से लेकर पीएमओ तक की तरफ से नाराजगी जताई गई है. सभी मामलों को खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देख रहे हैं और हर तरफ नजर बनाए हुए हैं.
कई विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के तबादले की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. जिन प्रमुख विभागों के अधिकारियों को हटाए जाने की चर्चा शासन के स्तर पर हो रही है. उनमें स्वास्थ्य विभाग, माध्यमिक शिक्षा विभाग, वित्त विभाग, कृषि विभाग, लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल है. इन सभी को हटाकर दूसरी जगह भेजने की तैयारी है. तो वहीं, कुछ अधिकारियों को साइड पोस्टिंग देते हुए राजस्व विभाग भी भेजा जा सकता है.
राजनीतिक विश्लेषक दिलीप अग्निहोत्री ने बताया कि संसदीय शासन व्यवस्था में स्थाई कार्यपालिका और राजनीतिक कार्यपालिका के बीच बेहतर समन्वय की अपेक्षा रहती है. राजनीतिक कार्यपालिका में प्रजातांत्रिक तरीके से बदलाव होता है. मंत्रीगणों के लिए विशेषज्ञता का कोई उल्लेख संविधान में नहीं है.
इसलिए उनकी सहायता के लिए स्थाई कार्यपालिका होती है. इसमें ब्यूरोक्रेसी और अन्य विशेषज्ञ होते हैं. मंत्रिमण्डल नीति का निर्धारण करता है. उनका क्रियान्वयन सरकारी मशीनरी के माध्यम से होता हैं. मुख्यमंत्री सरकार का मुखिया होता है. मंत्री और नौकरशाह दोनों के कार्यों की समीक्षा का उसे अधिकार होता है. अक्सर मंत्री और उनके सचिव आदि के बीच तनाव की खबर आती है.
राजनीतिक विश्लेषक ने आगे बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातर सक्रिय रहते हैं. जनहित में लापरवाही उन्हें बर्दाश्त नहीं होती हैं. भाजपा परिवार नहीं बल्कि कैडर आधारित पार्टी है. मंत्रियों को रखने हटाने की एक सीमा होती हैं. फिर भी योगी सुशासन के प्रति कटिबद्ध रहते हैं. इसमें सही कार्य न करने वाले नौकरशाहों की जानकारी उनको है. यह माना जा रहा हैं कि सुशासन को प्राथमिकता देते हुए नौकरशाही में बदलाव हो सकता है. योगी ने कहा था कि इस बार पहले से अधिक तेज कार्य किया जाएगा. इस मंशा के अनुरूप परिवर्तन हो सकते हैं.
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