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राजनीति का केंद्र बनता जा रहा है अयोध्या, शिवसेना नहीं छोड़ना चाहती हिंदुत्व की राह

भगवान राम की नगरी अयोध्या इन दिनों राजनीति का केंद्र बनी हुई है. बुधवार को शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे अयोध्या पहुंचे. उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना की. माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में शिवसेना की दिलचस्पी बढ़ रही है.

शिवसेना
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Published : Jun 15, 2022, 9:13 PM IST

लखनऊ: भगवान राम की नगरी अयोध्या जब राम मंदिर का निर्माण शुरू नहीं हुआ था तब भी राजनीति का केंद्र हुआ करती थी और अब जब मंदिर निर्माण शुरू हो गया है तब भी राजनीति का केंद्र बनी हुई है. नेता भले ही अब यह बयान दें कि राम की नगरी में राजनीति नहीं बल्कि रामलला के दर्शन करने आते हैं. लेकिन असलियत यही है कि अयोध्या के सहारे हिंदू वोट बैंक को अपने साथ जोड़े रखने का मौका राजनीतिक दल नहीं छोड़ना चाहते. चाहे भारतीय जनता पार्टी हो, शिवसेना हो या फिर अन्य पार्टियां. सभी दलों के नेता अपनी पार्टी को सबसे बड़ी हिंदुत्ववादी पार्टी के रूप में जनता के सामने प्रस्तुत करने में लगे हुए हैं.

अयोध्या में आदित्य ठाकरे
अयोध्या में आदित्य ठाकरे

अभी तक अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे को लेकर चर्चा थी, लेकिन उनका विरोध हो गया और वह नहीं आ सके. अब शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे अयोध्या पहुंचे हैं. यहां पर वे मंदिर में पूजा-अर्चना कर रहे हैं. आदित्य ठाकरे के दौरे से शिवसेना ने यह साबित जरूर कर दिया है कि भले ही महाराष्ट्र में पार्टी सरकार बनाने के लिए न्यूट्रल हो गई हो, लेकिन हिंदुओं के बिना उसका काम नहीं चलना है. पार्टी को पता है कि हिंदू वोट बैंक फिसला तो सियासी समीकरण बिगड़ जाएंगे.

समझौतावादी नीति अपना रही शिवसेनाः शिवसेना के संस्थापक स्व. बाला साहेब ठाकरे के समय पार्टी को हिंदुत्व का प्रचंड समर्थक माना जाता रहा है, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद कहीं न कहीं पार्टी में वह बात नहीं बची है. राजनीति के लिए पार्टी अब समझौतावादी नीति अपना रही है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कहीं न कहीं इससे पार्टी हिंदुओं का विश्वास जरूर खो रही है. महाराष्ट्र में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन कर सरकार बना ली. शिवसेना के मुखिया उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए, लेकिन इसी बीच भाइयों में दरार भी पड़ गई. उद्धव ठाकरे से अलग होकर राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन कर लिया और अब वे खुद को उद्धव ठाकरे से बड़ा हिंदुत्ववादी नेता साबित करने की कोशिश में लगे हुए हैं.

आदित्य की यात्रा को राजनीतिक रंग देने का प्रयासः एक तरफ जहां महाराष्ट्र में वे सड़क पर हनुमान चालीसा का पाठ कराने को लेकर हिंदुओं के बीच चर्चा में हैं तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सड़क पर हनुमान चालीसा करने वालों पर कार्रवाई को लेकर चर्चा में हैं. उधर, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हिंदुओं पर कार्रवाई कर रहे थे, इधर राज ठाकरे ने अयोध्या में रामलला के दर्शन करने का एलान कर दिया था. हालांकि भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह के भारी विरोध के चलते राज ठाकरे अयोध्या नहीं आ पाए. इसी बीच उद्धव को लगा कि अब हिंदुत्व के मुद्दे पर गेंद राज ठाकरे के पाले में जा सकती है. लिहाजा, बेटे आदित्य ठाकरे ने राम की नगरी अयोध्या में पूजा-अर्चना का कार्यक्रम तय कर लिया. बुधवार को वे अयोध्या पहुंचे और उन्होंने मंदिर में पूजा-पाठ किया, रामलला के दर्शन भी किए. आदित्य के आगमन को लेकर स्वागत के पोस्टर बैनर से अयोध्या को पाट दिया गया था, जबकि पार्टी की तरफ से यही कहा जाता रहा कि यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है. धार्मिक यात्रा है, लेकिन इसे राजनीतिक रंग देने का भरपूर प्रयास किया गया. आदित्य ठाकरे की इस यात्रा से शिवसेना की तरफ से ये संदेश देने का प्रयास है कि शिवसेना हिंदुत्व के एजेंडे से पीछे हटने वाली नहीं है.



