लखनऊ: महाराष्ट्र के दिग्गज नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे राम नाईक का मानना है कि यूपी विधानसभा चुनाव के परिणामों से यह साबित हो गया है कि प्रदेश में जातीय राजनीति का अंत हो चुका है. वह कहते हैं कि इस संबंध में और विश्लेषण करने की जरूरत है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में राम नाईक (Ram Naik) ने कहा कि 2014 में केंद्र में मोदी को भारी बहुमत से चुना गया था. तब जातीय समीकरण कहां चले गए थे? वह 2017, 2019 और 2022 के उदाहरण देते हुए कहते हैं कि मीडिया को इस पर और ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत अच्छी है.
सीएम योगी और मेरी सोच समान है. कुंभ मेले को लेकर प्रदेश स्तर की कमेटी बनायी गयी थी. मैं उसका अध्यक्ष था और योगी जी कार्याध्यक्ष थे. तब मैंने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने का सुझाव उनको दिया था. प्रस्ताव रखा गयी और उन्होंने उसे तुरंत मंजूरी दे दी.
उन्होंने कहा कि 2022 में भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई. हारने वाले लोगों को भी आत्मचिंतन करना चाहिए. यूपी में बसपा और कांग्रेस बुरी तरह से हारे. समाजवादी पार्टी के विधायकों की संख्या बढ़ी. यहां से ये संदेश जाता है कि देश में दो पार्टी का सिस्टम लागू हो सकता है. विपक्ष भी जिम्मेदारी से बात करे.
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राम नाईक ने कहा कि यूपी में बड़ा मौलिक परिवर्तन आया है. ये संसदीय कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में सहायक होगा. विपक्ष को जो कहना है, उसको वो कहने के लिए मौका मिलना चाहिए. सरकार जो करना चाहती है, संसद के माध्यम से उसे करने का अधिकार है. मैंने योगी जी और अखिलेश यादव दोनों को पत्र भेजकर अभिनन्दन किया. सबको साथ में लेकर चलना चाहिए.
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