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स्पीड से दौड़ रहे हैं स्मार्ट मीटर, नियामक आयोग से शिकायत - मध्यांचल विद्युत वितरण निगम

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा कुछ खंडों में कुल लगभग 1951 में से 1911 स्मार्ट मीटर तेज चलने की शिकायत पर जांच की गई. जिसमें 84 स्मार्ट मीटर तेज चलते पाए गए और 6 स्मार्ट मीटर धीमें चलते पाए गए.

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Published : Aug 31, 2022, 3:57 PM IST

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में उपभोक्ता स्मार्ट मीटर तेज चलने की लंबे समय से शिकायत करते रहे हैं. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की एक रिपोर्ट में ये साबित भी हो गया है कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के घर में लगने वाले स्मार्ट मीटर में तेज चलने की शिकायत पाई गई है. दो दिन पूर्व केस्को कानपुर में स्मार्ट मीटर बीआईएस फंक्शनल में कमियां होने के बावजूद फिर से लगाए जाने को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग में याचिका दाखिल की. साक्ष्यों सहित पूरे मामले को लेकर आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह से मुलाकात की. कहा कि अब प्रदेश की बिजली कंपनियों ने मान लिया है कि स्मार्ट मीटर तेज चल रहा है. अभी तक उसके बीआईएस में जो फंक्शनल प्रॉब्लम है उसका जवाब नहीं आया है. इसके बावजूद एनर्जी एफिशिएंसी लिमिटेड व घटिया स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनियों के खिलाफ ब्लैकलिस्ट व कठोर कार्रवाई करने के बजाय उसे छिपाया जा रहा है, जो बहुत ही गंभीर मामला है.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा कुछ खंडों में कुल लगभग 1951 में से 1911 स्मार्ट मीटर तेज चलने की शिकायत पर जांच की गई. जिसमें 84 स्मार्ट मीटर तेज चलते पाए गए और 6 स्मार्ट मीटर धीमें चलते पाए गए. यानी कि कुल 1911 स्मार्ट मीटर में 90 स्मार्ट मीटर खराब घटिया गुणवत्ता के पाए गए जो कुल चेक किए गए स्मार्ट मीटर का लगभग 4.7 प्रतिशत है. वैसे तो बिजली कंपनियों को तीन प्रतिशत के ऊपर स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर देना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. पावर काॅरपोरेशन के नियमों के तहत डेढ़ से दो प्रतिशत मीटरों में कमियों पर उसे ब्लैकलिस्टेड करने का नियम है.

यह भी पढ़ें : मृतक आश्रितों को दूसरे विभाग में भी नौकरी देने की तैयारी, मिलेगी बड़ी सहूलियत

गौरतलब है कि दो वर्ष पहले जन्माष्टमी पर बत्ती गुल, भार जंपिंग एसटीएफ जांच सहित अनेकों अनियमितताओं पर उत्तर प्रदेश सरकार के सख्त आदेश के बाद पावर काॅरपोरेशन ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना बंद कर दिया था. यह बात अलग है कि किसी भी जांच में आज तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई जो अपने आप में बडा सवाल हमेशा उपभोक्ताओं के सामने रहेगा.

यह भी पढ़ें : यूपीकॉन के लखनऊ समेत 22 ठिकानों पर इनकम टैक्स की छापेमारी

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में उपभोक्ता स्मार्ट मीटर तेज चलने की लंबे समय से शिकायत करते रहे हैं. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की एक रिपोर्ट में ये साबित भी हो गया है कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के घर में लगने वाले स्मार्ट मीटर में तेज चलने की शिकायत पाई गई है. दो दिन पूर्व केस्को कानपुर में स्मार्ट मीटर बीआईएस फंक्शनल में कमियां होने के बावजूद फिर से लगाए जाने को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग में याचिका दाखिल की. साक्ष्यों सहित पूरे मामले को लेकर आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह से मुलाकात की. कहा कि अब प्रदेश की बिजली कंपनियों ने मान लिया है कि स्मार्ट मीटर तेज चल रहा है. अभी तक उसके बीआईएस में जो फंक्शनल प्रॉब्लम है उसका जवाब नहीं आया है. इसके बावजूद एनर्जी एफिशिएंसी लिमिटेड व घटिया स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनियों के खिलाफ ब्लैकलिस्ट व कठोर कार्रवाई करने के बजाय उसे छिपाया जा रहा है, जो बहुत ही गंभीर मामला है.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा कुछ खंडों में कुल लगभग 1951 में से 1911 स्मार्ट मीटर तेज चलने की शिकायत पर जांच की गई. जिसमें 84 स्मार्ट मीटर तेज चलते पाए गए और 6 स्मार्ट मीटर धीमें चलते पाए गए. यानी कि कुल 1911 स्मार्ट मीटर में 90 स्मार्ट मीटर खराब घटिया गुणवत्ता के पाए गए जो कुल चेक किए गए स्मार्ट मीटर का लगभग 4.7 प्रतिशत है. वैसे तो बिजली कंपनियों को तीन प्रतिशत के ऊपर स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर देना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. पावर काॅरपोरेशन के नियमों के तहत डेढ़ से दो प्रतिशत मीटरों में कमियों पर उसे ब्लैकलिस्टेड करने का नियम है.

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गौरतलब है कि दो वर्ष पहले जन्माष्टमी पर बत्ती गुल, भार जंपिंग एसटीएफ जांच सहित अनेकों अनियमितताओं पर उत्तर प्रदेश सरकार के सख्त आदेश के बाद पावर काॅरपोरेशन ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना बंद कर दिया था. यह बात अलग है कि किसी भी जांच में आज तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई जो अपने आप में बडा सवाल हमेशा उपभोक्ताओं के सामने रहेगा.

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