राज ठाकरे नहीं आ पाए थे अयोध्या : महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे भी अयोध्या के लिए तैयार थे, लेकिन बीजेपी सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के विरोध के चलते उन्हें अपना प्रोग्राम निरस्त करना पड़ा था. बीजेपी सांसद विरोध इसलिए कर रहे थे, क्योंकि पूर्व में उन्होंने महाराष्ट्र में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों का विरोध किया था. जिसके बाद राज ठाकरे का दौरा रद्द हो गया. बता दें कि इससे पहले आदित्य ठाकरे के पिता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी अयोध्या आकर पूजा अर्चना कर चुके हैं.


उत्तर प्रदेश में पार्टी का जनाधार शून्य : जहां तक उत्तर प्रदेश में शिवसेना की बात की जाए तो अभी कहीं भी पार्टी के पास मजबूत संगठन नहीं है. उत्तर प्रदेश में पार्टी अपने पैर पसारना चाहती है और इसके लिए शिवसेना के नेताओं को मालूम है कि जब तक हिंदुओं को अपने साथ नहीं जोड़ेगी तब तक पार्टी का कुछ नहीं हो सकता. उत्तर प्रदेश में शिवसेना की ताकत न बढ़े, इसे लेकर महाराष्ट्र में हिंदुओं के साथ शिवसेना की सरकार जो बर्ताव कर रही है उसे भारतीय जनता पार्टी प्रमुखता से जनता के सामने रखने का प्रयास करेगी. जिससे शिवसेना को भाजपा से हिंदुओं का वोट ट्रांसफर न हो पाए.

ये भी पढ़ें : अयोध्या पहुंचे आदित्य ठाकरे, इस्कॉन मंदिर में की पूजा


शिवसेना को अयोध्या का सहारा : बता दें कि उत्तर प्रदेश में पिछले कई वर्षों से शिवसेना अपने प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारती रही है, लेकिन सफलता शिवसेना से कोसों दूर रही. साल 1991 में पवन पांडेय के रूप में पार्टी का एक विधायक जीता था, तबसे लेकर अब तक एक बार भी पार्टी जीत नहीं पाई है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में पार्टी की अभी स्थिति काफी कमजोर है, लेकिन अब महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार है ऐसे में उत्तर प्रदेश जो देश का सबसे बड़ा राज्य है उसमें पार्टी की दिलचस्पी बढ़ रही है. यही वजह है कि शिवसेना अयोध्या में रामलला के सहारे उत्तर प्रदेश की सियासत में अपनी दावेदारी मजबूत करने की फिराक में है.

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लखनऊ: भगवान राम की नगरी अयोध्या जब राम मंदिर का निर्माण शुरू नहीं हुआ था तब भी राजनीति का केंद्र हुआ करती थी और अब जब मंदिर निर्माण शुरू हो गया है तब भी राजनीति का केंद्र बनी हुई है. नेता भले ही अब यह बयान दें कि राम की नगरी में राजनीति नहीं बल्कि रामलला के दर्शन करने आते हैं. लेकिन असलियत यही है कि अयोध्या के सहारे हिंदू वोट बैंक को अपने साथ जोड़े रखने का मौका राजनीतिक दल नहीं छोड़ना चाहते. चाहे भारतीय जनता पार्टी हो, शिवसेना हो या फिर अन्य पार्टियां. सभी दलों के नेता अपनी पार्टी को सबसे बड़ी हिंदुत्ववादी पार्टी के रूप में जनता के सामने प्रस्तुत करने में लगे हुए हैं.

अयोध्या में आदित्य ठाकरे
अयोध्या में आदित्य ठाकरे

अभी तक अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे को लेकर चर्चा थी, लेकिन उनका विरोध हो गया और वह नहीं आ सके. अब शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे अयोध्या पहुंचे हैं. यहां पर वे मंदिर में पूजा-अर्चना कर रहे हैं. आदित्य ठाकरे के दौरे से शिवसेना ने यह साबित जरूर कर दिया है कि भले ही महाराष्ट्र में पार्टी सरकार बनाने के लिए न्यूट्रल हो गई हो, लेकिन हिंदुओं के बिना उसका काम नहीं चलना है. पार्टी को पता है कि हिंदू वोट बैंक फिसला तो सियासी समीकरण बिगड़ जाएंगे.

