लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (allahabad high court lucknow bench) ने सोमवार को गोंडा के नवाबगंज थाने में हाल ही में हिरासत में हुई मौत के मामले में राज्य सरकार से जवाबी हलफ़नामा तलब किया. न्यायालय ने मामले में मैजिस्ट्रियल जांच की रिपोर्ट अगली सुनवाई पर सील बंद लिफ़ाफ़े में पेश करने के आदेश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी.
गोंडा में पुलिस कस्टडी में मौत के मामले में यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति संजय कुमार पचौरी की खंडपीठ ने मामले में अभियुक्त बनाए गए, नवाबगंज थाने के तत्कालीन एसएचओ तेज प्रताप सिंह की याचिका पर पारित किया. याची के अधिवक्ता शचीन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि याचिका में कहा गया है कि देव नारायण उर्फ देवा से जब पूछताछ चल रही थी तब याची पूछताछ में मौजूद नहीं था, बल्कि वह अपने कार्यालय में देव नारायण उर्फ देवा के पिता, ताऊ व फूफा के साथ बैठा था.
मृतक से एसओजी टीम के लोग पूछा ताछ कर रहे थे. उन्होंने बताया कि देव नारायण उर्फ देवा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी किसी भी चोट का उल्लेख नहीं है, बल्कि उसकी मृत्यु का कारण कार्डियोजेनिक शॉक बताया गया है. उनका कहना था कि इससे स्पष्ट है कि देव नारायण उर्फ देवा की मृत्यु मारपीट के कारण नहीं हुई है. उल्लेखनीय है कि 14 सितम्बर को हत्या के एक मामले में पूछताछ के लिए संविदा लाइनमैन देव नारायण उर्फ देवा को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया था, आरोप है कि पूछताछ के दौरान थर्ड डिग्री टार्चर के कारन उसकी ठाणे में ही मौत हो गई.
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