लखनऊ : सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam singh yadav) के निधन के बाद उनकी अंत्येष्टि के कार्यक्रमों में मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के पुत्र प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव ने दूरी बनाए रखी. सोमवार को जब अस्थि विसर्जन के लिए पूरा परिवार उत्तराखंड गया था, उस दौरान पूरे परिवार के साथ कार्यक्रम में प्रतीक यादव तो शामिल हुए किंतु उनकी पत्नी अपर्णा यादव नहीं दिखाई दीं. हालांकि अखिलेश यादव के साथ उनकी पत्नी डिंपल यादव कार्यक्रम में मौजूद रहीं. सैफई में शोक संवेदना व्यक्त करने आए हजारों लोगों में दबी जुबान इस विषय की चर्चा होती रही. कुछ लोगों ने यह भी कहा कि जब सभी सगे रिश्तेदारों ने सिर मुंडवाया, तो प्रोफेसर राम गोपाल इससे दूर क्यों रहे, जबकि रिश्ते में चाचा प्रोफेसर रामगोपाल अखिलेश के खानदान के ही हैं और उनके बहुत निकट माने जाते हैं. गौरतलब है कि सोमवार को मुलायम सिंह यादव की अस्थि विसर्जन के लिए दो जहाजों से कुल 16 लोग उत्तराखंड गए थे. इनमें अखिलेश यादव, शिवपाल सिंह यादव, डिंपल यादव और प्रोफेसर रामगोपाल यादव सहित परिवार के अन्य सदस्य शामिल थे.
पिछले कुछ वर्षों में जब से मुलायम सिंह यादव के कुनबे में पारिवारिक क्लेश हुआ है, तब से कुछ युवा चेहरे जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहे. मीडिया में अपर्णा यादव बार-बार यह कहते हुए दिखाई दीं कि मुलायम सिंह उनके गुरु हैं और उन्हीं की सलाह पर वह अपना राजनीतिक जीवन आगे बढ़ाएंगी. मुलायम सिंह उन्हें बराबर आशीर्वाद और मार्गदर्शन भी देते रहे. कुछ माह पूर्व साधना गुप्ता का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. कहा जा रहा है कि साधना गुप्ता के निधन के बाद प्रतीक और अपर्णा की डोर एक तरह से मुलायम परिवार से टूट गई, क्योंकि वही कारण थीं मुलायम सिंह से जुड़े रहने का.
गौरतलब है 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले अपर्णा यादव ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था, जिसके बाद यह साफ हो गया कि अपर्णा अब कभी भी सपा और अखिलेश यादव के साथ जाने वाली नहीं हैं. यह बात और है की अपर्णा को लेकर कभी अखिलेश यादव की ओर से ऐसा बयान नहीं आया, जिसकी नकारात्मक चर्चा हो सके. वहीं अपर्णा यादव ने भी मर्यादा का पालन किया है. विश्लेषक कहते हैं कि मुलायम सिंह परिवार से अपर्णा को जोड़ने की डोर उनकी सास साधना ही थीं, अब जबकि मुलायम और साधना दोनों नहीं हैं, ऐसे में समाजवादी परिवार में अपर्णा और प्रतीक को तवज्जो दिए जाने का कोई विशेष औचित्य भी नहीं है. अब दोनों की राहें अलग-अलग हैं और राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी जुदा हैं.
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मुलायम सिंह यादव (Mulayam singh yadav) के निधन के बाद यादव कुनबे में जिस तरह शिवपाल यादव और अखिलेश हर कार्यक्रम में साफ दिखाई दे रहे हैं, उससे एक बार फिर कयास लगने लगे हैं कि हो न हो दोनों एक बार फिर साथ आ सकते हैं. कई दिनों तक लगातार साथ रहने के कारण दिलों की दूरियां कम हुई हैं और बहुत संभव है कि आगे दोनों में एका होने पर सहमत बन जाए. शिवपाल सिंह यादव भी अपने सम्मान और कुछ कार्यकर्ताओं के समायोजन के अतिरिक्त अपने पुत्र को सपा में सुरक्षित स्थान दिलाना चाहते हैं. अखिलेश के लिए यह कोई बड़ा विषय नहीं है, लेकिन इसमें प्रोफेसर रामगोपाल यादव क्या भूमिका निभाते हैं इस पर सबकी नजर है.
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