समझौतावादी नीति अपना रही शिवसेनाः शिवसेना के संस्थापक स्व. बाला साहेब ठाकरे के समय पार्टी को हिंदुत्व का प्रचंड समर्थक माना जाता रहा है, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद कहीं न कहीं पार्टी में वह बात नहीं बची है. राजनीति के लिए पार्टी अब समझौतावादी नीति अपना रही है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कहीं न कहीं इससे पार्टी हिंदुओं का विश्वास जरूर खो रही है. महाराष्ट्र में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन कर सरकार बना ली. शिवसेना के मुखिया उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए, लेकिन इसी बीच भाइयों में दरार भी पड़ गई. उद्धव ठाकरे से अलग होकर राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन कर लिया और अब वे खुद को उद्धव ठाकरे से बड़ा हिंदुत्ववादी नेता साबित करने की कोशिश में लगे हुए हैं.

आदित्य की यात्रा को राजनीतिक रंग देने का प्रयासः एक तरफ जहां महाराष्ट्र में वे सड़क पर हनुमान चालीसा का पाठ कराने को लेकर हिंदुओं के बीच चर्चा में हैं तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सड़क पर हनुमान चालीसा करने वालों पर कार्रवाई को लेकर चर्चा में हैं. उधर, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हिंदुओं पर कार्रवाई कर रहे थे, इधर राज ठाकरे ने अयोध्या में रामलला के दर्शन करने का एलान कर दिया था. हालांकि भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह के भारी विरोध के चलते राज ठाकरे अयोध्या नहीं आ पाए. इसी बीच उद्धव को लगा कि अब हिंदुत्व के मुद्दे पर गेंद राज ठाकरे के पाले में जा सकती है. लिहाजा, बेटे आदित्य ठाकरे ने राम की नगरी अयोध्या में पूजा-अर्चना का कार्यक्रम तय कर लिया. बुधवार को वे अयोध्या पहुंचे और उन्होंने मंदिर में पूजा-पाठ किया, रामलला के दर्शन भी किए. आदित्य के आगमन को लेकर स्वागत के पोस्टर बैनर से अयोध्या को पाट दिया गया था, जबकि पार्टी की तरफ से यही कहा जाता रहा कि यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है. धार्मिक यात्रा है, लेकिन इसे राजनीतिक रंग देने का भरपूर प्रयास किया गया. आदित्य ठाकरे की इस यात्रा से शिवसेना की तरफ से ये संदेश देने का प्रयास है कि शिवसेना हिंदुत्व के एजेंडे से पीछे हटने वाली नहीं है.



राज ठाकरे नहीं आ पाए थे अयोध्या : महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे भी अयोध्या के लिए तैयार थे, लेकिन बीजेपी सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के विरोध के चलते उन्हें अपना प्रोग्राम निरस्त करना पड़ा था. बीजेपी सांसद विरोध इसलिए कर रहे थे, क्योंकि पूर्व में उन्होंने महाराष्ट्र में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों का विरोध किया था. जिसके बाद राज ठाकरे का दौरा रद्द हो गया. बता दें कि इससे पहले आदित्य ठाकरे के पिता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी अयोध्या आकर पूजा अर्चना कर चुके हैं.


उत्तर प्रदेश में पार्टी का जनाधार शून्य : जहां तक उत्तर प्रदेश में शिवसेना की बात की जाए तो अभी कहीं भी पार्टी के पास मजबूत संगठन नहीं है. उत्तर प्रदेश में पार्टी अपने पैर पसारना चाहती है और इसके लिए शिवसेना के नेताओं को मालूम है कि जब तक हिंदुओं को अपने साथ नहीं जोड़ेगी तब तक पार्टी का कुछ नहीं हो सकता. उत्तर प्रदेश में शिवसेना की ताकत न बढ़े, इसे लेकर महाराष्ट्र में हिंदुओं के साथ शिवसेना की सरकार जो बर्ताव कर रही है उसे भारतीय जनता पार्टी प्रमुखता से जनता के सामने रखने का प्रयास करेगी. जिससे शिवसेना को भाजपा से हिंदुओं का वोट ट्रांसफर न हो पाए.

ये भी पढ़ें : अयोध्या पहुंचे आदित्य ठाकरे, इस्कॉन मंदिर में की पूजा


शिवसेना को अयोध्या का सहारा : बता दें कि उत्तर प्रदेश में पिछले कई वर्षों से शिवसेना अपने प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारती रही है, लेकिन सफलता शिवसेना से कोसों दूर रही. साल 1991 में पवन पांडेय के रूप में पार्टी का एक विधायक जीता था, तबसे लेकर अब तक एक बार भी पार्टी जीत नहीं पाई है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में पार्टी की अभी स्थिति काफी कमजोर है, लेकिन अब महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार है ऐसे में उत्तर प्रदेश जो देश का सबसे बड़ा राज्य है उसमें पार्टी की दिलचस्पी बढ़ रही है. यही वजह है कि शिवसेना अयोध्या में रामलला के सहारे उत्तर प्रदेश की सियासत में अपनी दावेदारी मजबूत करने की फिराक में है.

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