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ब्रेन-डेड युवक ने अंगदान से तीन लोगों को दी नई जिंदगी

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक निजी अस्पताल में 'ब्रेन डेड' घोषित किए गए 21 वर्षीय युवक ने तीन मरीजों को नया जीवनदान दिया है. परिवार की रजामंदी पर मरीज का अंगदान किया गया है.

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ब्रेन-डेड युवक
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Published : May 11, 2022, 3:37 PM IST

Updated : May 11, 2022, 4:24 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक निजी अस्पताल में 'ब्रेन डेड' घोषित किए गए 21 वर्षीय युवक ने तीन मरीजों को नया जीवनदान दिया है. परिवार की रजामंदी पर मरीज का अंगदान किया गया है. 'ब्रेन-डेड' ऐसी स्थिति होती है. जिसमें व्यक्ति का मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है.

राजधानी निवासी 21 वर्षीय युवक दुर्घटना का शिकार हो गया था. जिसके चलते परिजनों ने उसे अपोलो मेडिक्स अस्पताल में भर्ती कराया. डॉक्टरों ने मरीज को बचाने की काफी कोशिशें की. लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी. डॉक्टरों ने जांच में युवक को ब्रेन-डेड घोषित कर दिया. घरवालों की रजामंदी से युवक का अंगदान किया गया. युवक के अंगदान से तीन लोगों को नया जीवनदान मिला है.

ब्रेन-डेड युवक ने अंगदान से तीन लोगों को दी नई जिंदगी

दो किडनी, एक लिवर किया गया दान

अपोलो मेडिक्स के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. अजय के मुताबिक युवक को 9 मई अस्पताल में भर्ती कराया गया था. दुर्घना से युवक के सिर पर गंभीर चोटें आई थीं. डॉक्टरों ने 10 मई को युवक के शरीर की जांच शुरु कर दी. जांच में डॉक्टरों ने युवक का ब्रेन डेड पाया.परिजनों को इसकी विस्तृत जानकारी दी गयी और उनकी अनुमति से 11 मई को युवक की दो किडनी व एक लिवर निकाल कर दूसरे मरीजों का जीवन बचाया गया.

यह भी पढ़े-एंबुलेंस सेवाओं को बेहतर बनाने की ज़रूरत: सीएम योगी

ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एक किडनी पीजीआई भेजी

डॉ. अजय के मुताबिक युवक की एक किडनी व लिवर को अपोलो अस्पताल में ही ट्रांसप्लांट किया गया है. इस अंगदान के चलते एक 50 वर्षीय व 37 वर्षीय पुरुष को जीवनदान मिला है. वहीं ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एक किडनी एसजीपीजीआई को भेज दी गई है. एक महिला में किडनी ट्रांसप्लांट की गई. ट्रांसप्लांट वाले दो मरीज लखनऊ व सीतापुर के रहने वाले हैं. इस ग्रीन कॉरिडोर को प्राइवेट अस्पताल से सरकारी अस्पताल के बीच बनाया गया है. यह शहर का पहला ग्रीन कॉरिडोर है.

राजधानी में अंगदान के लिए दो अस्पतालों के मध्य ट्रैफिक पुलिस ने सहयोग करते हुए साढ़े 8 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनाया था. ऐसीपी सैफ़ुद्दीन ने बताया कि आम तौर पर इस रास्ते में 15 मिनट पहुंचने में लगते हैं और यदि दिन का वक़्त हो तब 30 मिनट भी लग जाता है लेकिन 3 लोगों को नया जीवन देने के लिए ट्रैफिक विभाग ने ग्रीन कॉरिडोर बना कर अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल से पीजीआई तक महज साढ़े 8 मिनट में एम्बुलेंस को पहुँचा दिया.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक निजी अस्पताल में 'ब्रेन डेड' घोषित किए गए 21 वर्षीय युवक ने तीन मरीजों को नया जीवनदान दिया है. परिवार की रजामंदी पर मरीज का अंगदान किया गया है. 'ब्रेन-डेड' ऐसी स्थिति होती है. जिसमें व्यक्ति का मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है.

राजधानी निवासी 21 वर्षीय युवक दुर्घटना का शिकार हो गया था. जिसके चलते परिजनों ने उसे अपोलो मेडिक्स अस्पताल में भर्ती कराया. डॉक्टरों ने मरीज को बचाने की काफी कोशिशें की. लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी. डॉक्टरों ने जांच में युवक को ब्रेन-डेड घोषित कर दिया. घरवालों की रजामंदी से युवक का अंगदान किया गया. युवक के अंगदान से तीन लोगों को नया जीवनदान मिला है.

ब्रेन-डेड युवक ने अंगदान से तीन लोगों को दी नई जिंदगी

दो किडनी, एक लिवर किया गया दान

अपोलो मेडिक्स के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. अजय के मुताबिक युवक को 9 मई अस्पताल में भर्ती कराया गया था. दुर्घना से युवक के सिर पर गंभीर चोटें आई थीं. डॉक्टरों ने 10 मई को युवक के शरीर की जांच शुरु कर दी. जांच में डॉक्टरों ने युवक का ब्रेन डेड पाया.परिजनों को इसकी विस्तृत जानकारी दी गयी और उनकी अनुमति से 11 मई को युवक की दो किडनी व एक लिवर निकाल कर दूसरे मरीजों का जीवन बचाया गया.

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ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एक किडनी पीजीआई भेजी

डॉ. अजय के मुताबिक युवक की एक किडनी व लिवर को अपोलो अस्पताल में ही ट्रांसप्लांट किया गया है. इस अंगदान के चलते एक 50 वर्षीय व 37 वर्षीय पुरुष को जीवनदान मिला है. वहीं ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एक किडनी एसजीपीजीआई को भेज दी गई है. एक महिला में किडनी ट्रांसप्लांट की गई. ट्रांसप्लांट वाले दो मरीज लखनऊ व सीतापुर के रहने वाले हैं. इस ग्रीन कॉरिडोर को प्राइवेट अस्पताल से सरकारी अस्पताल के बीच बनाया गया है. यह शहर का पहला ग्रीन कॉरिडोर है.

राजधानी में अंगदान के लिए दो अस्पतालों के मध्य ट्रैफिक पुलिस ने सहयोग करते हुए साढ़े 8 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनाया था. ऐसीपी सैफ़ुद्दीन ने बताया कि आम तौर पर इस रास्ते में 15 मिनट पहुंचने में लगते हैं और यदि दिन का वक़्त हो तब 30 मिनट भी लग जाता है लेकिन 3 लोगों को नया जीवन देने के लिए ट्रैफिक विभाग ने ग्रीन कॉरिडोर बना कर अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल से पीजीआई तक महज साढ़े 8 मिनट में एम्बुलेंस को पहुँचा दिया.

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Last Updated : May 11, 2022, 4:24 PM IST
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